राजस्व मामले में भोपाल साबित हो रहा है फिसड्डी

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। भले ही सरकार की प्राथमिकता में राजस्व प्रकरणों का निराकरण है, लेकिन राजधानी में यह काम अफसरों की प्राथमिकता में नजर नहीं आता है। इसका खुलासा खुद आंकड़ों से होता है। दरअसल नामांतरण हो या फिर बंटान के मामले में सभी में भोपाल जिला पीछे होता रहा है। हालत यह है कि जब इन कामों की समीक्षा की गई तो भोपाल को 55 वें स्थान पर जगह मिल सकी है। इससे समझा जा सकता है कि भोपाल मे राजस्व मामलों की स्थिति क्या होगी।
जिन मामलों का माह दो माह में निपटारा हो जाना चाहिए, वे मामले तक एक -एक साल से लंबित पड़े हुए हैं। आमजन नामांतरण से लेकर बंटवारा, सीमांकन, अभिलेख दुरुस्त कराने, नक्शा आदि कामों के लिए भटकने को मजबूर बने हुए हैं। राजस्व के ऐसे प्रकरणों की वजह से ही भोपाल को रेड जोन में रखा गया है। इस तरह की स्थिति को देखते हुए ही मामलों को निपटाने के लिए महाअभियान चलाया जा रहा है , लेकिन फिर भी भोपाल की स्थिति नहीं सुधर पा रही है। अभियान से पहले नामांतरण के ही 9 हजार से ज्यादा मामले लंबित चल रहे थे और उस समय भोपाल 40 वें स्थान पर बना हुआ था। इस बीच पांच हजार मामलों का निपटारा किया गया है, लेकिन हालत रैंकिग सुधरने की जगह और बिगड़ गई है।  एक सप्ताह में ही करीब साढ़े 5 हजार प्रकरणों हल हुए। तब भी राजधानी 40वें पायदान पर था।
यह है बड़े शहरों की स्थिति
अगर इस मामले में बड़े शहरों की स्थिति देखें तो, भोपाल की 55 वीं, इंदौर की 45, जबलपुर की 26, ग्वालियर की 27 और उज्जैन की रैंक 18 है।
नामांतरण के डेढ़ हजार मामले लंबित
राजधानी में अब भी नामांतरण के डेढ़ हजार मामले लंबित हैं। अभिलेख दुरुस्त करने के 317 में से 101 अटके हुए हैं। नक्शा संबंधी मामले पौने दो लाख से ज्यादा लंबित हैं। हालांकि महाअभियान के दौरान भोपाल में सबसे तेजी से काम शुरू हुआ था। शुरुआत में भोपाल प्रदेश में दूसरे नंबर पर था, जहां सबसे ज्यादा मामलों का निराकरण किया गया। अभियान के पहले भोपाल में नामांतरण के 9 हजार से ज्यादा मामले लंबित थे, पहले सप्ताह में ही 5 हजार से ज्यादा हल किए गए। यह तेजी कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह के टाइम लिमिट (टीएल) की बैठक में एसडीएम और तहसीलदार से वन टू वन में उनके काम पर नाराजगी जताने के बाद देखी गई थी।

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