भोपाल बिजली अमला साबित हुआ नकारा, नहीं किया कोई काम

भोपाल बिजली अमला
  • बिजली सुधार में फिसड्डी साबित, फिर भी जिम्मेदारों पर कार्रवाई नहीं

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। आम जनता को बगैर किसी व्यवधान के बिजली उपलब्ध कराने के लिए बिजली लाइन सुधार के कामों में भोपाल का अमला पूरी तरह से नकारा साबित हो रहा है। हालत यह है की इसके तहत जो काम कराने थे, उनमें से कई कामों की तो शुरुआत तक नहीं की गई है। यही वजह है कि शासन व प्रशासन के अलावा सरकार के इस शहर में लोगों को बार -बार बिजली की ट्रिपिंग और अन्य  तरह की होने वाली परेशानियों से बचाने के लिए विभाग ने 23 तरह के कामों को हाथों में लिया था। इन पर काम करने के लिए मैदानी स्तर पर पदस्थ अफसरों को लक्ष्य दिया गया था, लेकिन उनके द्वारा इस मामले में कोई रुचि ही नहीं ली गई। फलस्वरुप काम गति ही नहीं पकड़ पा रहा है। इसके बाद भी विभाग जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई करने में हिचक रहा है। विभाग द्वारा बनाई गई बिजली सुधार की पुर्नोत्थान वितरण क्षेत्र योजना (आरडीएसएस) की रिपोर्ट से यह खुलासा हुआ है। रिपोर्ट में भोपाल की स्थिति रायसेन, नर्मदापुरम समेत आसपास के अन्य शहरों से खराब स्थिति पाई गई है।   23 पाइंट्स पर काम पूरे करने के लिए बिजली कंपनी ने लक्ष्य तय किया था। लेकिन भोपाल में कुछ मामलों में तो काम जीरो फीसदी पाया गया है। इसके अलावा जिन मामलों में काम हुआ है, वो भी एक -दो से लेकर पांच से सात फीसदी होना पाया गया है। इसका सीधा असर बिजली उपभोक्ताओं के सेवा पर पड़ा। तय लक्ष्य के अनुसार काम होता तो शहर में बार-बार ट्रिपिंग और फॉल्ट की स्थिति से लोगों को बिना बिजली नहीं रहना पड़ता। अगर अन्य शहरों की बात की जाए तो उनके भी स्थिति भले ही अच्छी नही है, लेकिन वहां कम से कम 15 से 30 फीसदी तक काम तो हुआ है।
घर-घर लगने हैं स्मार्ट मीटर
विद्युत वितरण कंपनी बिजली चोरी रोकने के लिए घर-घर स्मार्ट मीटर लगाने जा रही है। उपभोक्ता को मोबाइल की तरह मीटर को रिचार्ज करवाना होगा। रिचार्ज खत्म होने के बाद बिजली खुद ही गुल हो जाएगी। मीटर लगने की शुरुआत 5 जुलाई से होगी। इनकी खासियत यह होगी कि इनकी एक ही एक चॉबी होगी, इससे रिचार्ज कराया जाएगा। इसके बाद ए, बी, सी कोड जनरेट होंगे। 20 अंकों का कोड कंज्यूमर को एंटर करना होगा, जिससे मीटर चालू हो जाएगा। इसकी डिस्प्ले यूनिट में कंज्यूमर ने लास्ट रिचार्ज कब किया है, इसकी डेट, टाइम, अमाउंट मालूम होगा। करंट बैलेंस भी उपभोक्ता देख सकेंगे। इसे यूपीआई के जरिए रिचार्ज किया जा सकेगा। एक मीटर टर्नर होगी, इसमें खंभे से आने वाली सर्विस केबल जोड़ी जाएगी।  स्मार्ट मीटर लगने के
बाद ट्रांसमिशन लॉस कम होगा। अभी लगभग 3 प्रतिशत हानि होती है।
छह में से एक भी नहीं बना सब स्टेशन
रिपोर्ट में पाया गया है कि विभाग में काम की लेट लतीफी का आलम यह है कि यहां छह नए सब स्टेशन तय किए थे, उनमें से एक भी नहीं बन पाया। करीब 250 करोड़ रुपए के कामों में से बमुश्किल 20 करोड़ के काम पूरे किए जा सके।
इस तरह के काम होने थे
योजना के तहत जिन कामों को किया जाना था, उनमें 34 कैपिसिटर लगाने थे महज आठ ही हो पाए, 4 अतिरिक्त पीटीआर लगाने थे, 2 ही हो पाए, 6 नए सब स्टेशन 33/11 06 कवी के स्थापित करने थे, एक भी नहीं बन पाया।  81 किमी लंबी के करीब अतिरिक्त 11 केवी लाइन बिछानी थी, 22.70 किमी ही बिछा पाए।  46 किमी के करीब 33 केवी 40 लाइन बिछानी थी। 0.8 किमी ही बिछा पाए।  926 स्मार्ट मीटर स्थापित 926 करने थे, 66 ही स्थापित हो पाए। इसी तरह से 8442 फीडर पिलर्स बनाने थे, जिसमें से 321 ही बना पाए। 134 किमी नई 11 केवी लाइन डालना थी, 7.31 किमी ही बिछा पाए हैं।

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