भोपाल के बहुआयामी कला केंद्र बाल भवन का होगा कायाकल्प

बाल भवन
  • इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, उज्जैन, रीवा और सागर को कद्रदान का इंतजार

भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। नौनिहालों का भविष्य गढऩे के लिए मप्र के संभागीय मुख्यालय वाले सात शहरों में खोले गए बहुआयामी कला केंद्र बाल भवनों का अब कायाकल्प होगा। जानकारी के अनुसार राजधानी के जवाहर बाल भवन समेत 7 शहरों इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, उज्जैन, रीवा और सागर में स्थित बाल भवन अव्यवस्थाओं के शिकार हैं। बाल भवन नाम से मशहूर इन केंद्रों में बच्चों के शिक्षण-प्रशिक्षण के लिए रखे गायन-वादन यंत्र और खेल-कूद उपकरण खराब हो रहे हैं, जिनके मेंटेनेंस पर जिम्मेदारों का ध्यान नहीं है। अधिकतर केंद्रों में बच्चों की संख्या के हिसाब से नई तकनीक, नए वाद्य यंत्रों और खेल सामग्री की जरूरत है, जिनकी खरीदी और अपडेशन की प्रक्रिया सालों से टाली जा रही है। कई केंद्र स्थापना के 15 साल बाद भी किराए के भवनों में कामचलाऊ व्यवस्था के साथ चलाए जा रहे हैं। इनके पास बच्चों के प्रशिक्षण के लिए पर्याप्त क्लासरूम और मैदान तक नहीं हैं। लेकिन सरकार ने फिलहाल भोपाल के बाल भवन का कायाकल्प करने की दिशा में कदम बढ़ाया है। वहीं 6 जिलों के बाल भवन को अभी कद्रदान का इंतजार है। महिला एवं बाल विकास विभाग के अधीन चलने वाले इन आधुनिक गुरुकुलोंं की सुध सालों तक किसी ने नहीं ली है। अब जाकर सरकार जागी है तो केवल भोपाल के बाल भवन का कायाकल्प किया जा रहा है। जानकारी के अनुसार भोपाल के तुलसी नगर स्थित जवाहर बाल भवन के मेंटनेंस 10 साल से नहीं हुआ था। यहां भवन जर्जर तो उद्यान कंटीली झाडिय़ों व परिसर कचरे से पट चुका है। उद्यान में बच्चों की खेल-कूद के लिए लगाए उपकरण जंग खाकर टूट-फूट रहे थे। अब  विभाग ने लोक निर्माण विभाग को पत्र लिखकर मरम्मत व रंगाई-पुताई करने को कहा है। पीडब्ल्यूडी ने फरवरी के अंतिम सप्ताह से काम शुरू किए। भवन के जर्जर दीवार को ठीक किया जा रहा है। पुताई भी हो रही है। झूले और उपकरण रंग दिए हैं। सालभर से बंद कैमरे भी सुधर गए हैं।
बुनियादी सुविधाएं भी नदारद
राजधानी के जवाहर बाल भवन समेत 7 शहरों इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, उज्जैन, रीवा और सागर में अव्यवस्थाओं के शिकार बहुआयामी कला केंद्र दुर्दशा के शिकार हैं। यहां बच्चों के लिए निर्धारित 7 पाठ्यक्रमों रंगमंच, नृत्य, गायन, चित्रकला खेल-कूद, कम्प्यूटर और वैज्ञानिक नवीनीकरण में से एक-दो को चलाने, अनुदेशक व संगतकारों की कमी, संविदा कर्मियों के आधे पद खाली होने, सुरक्षा और स्वच्छ पेयजल व टॉयलेट जैसी बुनियादी सुविधाओं को भी अभाव देखा गया है। लेकिन अब आला अफसरों ने सभी संभागीय मुख्यालयों के बाल भवनों के सहायक संचालकों और प्रभारी अधिकारियों की बैठक ली है। उन्हें स्टाफ की कमी दूर करने समेत उनकी दशा सुधारने व आधुनिकीकरण के लिए अपर संचालक राजपाल कौर की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय कमेटी बनाई गई है। यह कमेटी एक सप्ताह में रिपोर्ट देगी। इधर, जवाहर बाल भवन में मेंटनेंस और रंगाई- पुताई शुरू हो गई है। बाल भवन में जिन झूलों, फिसलपट्टी, उपकरणों को पेंट किया गया, वे जंग से कमजोर हो गए। फिसलपट्टी टूटे-फूटे हैं तो पतरे तक निकल चुके हैं। सफाई भी नियमित नहीं हो रही। गार्डन व आसपास पत्तों का टाल लगा हुआ है। वॉटर कूलर भी उसी स्थिति में हैं। टॉयलेट की सफाई नहीं हो रही। वन विभाग परिसर में लगा पेड़ बाल भवन में गिरा है। इसे हटाने की बजाय ठेकेदार ने उसी पर दीवार बनवा दी। भोपाल के जवाहर बाल भवन में मेंटेनेंस शुरू हो गया, पर संभागीय मुख्यालयों के 6 शहरों की स्थिति में सुधार नहीं हुआ। भोपाल, इंदौर, उज्जैन, जबलपुर, ग्वालियर, रीवा, सागर में किराए के भवनों में जैसे-तैसे चल रहे हैं। जिलों में छानबीन की तो बेहद दुर्दशा दिखी। स्कूलों में गर्मी की छुट्टियां लगते ही बाल भवनों में हुनर सीखने बच्चे पहुंचने लगे हैं। जबलपुर में टॉयलेट गंदे हैं व पानी के लिए मटके, वॉटर कूलर तक नहीं हैं।

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