चुनाव से पहले मिल जाएगी मप्र को पहले 8 लेन एक्सप्रेस-वे की सौगात

एक्सप्रेस-वे

नहीं खाने पड़ेंगे हिचकोले, 120 की स्पीड से चलेंगे वाहन …

भोपाल/विनोद उपाध्याय/ बिच्छू डॉट कॉम। अगले साल प्रदेश को बड़ी सैगात मिलने जा रही है। यह सौगात है दिल्ली- वडोदरा एक्सप्रेस-वे की। यह एक्सप्रेस वे प्रदेश में गरोठ से झाबुआ के बीच से होकर निकल रहा है। खास बात यह है की यह आठ लेन का बनाया जा रहा है। इसका अब तक 85 फीसदी काम पूरा हो चुका है।
इसी तरह से तेरह अन्य सड़कों का काम भी अगले साल पूरा करने का लक्ष्य ठेकेदारों को दिया गया है। यह सड़कें भी प्रदेश के कई हिस्सों से होकर गुजरती हैं। यह बात अलग है की इनमें से कई सड़कों काम बेहद धीमी गति से चल रहा है, जिसकी वजह से उनका काम समय पर पूरा होने की उम्मीद कम दिख रही है। बताया जा रहा है की एक्सप्रेस वे को पूरा होने में करीब दस माह का समय लग सकता र्है। यह एक्सप्रेस-वे ग्रीनफील्ड एलाइनमेंट रोड है। जिसका निर्माण जंगल, खेत, बंजर भूमि पर किया जा रहा है। खास बात यह है की इसके निर्माण में सभी तरह की सुविधाओं के साथ ही निगरानी के लिए हर किलोमीटर पर एक हाई रिजोल्यूशन कैमरा भी लगाए जा रहे हैं। खास बात यह है की इस एक्सप्रेस वे पर  वीआइडीएस (वीडियो इंसिडेंट डिटेक्शन सिस्टम) के जरिए गलत एंट्री और एग्जिट पर कंट्रोल रूम से नजर रखी जाएगी। यही नहीं  प्रत्येक 5 किमी पर व्हीकल स्पीड डिटेक्शन सिस्टम के जरिए वाहनों की गति की निगरानी भी की जाएगी। गौरतलब है की इस एक्सप्रेस-वे का निर्माण कार्य 2019 में शुरू किया गया था। यह देश के सबसे बेहतरीन मार्गों में एक माना जा रहा है। इस मार्ग को नेशनल हाइवे अथॉरिटी आॅफ इंडिया की देखरेख में बनाया जा रहा है। भारत माला परियोजना के तहत मोदी सरकार की देशभर के लोगों के लिए यह बड़ी सौगात मानी जा रही है। खास बात यह है की यह एक्सप्रेस वे हरियाणा के 3 , राजस्थान के 7, मध्यप्रदेश के 3 और गुजरात के 3 जिलों सहित कुल 16 जिलों को आपस में जोड़ रहा है। देश का यह बेहतरीन मार्ग आठ लेन का होने की वजह से करीब सौ मीटर चौड़ा बनाया जा रहा है।
देरी की यह वजह
केंद्र सरकार पिछले डेढ़ साल से करीब दो हजार किलोमीटर सड़कें बनवा रही है। ये अब तक तैयार हो जातीं, लेकिन कोरोना, भूमि अधिग्रहण, वन एवं पर्यावरण की मंजूरी, भवन विस्थापन में देरी के चलते काम पिछड़ गया है। सरकार ने इन सड़कों को 2023 तक पूरा करने का लक्ष्य दिया है। नेशनल हाइवे अथॉरिटी आॅफ इंडिया प्रदेश में आरओबी, पुल भी दो साल से बना रहा है। काम पूरा करने एक से डेढ़ वर्ष का समय दिया गया है। इनमें बीना-कटनी रेलवे लाइन पर आरओबी, सागर-खुरई-बीना रेलवे लाइन पर आरओबी, टीकमगढ़-झांसी रोड पर जामनी नदी पर पुल, सागर-छतरपुर रोड पर पुल शामिल हैं।
दोनों तरफ से होगी 6-6 फिट ऊंची दीवार
एक्सप्रेस-वे के दोनों तरफ 6-6 फिट की ऊंची दीवार होगी। इक्जिट प्वाइंट के अलावा  इस रोड में कहीं से भी वाहन प्रवेश नहीं कर पाएंगे। प्रदेश में 5 इक्जिट प्वाइंट बनाए जाएंगे, जिसमें मंदसौर में 3, रतलाम में 3 और झाबुआ जिले में एक होगा। इन प्वांइटों पर  ब्रिज बनाया जाएगा। प्रवेश द्वार पर कैमरे लगाए जाएंगे। एक्सप्रेस-वे में प्रवेश करने वाले वाहन कैमरे की नजरों से होकर गुजरेंगे। वाहनों के निकलते ही वह वाहनों का नम्बर अपने आप रीड कर कम्प्यूटर में इंट्री करेगा। इंट्री प्वाइंट में कम्प्यूटर में यह रिपोर्ट तैयार की जाएगी कि कौन से नम्बर का वाहन किस समय पर और किस तारीख को एक्सप्रेस-वे में प्रवेश किया है।
आखिरी में होगी टोल वसूली
वाहन चालकों से टोल वसूली प्रवेश के दौरान नहीं की जाएगी, जब वे वाहन एक्सप्रेस-वे से वाहर लेकर निकलेंगे तब उनसे टोल वसूली की जाएगी। इन वाहनों में अगर फास्टैग है तो उन्हें एक्सपे्रस वे के बाहर निकलते समय रुकने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी। अगर वाहन में फास्टैग नहीं है, तो उसे टोल पर कुछ समय के लिए रूककर हिसाब-किताब कराना पड़ेगा, क्योंकि टोल वसूली किलोमीटर के हिसाब से की जाएगी। एक्सप्रेस-वे की डिजाइन 120 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से वाहन दौड़ाने के लिए डिजाइन तैयार की गई है। इससे कम रफ्तार वाहनों की नहीं होगी। एक्सप्रेस वे में क्रासिंग अथवा स्पीड ब्रेकर भी नहीं बनाया जाएगा। जिससे वाहन चालक कम समय में ज्यादा से ज्यादा दूरी तय कर सकें।

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