- हाई सिक्योरिटी सेल में रखे गए तीन गुना कैदी
- विनोद उपाध्याय
भोपाल सेंट्रल जेल इस समय खूंखार आतंकियों से फुल हो गई है। स्थिति यह हो गई है की हाई सिक्योरिटी से में तीन गुना कैदी रखे जा रहे हैं। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि, ये आतंकी कभी भी कोई बड़ी घटना को अंजाम दे सकते हैं। गौरतलब है कि गतदिनों आतंकियों ने अपनी मांगों को लेकर भूख हड़ताल और आमरण अनशन कर जेल प्रशासन की नींद उड़ा दी थी। जानकारों का कहना है कि एक सेल में तीन-तीन आतंकियों को रखना खतरनाक हो सकता है।जानकारी के अनुसार भोपाल सेंट्रल जेल में फिलहाल 69 आतंकी बंद हैं। जो अलग-अलग संगठनों से ताल्लुक रखते हैं। भोपाल सेंट्रल जेल की हाई सिक्योरिटी सेल आतंकियों से भर चुकी है। जेल में इन संगठनों के 69 सदस्यों के अलावा कई खूंखार बदमाश भी बंद हैं। हाई सिक्यूरिटी सेल में एक बंदी को रखा जाता है, लेकिन खूंखार बंदियों की संख्या बढऩे से एक सेल में तीन-तीन बदमाशों को बंद करना पड़ रहा है। यही कारण है कि अंडा सेल के बाद अब जेल में 12 नई हाई सिक्युरिटी सेल का निर्माण कराया जाएगा। नई सेल का निर्माण कार्य जल्द शुरू होना है। गौरतलब है कि 2016 में भोपाल सेंट्रल जेल में जेल ब्रेक की घटना के बाद से सुरक्षा व्यवस्था को पहले से ज्यादा मजबूत करने की कवायद आज भी जारी है। गौरतलब है कि कट्टरपंथी और आतंकवादी संगठनों के लिए भोपाल छिपने की दृष्टि से सुरक्षित माना जाता है। घनी मुस्लिम बस्ती में यह लोग रहकर युवाओं को बरगला कर अपने संगठन से जोडऩे का काम करते हैं। उन्हें देश के प्रति विद्रोह के लिए भडक़ाते हैं। भोपाल ट्रेन मार्ग पर होने के कारण उन्हें किसी भी शहर में जाने के लिए परेशान नहीं होना पड़ता है।
सेंट्रल जेल में 32 अंडा सेल
सेंट्रल जेल भोपाल की हाई सिक्युरिटी यूनिट में 32 अंडा सेल हैं। इस यूनिट में जेल के 75 कर्मचारी और छह अधिकारी सतत नजर रखते हैं। इसके अतिरिक्त 104 कैमरों में भी सेल के अंदर और बाहर की गतिविधियां कैद होती रहती हैं। जेल में फांसी वाले कैदी भी हैं। कोर्ट ने सिमी के छह आतंकियों को फांसी की सजा सुनाई है। इनमें सफदर नागौरी, हाफिज हुसैन, आमिल परवेज, सिवली, कमरुद्दीन और शादुली शामिल हैं। इन आतंकियों को बम ब्लास्ट के मामले में अहमदाबाद कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है। यह आतंकी भी भोपाल जेल की हाई सिक्युरिटी सेल में बंद हैं। भोपाल जेल में बंद आतंकियों को हर रोज साढ़े तीन घंटे के लिए हाई सिक्युरिटी सेल से बाहर निकाला जाता है। ताकि वह अपने पर्सनल काम जैसे कपड़े सुखाना, धूप लेना, दहलना आदि कर सकें। इन आतंकियों को बाहर निकलने के बाद निगरानी में रखा जाता है। हर आतंकी पर नजरें रखने की जिम्मेदारी 2 प्रहरियों की होती है। इस दौरान उन्हें किसी से बातचीत की इजाजत नहीं होती। सभी आतंकियों को बाहर निकालने पर भी अलग-अलग रखा जाता है। आतंकी कामरान, अबु फैजल, शिबली और कमरुद्दीन को छोड़कर सभी 65 आतंकियों को जेल मैनुअल के हिसाब से परिजनों से मिलने और कैंटीन सुविधा मिलती है।
जेल में कई खूंखार बदमाश
भोपाल सेंट्रल जेल में केवल आतंकी ही नहीं बल्कि कई खूंखार बदमाश हैं। इसके अलावा दो नक्सली भी बंद हैं। नक्सली दंपती को आजीवन कारावास की सजा हुई है। सीरियल किलर आदेश खांमरा, सरमन शिवहरे, संजय यादव, परमाल सिंह तोमर, डॉ. मंत्री, सुभास्कर राव मराठा, रजत सैनी, मनीराम सेन समेत हत्या के मामलों के लगभग 1600 आरोपी बंद हैं। भोपाल सेंट्रल जेल में प्रतिबंधित और आतंकी संगठन के 69 सदस्य बंद हैं। इसमें स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) के 23, पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के 21, हिज्च उत तहरीर (एचयूटी) के 17, जमात-ए-मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) के 4 और इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (आईएसआईएस) के 4 आतंकी बंद हैं। इस जेल में हाई सिक्युरिटी सेल की क्षमता 58 है, जबकि वर्तमान में 69 आतंकियों को रखा गया है।
एक दर्जन नई हाई सिक्युरिटी सेल का होगा निर्माण
भोपाल जेल में अंडा सेल के बाद अब जेल में एक दर्जन नई हाई सिक्युरिटी सेल का निर्माण कराया जाएगा। नई सेल का निर्माण कार्य जल्द शुरू होना है। जेल अधीक्षक राकेश भांगरे का कहना है कि भोपाल जेल में 61 पुरानी हाई सिक्युरिटी सेल हैं। बंदियों के हिसाब से जगह कम पड़ने लगी है। 12 नई हाई सिक्युरिटी सेल के लिए डेढ़ करोड़ रुपए मंजूर हुए हैं। टेंडर प्रक्रिया पूरी होने के बाद जल्द ही निर्माण कार्य शुरू होगा। 2016 में सिमी के 8 आतंकियों द्वारा मुख्य जेल प्रहरी की हत्या कर जेल ब्रेक की थी। इन्हें एनकाउंटर में मार गिराया था। इसके बाद जेल में हाई सिक्युरिटी अंडा सेल बनाई गई। इसमें 32 बैरक हैं। 31 में सिमी के आतंकी एवं अन्य खूंखार बंदी हैं। अन्य जिलों के भी बदमाशों को भोपाल जेल में रखा गया है। इसलिए हाई सिक्योरिटी सेल छोटी पड़ने लगी है।