अफसरों के जमीनी खेल में उलझा भोपाल का वेस्टर्न बायपास

वेस्टर्न बायपास
  • प्रधानमंत्री से शिकायत की बाद जांच के लिए कमेटी का गठन

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। भोपाल में जब भी कोई नया बड़ा प्रोजेक्ट आता है अफसर उसमें अपने लिए फायदा का रास्ता निकाल ही लेते हैं। मामला फिर सडक़ निर्माण  का हो या फिर अन्य किसी क्षेत्र का। फिर उनकी कारगुजारियों की वजह से भले ही आमजन को नए प्रोजेक्ट से मिलने वाले फायदे में भले ही कितनी भी देरी क्यों न हो जाए। ऐसा ही मामला है, भोपाल में बनने वाले वेस्टर्न बायपास का। तीन हजार करोड़ की लागत वाले इस बायपास की भोपाल वासियों को यह सौगात केन्द्र सरकार द्वारा दी गई है। इस सौगात की घोषणा होती उसके पहले ही प्रदेश में सक्रिय नेताओं और आला अफसरों के गठजोड़ ने इससे मुनाफा कमाने का ऐसा खेल खेला की मामला अब प्रधानमंत्री कार्यालय तक जा पहुंचा है। इसके बाद अब प्रधानमंत्री कार्यालय ने बाकायदा इसकी जांच करने के निर्देश राज्य सरकार को दिए हैं। इसके बाद से अब वेस्टर्न भोपाल बायपास परियोजना का काम स्थिगित कर दिया गया है। पीएमओ से मिले निर्देश के बाद अब लोक निर्माण विभाग ने जांच कमेटी बनाई हे , जिसका अध्यक्ष चीफ इंजीनियर भोपाल परिक्षेत्र को बनाया गया है, इसमें अधीक्षण यंत्री पीडब्ल्यूडी भोपाल मंडल, सीहोर व रायसेन कलेक्टर व जिला पंजीयक के प्रतिनिधि सदस्य बनाए गए हैं। कमेटी बायपास निर्माण क्षेत्र में विभिन्न स्तरों पर जमीन खरीदी की जांच करेगी। इस समिति से 15 दिन में जांच प्रतिवेदन देने को कहा गया है।
दरअसल, मप्र रोड डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन ने वेस्टर्न भोपाल बायपास की योजना बनाई थी। वेस्टर्न भोपाल बायपास जबलपुर-भोपाल रोड (एनएन- 46) पर मंडीदीप के पास इटाया कलां से भोपाल-देवास रोड (एसएच-28) पर ग्राम फंदा कलां तक बनाया जाना है। इसकी लंबाई 41 किलोमीटर है। बायपास की चौड़ाई 70 मीटर प्रस्तावित की गई है। मार्ग के संरेखण (एलाइनमेंट) पर एक आरओबी, दो फ्लाय ओवर, 15 अंडरपास और दो प्रमुख जंक्शन बनाए जाएंगे। इसका निर्माण हाइब्रिड वार्षिकी मॉडल पर किया जाएगा। इसके निर्माण के लिए भोपाल और रायसेन जिले की करीब 305 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया जाना है। इसमें भोपाल जिले के 13 गांवों की 112 हेक्टेयर से अधिक है। इसके लिए जमीन अधिग्रहण पर करीब  426 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है। इसके अलावा 43 हेक्टेयर वन भूमि भी इसके लिए ली जाना है।
पूर्व मंत्री ने की शिकायत
सूत्रों की मानें तो इस परियोजना में जमीनों के खेल की शिकायत पूर्व मंत्री दीपक जोशी और अन्य लोगों ने प्रधानमंत्री कार्यालय को की है। इसमें कहा गया है कि वेस्टर्न भोपाल बायपास निर्माण से जुड़े आईएएस अफसरों, नेताओं, पटवारियों, सर्वेयरों आदि ने बायपास के निर्माण क्षेत्र में जमीन खरीद ली है। उन्होंने यह जमीन इसलिए खरीदी है, ताकि बायपास के लिए भूमि अधिग्रहण होने पर ज्यादा से ज्यादा मुआवजा मिल सके। सडक़ परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने शिकायत की जांच के लिए मप्र सरकार को पत्र लिखा है। पत्र प्राप्त होने के बाद सरकार ने फिलहाल बायपास के लिए भूमि अधिग्रहण समेत अन्य इसके निर्माण से जुड़े अन्य कार्यों पर रोक लगा दी है।

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