संगठन के मामले में जीतू पर भारी पड़ रहे भंवर सिंह

जीतू-भंवर सिंह
  • सचिवों को थमाया गया जिलों का प्रभार

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। आठ माह बाद कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी अपनी नई टीम का गठन नहीं कर सके हैं और अभी यह नहीं कहा जा सकता है कि उनकी टीम का गठन कब तक कर लिया जाएगा। इसके उलट प्रदेश प्रभारी भंवर जितेन्द्र सिंह ने सचिवों की नियुक्ति होने के बाद उन्हें मैदानी स्तर पर सक्रिय करने के लिए जिलों तक के प्रभार आवंटित कर दिए हैं। इसकी वजह से पटवारी की सांगठनिक कार्यशैली पर सवाल खड़े होने लगे हैं। हालांकि वे अपनी टीम पर मुहर लगवाने के लिए लगातार दिल्ली के चक्कर ही काट रहे हैं, हर बार कोई न कोई ऐसी चीज सामने आ जाती है कि दिल्ली दरबार उनके द्वारा दी गई सूची पर अपनी मुहर लगाने से इंकार कर देता है।
हाल ही में पार्टी आलाकमान ने सचिवों की नियुक्तियां की थीं, इन नियुक्तियों को एक पखवाड़े का समय भी नहीं बीता और प्रदेश प्रभारी महासचिव भंवर जितेंद्र सिंह ने अपनी टीम को मैदानी स्तर पर सक्रिय करने के लिए उनके बीच कामकाज का विभाजन कर दिया है।
जिलेवार प्रभार के साथ सचिवों और सह सचिव को मोर्चा-प्रकोष्ठों से समन्वय की जिम्मेदारी सौंपी गई है। कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और प्रदेश प्रभारी भंवर जितेन्द्र सिंह को गति देने का काम शुरू करते हुए पिछले दिनों पदस्थ किए गए प्रभारी सचिवों को एक सप्ताह भी बैठने नहीं दिया है। सभी के बीच काम का बंटवारा कर दिया है। चारों सचिवों को प्रदेश के अंचल के हिसाब से जिले सौंपे गए हैं। ये प्रभारी सचिव राष्ट्रीय नेतृत्व द्वारा दिए गए टारगेट पूरे कराएंगे। साथ ही संगठन की गतिविधियों की जानकारी प्रभारी महासचिव को देंगे।
पटवारी पर समन्वय का संकट
प्रदेश में कांग्रेस और गुटबाजी का गहरा नाता हो चला है। दरअसल प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी युवा और महिलाओं को अपनी टीम में अधिक से अधिक जगह देना चाहते हैं। जबकि कांग्रेस के बड़े नेता खुद को या अपने चाहने वालों को कार्यकारिणी में जगह दिलाना चाहते हैं। यही कारण है कि कई नेता जीतू पटवारी से नाराज चल रहे हैं। कई नेता तो खुलकर भी पटवारी के खिलाफ बयान बाजी कर चुके हैं। पटवारी के सामने परीक्षा की घड़ी है कि पार्टी को कैसे मैनेज करते हैं और कार्यकारिणी में सभी का समन्वय बनाते हैं। दरअसल राज्य में किसी दौर में कांग्रेस सत्ता में थी, संगठन भी मजबूत हुआ करता था, मगर वर्ष 2003 के बाद ऐसी स्थितियां बनी कि कांग्रेस लगातार कमजोर होती गई। अब एक बार फिर से कांग्रेस को मजबूत करने में पार्टी के सभी नेता जुटे हुए है।
किस के पास कौन से जिले
– संजय दत्त को झाबुआ, अलीराजपुर, बड़वानी, धार, खरगोन, खंडवा, बुरहानपुर, हरदा, भोपाल, शाजापुर, आगर मालवा, उज्जैन, देवास, इंदौर जिले की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इन जिलों के अलावा दत्त के प्रदेश कांग्रेस, महिला कांग्रेस और सेवादल के समन्वयक भी रहेंगे।
– चंदन यादव को श्योपुर, मुरैना, भिण्ड, दतिया, ग्वालियर, शिवपुरी, गुना, अशोक नगर, विदिशा, रायसेन, सागर, छतरपुर, टीकमगढ़, निवाड़ी, दमोह, पन्ना और जबलपुर जिला। वे युवा कांग्रेस और इंटक के समन्वयक का काम सौंपा गया है।  
– आनंद चौधरी को रतलाम, मंदसौर, नीमच, राजगढ़, सीहोर, होशंगाबाद, बैतूल, छिंदवाड़ा, नरसिंहपुर, सिवनी, बालाघाट, मंडला, डिण्डौरी, अनूपपुर जिला। इन सभी जिलों में सभी विभागों और प्रकोष्ठों के समन्वय का काम भी दिया गया है।
– रणविजय सिंह लोचन को कटनी, सतना, रीवा, सीधी, सिंगरौली, शहडोल और उमरिया जिला। एनएसयुआई और सोशल मीडिया के समन्वयक का जिम्मा भी दिया गया है।

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