जैन, राजौरा के साथ सीएस की दौड़ में शामिल हुए बंदोपाध्याय

बंदोपाध्याय

गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में अगला प्रशासनिक मुखिया कौन होगा इसको लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। इस दौड़ में सबसे आगे अनुराग जैन और राजेश राजौरा का नाम शामिल था। माना जा रहा था कि इनमें से ही किसी एक को प्रदेश का अगला मुख्य सचिव बनाया जाएगा। लेकिन अब इस दौड़ में केंद्र सरकार में प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ भारतीय अंर्तदेशीय जलमार्ग प्राधिकरण के अध्यक्ष, 1988 बैच के मप्र कैडर के आईएएस अधिकारी संजय बंदोपाध्याय भी शामिल हो गए हैं। दरअसल, केंद्र सरकार ने उनकी सेवाएं राज्य सरकार को लौटा दी हैं। इसके साथ ही प्रदेश में एक बार फिर मुख्य सचिव बदलने की अटकलें तेज हो गई हैं।
मप्र की मौजूदा मुख्य सचिव वीरा राणा 31 मार्च को रिटायर हो रही हैं, लेकिन डॉ. मोहन यादव सरकार नए सीएस के बारे में लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लगने से पहले निर्णय ले लेगी। ऐसा इसलिए होगा क्योंकि सरकार नहीं चाहेगी कि आचार संहिता लागू होने के बाद नए सीएस की नियुक्ति का मामला चुनाव आयोग पहुंचे। नए सीएस को लेकर अनुराग जैन के अलावा एक और नाम सामने आया है 1988 बैच के अधिकारी संजय बंदोपाध्याय। केंद्र ने उनकी सेवाएं दो दिन पहले ही मप्र को वापस कर कर दी हैं।

प्रशासनिक गलियारों में चर्चाएं तेज
केंद्र सरकार ने प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ भारतीय अंर्तदेशीय जलमार्ग प्राधिकरण के अध्यक्ष, 1988 बैच के मध्यप्रदेश कैडर के आईएएस अधिकारी संजय बंदोपाध्याय की सेवाएं राज्य सरकार को लौटा दी हैं। इसके साथ ही प्रदेश में एक बार फिर मुख्य सचिव बदलने की अटकलें तेज हो गई हैं। बंदोपाध्याय अगले एक हफ्ते में मप्र में आमद दर्ज करा देंगे। इसके बाद संभव है, उन्हें राज्य मंत्रालय में ओएसडी बना दिया जाए। एक संभावना प्रभारी मुख्य सचिव वीरा राणा की जगह नया मुख्य सचिव बनाने की भी है। पूरे घटनाक्रम को लेकर प्रशासनिक गलियारों में चर्चाएं तेज हो गई है। प्रशासनिक फेरबदल की यह पूरी कवायद 29 फरवरी से पहले पूरी होना है। बता दें कि संजय बंदोपाध्याय प्रदेश के सबसे वरिष्ठ आईएएस अधिकारी हैं। प्रभारी मुख्य सचिव वीरा राणा भी 1988 बैच की हैं, लेकिन पदक्रम सूची में उनसे नीचे हैं। मुख्य सचिव बदलने की संभावना इसलिए भी प्रबल है, क्योंकि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अभी तक सचिवालय में किसी भी तरह का बदलाव नहीं किया है। संभव है कि नया मुख्य सचिव या ओएसडी बनने के बाद अधिकारियों की जमावट की जाए। जल्द ही इसको लेकर स्थिति साफ हो जाएगी। बंदोपाध्याय इसी साल अगस्त में सेवानिवृत्त होंगे। यदि मुख्य सचिव बनते हैं तो उनका कार्यकाल बढ़ाया भी जा सकता है। वे जुलाई 2018 से केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं। प्रभारी मुख्य सचिव वीरा राणा 31 मार्च को सेवानिवृत्त होंगी। माना जा रहा है कि वे अपना कार्यकाल पूरा कर लेंगी। ऐसे में बंदोपाध्याय को पहले ओएसडी बना दिया जाएगा। यदि नया मुख्य सचिव बनाने की प्रक्रिया लोकसभा की आचार संहिता लगने के बाद शुरू होती है तो फिर फैसला चुनाव आयोग करेगा। जिसमें वरिष्ठता के आधार पर ही मुख्य सचिव तय होगा।

बंदोपाध्याय वरिष्ठता की श्रेणी में सबसे ऊपर
 संजय बंदोपाध्याय के मप्र लौटने के बाद वे वरिष्ठता की श्रेणी में सबसे ऊपर रहेंगे। यदि किसी कारण से बंदोपाध्याय मुख्य सचिव की दौड़ में नहीं रहते हैं ,तो फिर दूसरे सबसे वरिष्ठ अधिकारी 1989 बैच के मोहम्मद सुलेमान हैं। तब वरिष्ठता के आधार पर चुनाव आयोग ही मुख्य सचिव का फैसला करेगा। विधानसभा चुनाव की आचार संहिता के दौरान 30 नवंबर 2023 को इकबाल सिंह बैस के सेवानिवृत्त होने पर चुनाव आयोग ने वरिष्ठता के आधार पर ही वीरा राणा के नाम पर मुख्य सचिव पद के लिए मुहर लगाई थी। फिलहाल प्रदेश के मुख्य सचिव की दौड़ से दूसरी बार आईएएस अनुराग जैन बाहर नजर आ रहे हैं। उन्होंने तब दौड़ लगाई थी जब जरूरत नहीं थी, अब केन्द्र में पदस्थ होने से उनका नाम शायद सबसे नीचे आ गया है। इस रेस में नंबर दो पर अभी भारत सरकार में पदस्थ आशीष उपाध्याय का नाम है। यदि मध्य प्रदेश में घटनाक्रम और मंथन का दौर चला, तो उसमें अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य मेडिकल चिकित्सालय मोहम्मद सुलेमान, अपर मुख्य सचिव पशुपालन जेएन कंसोटिया, अपर मुख्य सचिव गृह डॉ. राजेश राजौर और नर्मदा घाटी के अपर मुख्य सचिव एसएन मिश्रा में से कोई एक नाम सामने आ सकता है। एमपी कैडर के संजय बंदोपाध्याय 1988 बैच के आईएएस हैं। इसका बड़ा फायदा ये हो सकता है कि उनके आने के बाद मंत्रालय से किसी भी सीनियर आईएएस को बाहर नहीं जाना पड़ेगा। क्योंकि जूनियर बैच का आईएएस जब सीएस बनता है तो , सीनियर आईएएस को मंत्रालय से बाहर या फिर प्रतिनियुक्ति पर जाना पड़ता है। अनुराग जैन व संजय बंदोपाध्याय के अलावा जिन आईएएस अधिकारियों के नाम सीएस के दावेदार के रूप में चर्चा में हैं, उनमें एसीएस डॉ. राजेश राजौरा, एसएन मिश्रा और मलय श्रीवास्तव भी शामिल हैं। ये सभी 1990 बैच के अफसर हैं। इनके साथ ही 1989 बैच के एसीएस विनोद कुमार, जेएन कंसोटिया के नाम की भी चर्चा है। विनोद कुमार मई 2025 और कंसोटिया अगस्त 2025 में रिटायर होंगे।

फरवरी के पहले हफ्ते तक हो जाएगा नाम तय
मौजूदा सीएस वीरा राणा की नियुक्ति 30 नवंबर को चुनाव आयोग की सहमति से हुई थी, क्योंकि, तब प्रदेश में विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लागू थी। वीरा राणा ने 1 दिसंबर को चार्ज लिया था। अब फिर वैसी स्थिति नहीं बने, इसके लिए यह माना जा रहा है कि फरवरी के पहले हफ्ते तक नए सीएस की नियुक्ति हो जाएगी। ऐसे में नए मुख्य सचिव के लिए हलचल तेज हो गई है। नए अफसर को सीएस बनाने का फैसला लेने के लिए भी सरकार के पास ज्यादा समय नहीं है। माना जा रहा है कि 15 फरवरी के बाद कभी भी लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लग सकती है। ऐसे में सरकार इससे पहले ही फैसला ले लेगी, ताकि नए सीएस को चुनाव से पहले प्रशासनिक जमावट और अफसरों से तालमेल के लिए पूरा समय मिल सके। आचार संहिता लागू होने तक यदि सरकार ने नए सीएस के बारे में फैसला नहीं लिया तो गेंद चुनाव आयोग के पाले में चली जाएगी। ऐसी स्थिति में आयोग सबसे सीनियर आईएएस को मुख्य सचिव का प्रभार देगा, जैसा कि वीरा राणा के मामले में हुआ।

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