सोलर सिटी बनेगा भोपाल

  • एक से तीन किलोवाट तक प्रति किलोवाट मिलेगी 18 हजार की सब्सिडी
  • विनोद उपाध्याय
सोलर सिटी

प्रदेश के बड़े शहरों को सौर ऊर्जा से रोशन करने की प्रक्रिया में राजधानी भोपाल को सोलर सिटी बनाने की तैयारियां शुरू कर दी गई है। वर्तमान परिवेश में भोपाल को पूर्णतया सोलर ऊर्जा से रोशन करने के लिए लगभग 846 मेगावॉट सौर जनरेशन की आवश्यकता होगी। अगर आप दो किलोवाट का सोलर प्लांट लगाते हैं तो हर महीने लगभग 240 यूनिट बिजली का उत्पादन होगा और दो किलोवाट सोलर प्लांट लगाने की लागत लगभग एक लाख 30 हजार रुपये आएगी, जिस पर प्रति किलोवाट 18 हजार के हिसाब से कुल 36 हजार रुपये की सब्सिडी आपको अपने बैंक खाते में वापस मिल जाएगी।
जानकारी के अनुसार, बिजली कंपनी ने सोलर प्लांट लगवाने के लिए वेंडर्स अधिकृत किये हैं, जिनके माध्यम से सोलर प्लांट लगवाया जा सकता है। उपभोक्ताओं को कंपनी द्वारा अधिकृत वेंडर्स के माध्यम से सोलर प्लांट लगवाने पर ही सब्सिडी का लाभ मिलेगा। गौरतलब है कि दो किलोवाट क्षमता का सोलर प्लांट लगाने के लिए 100 वर्ग फीट छत की जरूरत होती है जिसमें सोलर पैनल, इनवर्टर, एसडीसी बॉक्स, केबल व मीटर लगता है। सोलर रूफटॉप प्लांट, वेण्डर द्वारा अधिकतम 3 दिन के भीतर लगा दिया जाएगा। जहां तक सब्सिडी का सवाल है तो 30 दिन के भीतर सरकार द्वारा सब्सिडी की राशि सीधे आपके बैंक खाते में स्थानान्तरित कर दी जाएगी।
नीमच में लगे सौर-विंड प्रोजेक्ट की मार्च में शुरुआत
नीमच में लगे सौर और विंड एनर्जी प्रोजेक्ट मार्च में शुरू हो सकते हैं। ये दोनों ही प्रोजेक्ट भोपाल नगर निगम ने लगवाए हैं। प्रोजेक्ट का काम पूरा होने के बाद भोपाल निगम को अगले 25 साल तक कम रेट में बिजली मिलेगी और हर साल 14 करोड़ रुपए बचेंगे। प्रोजेक्ट को पिछली बजट मीटिंग में मंजूरी दी गई थी। महापौर समेत पूरी एमआईसी एक बार फिर नीमच जाकर निरीक्षण कर सकती है। जनवरी में एक बार भ्रमण हो चुका है। प्रोजेक्ट के जरिए बिजली मिलने के बाद भोपाल नगर निगम देश का पहला वैकल्पिक ऊर्जा का उपयोग करने वाला नगरीय निकाय बन जाएगा। पिछले साल मई में निगम और कंपनियों के बीच एग्रीमेंट हो चुका है। हालांकि, इन दोनों ही प्रोजेक्ट को लेकर निगम मीटिंग में हंगामा भी हो चुका है।
निगम के अनुसार, वैकल्पिक ऊर्जा संयंत्रों के लिए उपलब्ध कराई गई भूमि भोपाल नगर निगम के नाम है। प्लांट भी निगम के नाम से ही स्थापित किए गए हैं। सौर ऊर्जा एवं पवन ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना के लिए निगम ने एग्रीमेंट किए हैं। इसके अनुसार उक्त कंपनियां 25 वर्ष तक संयंत्रों का संचालन एवं संधारण करेंगी। यह नगर निगम को बिजली उपलब्ध कराएगी। एमआईसी मेंबर राजेश हिंगोरानी ने बताया, नीमच के रामपुरा में लगभग 83 एकड़ भूमि पर 21 मेगावॉट क्षमता के सौलर ऊर्जा संयंत्र लगाए गए हैं। वहीं, 15 मेगावॉट पवन ऊर्जा संयंत्र स्थापना का कार्य भी प्रगति पर है। प्रदेश सरकार ने रामपुरा में सौर ऊर्जा संयंत्र के लिए यह जमीन नगर निगम भोपाल को आवंटित की है। सोलर ऊर्जा संयंत्र संबंधित कंपनी अगले 25 वर्ष तक संचालित एवं संधारित करेंगी। नगर निगम को अगले 25 वर्ष तक 3.47 पैसे प्रति यूनिट की दर से प्रतिवर्ष 3.67 करोड़ यूनिट बिजली उपलब्ध कराई जाएगी। इसी प्रकार 15 मेगावाट क्षमता का पवन ऊर्जा संयंत्र भी स्थापित किया जा रहा है। पवन ऊर्जा संयंत्र से प्रतिवर्ष 3.30 करोड़ यूनिट बिजली बनेगी और 25 वर्ष तक 4.24 पैसे प्रति यूनिट की दर से बिजली की आपूर्ति की जाएगी। इन दोनों ही प्रोजेक्ट से निगम को हर साल करीब 14 करोड़ रुपए की बचत होगी।
जगह-जगह सोलर पैनल लगाए जा रहे
राजधानी को सोलर सिटी बनाने की तैयारी शुरू हो गई है। इसको लेकर शहर में जगह-जगह सोलर पैनल लगाए जा रहे हैं। निजी कॉलोनियों और घरों में भी लोग सोलर पैनल लगा रहे हैं। प्रदेश में सांची शहर सोलर सिटी बन चुका है। अब मध्य प्रदेश के दूसरे शहरों को भी सांची की तरह सोलर सिटी बनाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। बिजली कंपनी ने सोलर प्लांट लगावाने के लिए वेंडर्स अधिकृत किए हैं, जिनके माध्यम से सोलर प्लांट लगवाया जा सकता है। उपभोक्ताओं को कंपनी द्वारा अधिकृत वेंडर्स के माध्यम से सोलर प्लांट लगवाने पर ही सब्सिडी मिलेगी। बिजली कंपनी का दावा है कि सोलर प्लांट की पूरी लागत 4 से 5 साल में निकल जाएगी। सोलर प्लांट में 20 से 25 साल तक कोई खराबी नहीं आएगी। दो किलोवाट क्षमता का सोलर प्लांट लगाने के लिए 100 वर्ग फीट छत की जरूरत होती है, जिसमें सोलर पैनल, इनवर्टर, एसडीसी बॉक्स, केबल व मीटर लगता है। सोलर रूफटॉप प्लांट, वेंडर द्वारा अधिकतम 3 दिन के भीतर लगा दिया जाएगा। सब्सिडी 30 दिन के भीतर सरकार द्वारा सीधे आपके बैंक खाते दी जाएगी। सोलर प्लांट लगवाने के लिए नेशनल पोर्टल सोलर रूप टॉप डॉट जीओवी डॉट इन पर रजिस्ट्रेशन कराना होगा। रजिस्ट्रेशन के बाद वेंडर का चयन कर ऑनलाइन आवेदन जमा करना होगा। नेशनल पोर्टल पर टीएफआर अप्रूवल के बाद रजिस्टर्ड वेंडर के साथ अनुबंध होगा। आवेदक को वेंडर्स की सूची डिस्प्ले हो जाएगी। प्लांट इंस्टॉलेशन की प्रक्रिया होगी। प्लांट इंस्टॉल होने के बाद उसकी डिटेल सबमिट होगी। प्लांट के साथ आवेदक को स्वयं का फोटो पोर्टल पर अपलोड करना होगा। नेट मीटर लगने के बाद डिस्कॉम के अधिकारी इंस्टॉलेशन डिटेल्स को अप्रूव करेंगे। अगले चरण में हितग्राही सब्सिडी क्लेम कर सकेगा। इसके लिए बैंक डिटेल्स सहित अन्य खानापूर्ति करना होगी। डिटेल्स सही पाई जाने पर सरकार द्वारा सीधे उपभोक्ता के बैंक खाते में सब्सिडी जमा कराई जाएगी।

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