अनुसूचित जनजाति के लोगों को मिली बढ़ी राहत
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। लंबे समय से जंगल में पेड़ों से गोंद निकालने पर लगी पांबदी को अब डां मोहन यादव की सरकार ने हटा दिया है, जिससे प्रदेश के तीन जिलों के अनुसूचित जनजाति के लोगों को बड़ी राहत मिली है। इनमें बुरहानपुर, खंडवा, देवास जिले शामिल हैं। राज्य सरकार ने पेड़ों से गोंद निकालने पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया है। यह प्रतिबंध इस शर्त पर हटाया गया है कि गोंद प्राकृतिक तरीके से वृक्ष को नुकसान पहुंचाए बगैर निकाली जाएगी। अन्य जिलों में यह प्रतिबंध यथावत रहेगा। दरअसल, धार जिले की मनावर सीट से कांग्रेस विधायक हीरालाल अलावा ने राज्य शासन को पत्र लिखकर यह मामला उठाया था। अलावा के पत्र के जवाब में वन विभाग ने उन्हें अब सूचित किया है कि इन तीनों वनमंडलों में गोंद निकालने पर लगा प्रतिबंध हटा दिया गया है। गोंद धावड़ा और सलाई के पेड़ों से लिया जाता है, लेकिन ज्यादा लाभ के चक्कर में माफिया व्यापारी जंगल के आदिवासियों को अप्राकृतिक तरीके से इथिफोन रसायन का इंजेक्शन लगाकर गोंद निकालने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। रासायनिक इंजेक्शन लगाने से इन पेड़ों को जहां पर्यावरणीय नुकसान होता है, वहीं पेड़ निर्धारित क्षमता से अधिक गोंद उगलते हैं, इनमें रसायन का मिश्रण भी हो जाता है, जो सेहत के लिए खासतौर पर प्रसव करने वाली महिलाओं के लिए बेहद नुकसानदायक होता है। इंजेक्शन लगाए जाने से पांच-छह साल में वृक्ष नष्ट होने लगते हैं। ऐसे में गोंद माफिया पर वन विभाग नजर भी रखेगा। गोंद निकालने की प्रक्रिया हर साल नवंबर से जून तक की जाती है। वनमंडलों के डीएफओ को अधिकार रहता है कि वे अप्राकृतिक तरीके से गोंद निकालने पर प्रतिबंध लगा सकें।
सलई गोंद की बाजार में अधिक मांग
वनों में गोंद सलई, गुग्गल, धावड़ा, कुल्लू, पलाश, खैर, बबूल एवं साजा आदि वृक्षों से मिलता है। इनमें सलई गोंद का उपयोग औषधीय रूप से पूजन व हवन सामग्री, पेंट तथा वार्निश निर्माण में किया जाता है तथा इसकी मांग पेपर, टेक्सटाइल, खाद्य उद्योग, फार्मास्युटिकल, पेट्रोलियम तथा अगरबत्ती उद्योग आदि में भी है। इससे सुगंधित तेल भी बनता है। जहां इसका निर्यात होता है, वहीं इसकी महत्ता को देखते हुए इसकी तस्करी भी होती है। मप्र में सलई के वृक्ष खंडवा, देवास, बुरहानपुर, शिवपुरी, श्योपुर, ग्वालियर, टीकमगढ़, बड़वानी, झाबुआ, सतना, अशोकनगर, गुना, मंडला एवं डिंडौरी में जाए जाते हैं।