बेडेकर की सक्रियता से लाडली की बची जान

बेडेकर

इंदौर/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। बदलते समय के साथ सरकार अमले में भी संवेदनशीलता समाप्त होती जा रही है , लेकिन अभी भी कई अफसर ऐसे हैं, जो न केवल संवेदनशीलता के मामले में आगे हैं बल्कि, मानवीय धर्म भी उनकी पहली प्राथमिकता होती है। ऐसे ही एक अफसर हैं इंदौर में एडीएम के पद पर पदस्थ अभय बेडेकर। उनकी संवेदनशीलता की वजह से एक लाडली की जान बच गई है।फिलहाल वह लाडली अस्पताल में स्वास्थ्य लाभ ले रही है।
 दरअसल हाल ही में ग्राम कुआंजागर निवासी अंगूरबाला पति अजय मौर्य को 17 अप्रैल को प्रसव पीड़ा होने पर एमसीएच हॉस्पिटल रतलाम में भर्ती करवाया गया था, जहां पर उसने एक सात माह की बच्ची को जन्म दिया। जिसका वजन बहुत कम होने से उसकी हाल चिंताजनक बनी हुई थी। इसकी वजह से उसे 19 अप्रैल को रतलाम से इंदौर एमवाय अस्पताल रैफर किया गया। एमवाय अस्पताल से चाचा नेहरू हॉस्पिटल भेजा गया, वहां से उसे एमटीआई इंदौर में भेज दिया गया। इसके बाद बच्ची के पिता से कहा गया कि उसे बीमारी है, जिसका आपरेशन प्राइवेट हॉस्पिटल में करवाना पड़ेगा। इसके बाद उसकी 21 अप्रैल को छुट्टी कर दी गई। पिता के पास इतना पैसा नहीं था कि प्राइवेट अस्पताल में इलाज करवा सके। पिता बच्ची को बस से लेकर वापस रतलाम एमसीएच में आ गया। इसके बाद पिता चार दिन से बच्ची के ऑपरेशन के लिए रतलाम से इंदौर और इंदौर से रतलाम चक्कर लगाता हुआ दर-दर की ठोकर खाता रहा। इस बीच 10 दिन की बच्ची बिना मां के दूध के सिर्फ बोतल के सहारे ही रही। चूकि पिता अत्यंत गरीब था, सो वह हिम्मत हार गया। इस बीच किसी ने उसकी जानकारी इंदौर महाकाल सेवा समिति को दी। इसके बाद जय्यू जोशी ने इंदौर के अपर कलेक्टर अभय बेडेकर से चर्चा की, तो उन्होंने तत्काल बच्ची के फोटो बुलाए और नाजुक स्थिति को देखते हुए अरबिंदो हॉस्पिटल में रात 3 बजे जय्यू जोशी की मदद से उसे भर्ती करवा दिया । डॉक्टरों ने  का कहना है कि बच्ची को ऐना रेक्टर मालफार्मेशन बीमारी है। कहते हैं कि भारत में 4-5 हजार बच्चों में से किसी एक बच्चे को यह बीमारी होती है। ऑपरेशन का खर्च 3 से 4 लाख रुपए होता है। बच्ची के तीन ऑपरेशन होंगे और उसके लिए 2 महीने बच्ची को हॉस्पिटल में रखना पड़ेगा। इस पर गरीब पिता ने कहा कि वह 2 माह हॉस्पिटल में नहीं रुक सकता , भले ही बच्ची मर जाए। उसका कहना था कि अगर वह अस्पताल में रुकेगा तो मजबूरी छोडऩी पड़ेगी जिसकी वजह से परिवार भूखा मर जाएगा।
पिता को फोन पर समझाया
महाकाल मानव सेवा के सभी सदस्यों द्वारा बच्ची को बचाने के लिए तुरंत पिता को फोन के माध्यम से समझाने का प्रयास किया गया, उसे सदस्यों के द्वारा 300 रुपए रोज की मजदूरी दिलाने की भी बात कही गई। तब जाकर बहुत मुश्किल से वह रुकने को तैयार हुआ। अभी बच्ची आईसीयू में एडमिट है। सिद्धार्थ शर्मा द्वारा उसके घर एक माह का राशन भिजवाया गया है। इस तरह एक बच्ची की जान बचाने के लिए प्रशासन से लेकर सभी सामाजिक कार्यकर्ता लगे हुए हैं। बच्ची को बेहतर चिकित्सा उपलब्ध कराने में अपर कलेक्टर अभय बेडेकर ने सराहनीय सहयोग किया, जिससे बच्ची को बेहतर इलाज मिलना शुरू हो सका है। इस कार्य में महाकाल सेवा संगठन के जय्यू जोशी, प्रियांशु पांडे, सिद्धार्थ शर्मा महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।

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