नक्सल प्रभावित बालाघाट में टांगे बैनर-पोस्टर

नक्सल
  • शहीदी सप्ताह मनाने का है उल्लेख…

    भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। बालाघाट जिले के नक्सल प्रभावित क्षेत्र चालीस बॉडी तिराहे पर शहीदी सप्ताह मनाने को लेकर बैनर-पोस्टर टांगे जाने का दावा किया जा रहा है। हालांकि, इस सिलसिले में पुलिस ने पुष्टि नहीं की है पर सोशल मीडिया में वायरल बैनर-पोस्टर कई सवाल उठा रहे हैं। बालाघाट जिले में रूपझर थाने की सोनेवानी पुलिस चौकी है। उसके नजदीक इस बार भी नक्सलियों ने शहीदी सप्ताह के बैनर पोस्टर टांग दिए हैं। जिससे इलाके में लाल आतंक की दहशत फिर बढ़ गई है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक यहां चालीस बॉडी तिराहे के कॉर्नर पर लाल रंग का बैनर टांगा गया है। साथ ही वहीं एक पर्चा चस्पा किया गया है। जिसमें 28 जुलाई से तीन अगस्त तक शहीदी सप्ताह मनाने का ऐलान किया गया। नक्सली शहीदी सप्ताह पुलिस एनकाउंटर में मारे गए अपने पुराने साथी की याद में मनाते हैं। जिसमें किसी वारदात को अंजाम देने की परंपरा होती है। नक्सलियों के बैनर टांगने को लेकर पुलिस इनकार कर रही है। हालांकि, नक्सली क्षेत्रों में सर्चिंग बढ़ा दी गई है। पुलिस अलर्ट मोड पर है।  सूत्र बताते है कि शहीदी सप्ताह के बैनर पर्चे की फोटो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद पुलिस ने उन्हें अपने कब्जे में ले लिया। कुछ अन्य जगहों पर पर्चे फेंके जाने का भी दावा किया जा रहा है। पुलिस का कहना है कि वह पूरी तरह सक्रिय है और हर स्थिति से निपटने के तैयार है। बता दें कि नक्सलियों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने  के लिए शिवराज सरकार एक योजना ला रही है। जिसका नाम समर्पण नीति दिया गया है। योजना के मुताबिक यदि नक्सली खुद सरेंडर करते हैं तो उन्हें पांच लाख रुपये नगद, निशुल्क प्रधानमंत्री आवास और खेती के लिए जमीन दी जाएगी। उनके पीड़ित परिवारों को भी राहत देने की योजना है। गृह मंत्रालय ने इसका एक प्रस्ताव बनाकर कैबिनेट में भेज दिया है। वहां से प्रस्ताव पास होते ही नक्सली समर्पण नीति के लाभ के हकदार बन जाएंगे। सरकार की योजना के मुताबिक आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को आत्मनिर्भर भी बनाया जाएगा। इसके लिए कौशल विकास का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।
    हर साल 24 करोड़ से ज्यादा खर्च: मध्य प्रदेश के बालाघाट, मंडला और डिंडोरी नक्सल प्रभावित जिले हैं। यहां पर नक्सली गतिविधियों पर नकेल कसने के लिए पिछले कई सालों से हॉक फोर्स को तैनात किया गया है और केंद्र सरकार से भी मुख्यमंत्री और गृहमंत्री मिल चुके हैं और उनसे स्पेशल फोर्स तैनात करने की मांग भी की है। लेकिन इसके बावजूद भी नक्सल गतिविधियां लगातार बढ़ रही हैं। इन जिलों में नक्सली, सरकार विरोधी पर्चे भी बांटते रहते हैं और तकरीबन 4 महीने पहले कान्हा के 1 कर्मी को मार कर उसके शरीर पर पोस्टर चिपका दिए थे। गौरतलब है कि प्रदेश सरकार द्वारा कान्हा नेशनल पार्क के साथ-साथ वनों की सुरक्षा के लिए गठित पुलिस बल पर हर साल 24 करोड़ से ज्यादा खर्च किए जाते हैं। तो वहीं, नसल प्रभावित जिलों के लिए अलग से भी फंड की व्यवस्था की गई है। हाल की खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक छाीसगढ़ और महाराष्ट्र से करीब 200 नसली पिछले कुछ महीनों में डिंडोरी, बालाघाट में अपना आधार बढ़ा रहे हैं। प्रदेश के गृह विभाग ने नक्सली खतरे से निपटने के लिए अर्धसैनिक बलों की छह कंपनियां बालाघाट और मंडला में तैनात की हैं और नक्सल विरोधी विंग हॉक पहले से ही बालाघाट में तैनात है।
    पिछले महीने तीन नक्सली ढेर
    पिछले महीने बालाघाट के कांदला खराड़ी के जंगल में तीन इनामी नक्सलियों को पुलिस ने ढेर किया था। जिसमें एक महिला नक्सली भी शामिल थी। पुलिस मुठभेड़ में मारे गए नक्सलियों के बाद इलाके के लोगों ने भी राहत की सांस ली थी। वहीं सरकार की नई योजना की चर्चा से लग रहा था कि इस बार नक्सली शहीदी सप्ताह जैसा कोई आयोजन नहीं करेंगे। लेकिन नक्सली फिर सक्रिय हो गए हैं। प्रदेश का कान्हा टाइगर रिजर्व, जोकि 940 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। यहां पर 70 फीसदी इलाका नक्सलवाद की चपेट में आ गया है। 4 महीने पहले नक्सलियों ने तीन वन कर्मचारियों की हत्या कर दी थी। साथ ही एक वनकर्मी की मुखबिरी के शक में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इसे लेकर केंद्रीय वन मंत्री ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी पत्र लिखा था और पूरे मामले पर सघन जांच करने के आदेश भी दिए थे।

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