अपने दरकिनार…दलबदलुओं पर दांव

दलबदलुओं पर दांव
  • सभी राजनैतिक दलों ने रखे सिद्धांत ताक पर  

    भोपाल/चिन्मय दीक्षित/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में सत्ता संग्राम की तस्वीर लगभग फाइनल हो गई है। भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियों को उम्मीद है कि  इस बार उनकी जीत होगी। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि दोनों पार्टियों ने सारे समीकरणों को ध्यान में रखकर टिकटों का वितरण किया है। यही वजह है कि इन दोनों पार्टियों के साथ ही अन्य पार्टियों ने अपनों को दरकिनार कर दलबदलुओं पर दांव लगाया है।
    गौरतलब है कि इस बार भाजपा और कांग्रेस में बड़े स्तर पर दलबदल हुआ है। ऐसे में चुनावी समीकरण साधने के लिए भाजपा हो या कांग्रेस, सभी दलों ने दलबदल करने वालों को खूब मौका दिया है। चुनाव में भाजपा और कांग्रेस सहित सभी दलों ने जीत के लिए सब जायज है, की तर्ज पर काम किया है। चंद दिन पहले पार्टी का झंडा थामने वालों को भी मैदान में उतारने में पार्टियों ने संकोच नहीं किया। पुराने कार्यकर्ताओं के विरोध की आशंका को भी नजरअंदाज कर जीत की आशा में दलबदल कर आए नेताओं को टिकट दिया है। ज्यादातर नेताओं ने टिकट मिलने की शर्त पर ही पार्टियों की सदस्यता ली और सफल भी रहे।
    भाजपा-कांग्रेस में इनको टिकट
    इस बार के चुनाव में दलबदलुओं का दम देखने को मिल रहा है। जिन नेताओं ने टिकट की चाह में पार्टी बदली है, उनमें से अधिकांश को टिकट मिल गया है। भाजपा ने सपा से आए विधायक राजेश शुक्ला, वारासिवनी से निर्दलीय विधायक प्रदीप जयसवाल, सुसनेर से निर्दलीय विधायक विक्रम सिंह राणा और बड़वाह से कांग्रेस विधायक सचिन बिरला को टिकट दिया है। उधर, कांग्रेस ने निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा, केदार डाबर के अलावा भाजपा से आए कई नेताओं को प्रत्याशी बनाया है। इस कारण पुराने कार्यकर्ताओं की नाराजगी भी सभी दलों को झेलनी पड़ रही है। भाजपा-कांग्रेस में कुछ प्रत्याशी तो ऐसे भी हैं,जो दो-दो बार पार्टी बदल चुके हैं। इसी वर्ष भाजपा से कांग्रेस में आए पूर्व मंत्री दीपक जोशी को कांग्रेस ने खातेगांव, भंवर सिंह शेखावत को बदनावर, अभय मिश्रा को सेमरिया, समंदर पटेल को जावद, रामकिशोर शुक्ला को डा. आंबेडकर नगर (महू), बैजनाथ कोलारस, राव यादवेंद्र सिंह यादव को मुंगावली, नीरज शर्मा को सुरखी और बोधसिंह भगत को कटंगी से टिकट दिया है। अभय मिश्रा दूसरी बार भाजपा छोडक़र हफ्ते भर पहले ही कांग्रेस में गए हैं। वह दोनों दलों से विधानसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं। उन्हें सेमरिया से उम्मीदवार बनाया है। दो दिन पहले की कांग्रेस छोड़ भाजपा में आए सिद्धार्थ तिवारी को भाजपा ने त्योंथर से प्रत्याशी बनाया है। वह यहां से कांग्रेस से टिकट मांग रहे थे। हालांकि, दल बदल कर चुनाव मैदान में उतरे। प्रत्याशियों के लिए चुनौती कम नहीं है। उनका हर जगह विरोध हो रहा है।
    बसपा ने कईयों को दिया टिकट
    कांग्रेस और भाजपा से नाराज होकर बसपा में आने वाले बड़े नेताओं को पार्टी ने 24 घंटे में टिकट दे दिया। सतना जिले की नागौद विधानसभा से कांग्रेस के पूर्व विधायक यादवेंद्र सिंह, भिंड जिले के लहार से भाजपा के पूर्व विधायक रसाल सिंह, सतना से भाजपा नेता रत्नाकर चतुर्वेदी को बसपा ने टिकट दिया है। पार्टी ने शनिवार को पांच उम्मीदवारों की सूची जारी की, जिनमें चार भाजपा-कांग्रेस से आए हैं। इससे इन सीटों पर बसपा के उन कार्यकर्ताओं में नाराजगी है, जो पिछले पांच साल से चुनाव की तैयारी कर रहे थे। भाजपा और कांग्रेस से नाराज नेता बसपा में जाकर इन सीटों से चुनाव लड़ सकते हैं। आम आदमी पार्टी ने भाजपा से पूर्व सांसद लक्ष्मी नारायण यादव के बेटे सुधीर यादव को सागर जिले की बंडा सीट से टिकट दिया है।

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