मृत खाताधारकों को भी लगाया बैंक अफसरों ने चूना

मृत खाताधारकों
  •  ईओडब्ल्यू की जांच में सनसनीखेज खुलासा…

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। बैंक अफसरों और कर्मचारियों ने मिलकर 81 खाताधारकों को लाखों रुपयों का चूना लगा दिया है। इनमें से कई खाताधारक तो ऐसे हैं, जिनकी मौत तक हो चुकी है। खाताधारकों के नाम पर राशि हड़पने के लिए बैंक अफसरों व कर्मचारियों ने मिलकर उनकी कर्ज सीमा तो बढ़ाई ही साथ ही उनके व्यवसाय तक को बदल डाला। इस कारनामें की जानकारी जब खाताधारकों को मिली तो उनके होश उड़ गए। मामले में परेशान खताधारकों को जब बैंक प्रबंधन से मदद नही मिली तो उनके द्वारा मामले की शिकायत आर्थिक अपराध ब्यूरो में की गई, जिसकी जांच में यह खुलासा हुआ है। मामला सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया का है। इस मामले में जांच के दौरान पता चला कि बैंक अधिकारियों और कर्मचारियों ने बैंक की राशि हड़पने के लिए जिन 81 खाताधारकों के खातों का उपयोग किया, उनमें से 17 की मौत हो गई थी और 64 खाताधारक ऋण की सीमा बढ़वाने से साफ इनकार कर चुके थे। आरोपियों ने खाताधारकों की मनाही को अपने लिए अवसर की तरह लिया और उसके बाद किसान क्रेडिट कार्ड और मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के खातों की ऋण सीमा बढ़ाकर उसमें राशि जमा की और फिर खुद राशि का आहरण कर डाला। ईओडब्ल्यू की भोपाल इकाई ने पांच दिन पहले लगभग एक करोड़ रुपए का फर्जीवाड़ा करने वाले सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की घोड़ाडोंगरी शाखा के अधिकारियों और कर्मचारियों सहित कुल 13 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। बैंक की शाखा में इलाके के कुल 81 लोगों ने खाते खुलवाए थे। उस खाते के जरिए लोगों ने किसान क्रेडिट कार्ड और मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत ऋण लिए थे। उक्त खाते लंबे समय से संचालित नहीं हो रहे थे। बैंक की अंदरूनी जांच में अधिकारियों ने पता चला कि उक्त बैंक खातों से लेन-देन लंबे समय से नहीं हो रहा है। खाताधारक भी लंबे समय से बैंक नहीं आ रहे हैं। उसके बाद बैंक अधिकारियों ने मातहत कर्मचारियों के साथ आपराधिक षड्यंत्र रचा और बैंक की राशि हड़पने की योजना तैयार कर ली। जांच में बैंक अधिकारियों को यह जानकारी मिली कि कुल 81 ऐसे खाते हैं, जिनका उपयोग बंद है। सत्यापन में पता चला कि उसमें से 17 खाताधारकों की मौत हो चुकी है। बचे हुए 64 खाताधारकों से संपर्क किया गया, तो उन्होंने अपने खाते की ऋण सीमा बढ़ाने से इनकार कर दिया। उसके बाद खाताधारकों के बिना आवेदन किए फर्जी दस्तावेज, फर्जी हस्ताक्षर और फर्जी अंगूठे का उपयोग कर बैंक अफसरों ने अपनी ओर से आवेदन किया और नवीनीकरण करने की प्रक्रिया आरंभ कर दी। फर्जी आवेदन के आधार पर सभी 81 बैंक खातों में किस्तों में राशि जमा कर दी गई और फिर बैंक के कर्मचारियों और अधिकारियों ने खुद उसका आहरण कर लिया। बताते हैं कि बैंक अफसरों ने यह पूरी गड़बड़ी एकल विंडो खिडक़ी में बैठने वाले कर्मचारी और बैंक कैशियर के जरिए कराई थी। नियमानुसार कर्मचारियों की ओर से जो रिपोर्ट दी जाती है, उसका बैंक के अफसरों को मौके पर जाकर सत्यापन करना होता है। चूंकि अफसरों की मिलीभगत थी, लिहाजा उन्होंने मौके पर जाकर सत्यापन करना उचित नहीं समझा। जब मामले की शिकायत हुई और ईओडब्ल्यू ने मामले की जांच की, तब बैंक अफसरों के गुनाहों की परतें खुलने लगीं। ईओडब्ल्यू की जांच में बैंक के अधिकारियों और कर्मचारियों की ओर से उपयोग किए गए हस्ताक्षर और अंगूठे के निशान का मिलान खाताधारकों के पुराने हस्ताक्षर और अंगूठे के निशान से नहीं हुआ। इससे साफ हो गया कि बैंक अफसरों ने फर्जी तरीके से ऋण सीमा बढ़ाने का आवेदन दिया था। खास बात यह कि फर्जी आवेदन में खाताधारकों का व्यवसाय भी बदल दिया गया था।
चार साल के बीच दिया अंजाम
किसानों को ऋण देने के नाम पर किसान क्रेडिट कार्ड और स्वरोजगार के नाम पर दिए जाने वाले ऋण की सीमा फर्जी तरीके से बढ़ाने के मामले को साल 2018 से 2022 के बीच अंजाम दिया गया था। सभी 81 बैंक खातों में तकरीबन एक करोड़ रुपए की राशि (98.39 लाख) जमा की गई थी और राशि उनके खाते में डालने के बाद आरोपियों ने खुद उसका आहरण कर लिया था। शिकायत की जांच के बाद ईओडब्ल्यू ने इस मामले में धोखाधड़ी, आपराधिक षडयंत्र, कूटरचित दस्तावेज तैयार करने की धाराओं के तहत एफआईआर की है।
यह बनाए गए आरोपी
इस मामले में तत्कालीन शाखा प्रबंधक पीयूष सैनी, सहायक प्रबंधक दीपक सोलकी, हेड कैशियर राजेश नामदेव, एकल खिडक़ी परिचालक मनीष चौहान, बैंक करेस्पांडेट दिलीप यादव, रवि सीलू, विजय बगात्रे , मनोज यादव, उमेश यादव, पूरब चौकीकर, प्रमोद श्रवण, राजा यादव और उमेश यादव को आरोपी बनाया गया है।

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