भोपाल के पर्यटन स्थलों का… बुरा हाल

पर्यटन

भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। भोपाल भारत की हृदय नगरी मध्यप्रदेश की राजधानी है। भोपाल शहर का बड़ा तलाब और छोटा तलाब बहुत ही लोकप्रिय है। भोपाल घूमने आने वाले पर्यटकों के लिए यह अतिमनमोहक स्थान है। भोपाल शहर में शौर्य स्मारक, भारत भवन, भीमबैठका, शहीद भवन, बिड़ला मंदिर, वन विहार, वाटर पार्क ये सभी यहां आने वाले पर्यटकों को अपनी आकर्षित करते हैं। इसीलिए लिए भोपाल घूमने आने वाले पर्यटकों के लिए भोपाल शहर आर्कषण का केन्द्र बना हुआ है। इससे यहां करोड़ों रुपए की कमाई भी होती है। लेकिन विडंबना यह है कि करोड़ों की कमाई के बाद भी इन स्थलों तक जाने के लिए परिवहन की सुविधा नहीं है।  ट्रांसपोर्टेशन अधोसंरचना की कमी के कारण राजधानी और इसके आस- पास प्राकृतिक, पुरातत्व और स्थलों के बीच ऐतिहासिक स्थलों पर भ्रमण करने आने वाले पर्यटकों की परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। हर माह भोपाल में करीब चार लाख पर्यटक राजधानी सहित आसपास के स्थलों पर भ्रमण के लिए जाते हैं, लेकिन उन्हें इन स्थानों तक पहुंचने के लिए ट्रांसर्पोटेशन सिस्टम से ही जूझना पड़ता है। यदि जिला व नगर निगम प्रशासन बीसीएलएल के माध्यम से शहर के पर्यटन स्थलों को जोड़ते हुए टूरिस्ट ट्रांसपोर्ट सिस्टम विकसित करें तो लाभ होगा।

हर माह करीब 50 करोड़ की आय
राजधानी भोपाल में यूं तो स्थानीय पर्यटन स्थलों की कमी नहीं है पर कुछ स्थान तो इतने विख्यात हो गए हैं कि अब लोग दूर-दूर से यहां आते हैं। राजधानी का बड़ा तालाब, वनविहार जैसे टूरिस्ट प्लेसेस की तरह मध्य प्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम की इकाई सैर सपाटा भी इनमें शामिल है। एक अनुमान के अनुसार बेहतर ट्रांसपोर्ट अधोसंरचना से भोपाल व इससे जुड़े पर्यटन स्थलों को हर माह करीब 50 करोड़ रुपए की आय हो सकती है। वहीं नव वर्ष से लेकर अन्य मौकों पर टूरिस्ट की संख्या भी बढ़ेगी। आवागमन सुगम होने से पर्यटन भी बढ़ेगा, साथ ही नया साल मनाने के लिए नए विकल्प भी खुल सकेंगे।

धरोहरों तक जाने के लिए सार्वजनिक परिवहन नहीं
भोपाल के अंदर ही बड़ा तालाब, वन विहार और संग्रहालय पहुंचने के लिए लोकल बसें तो हैं, लेकिन पर्यटकों को इसकी जानकारी कैसे मिले, इसके इंतजाम नहीं हैं। इसके साथ ही शहर से 40 से 60 किमी दूरी तक विश्व धरोहरें हैं, यहां पहुंचने के लिए पर्यटकों को निजी और अपेक्षाकृत महंगे इंतजाम करने पड़ते हैं। भोपाल से 31 किमी दूरी पर भोजपुर में भगवान शिव का एक रहस्यमय मंदिर है। सबको आकर्षित करता है। इसे 11 शताब्दी में बना हुआ माना जाता है। आर्कियोलॉजी आॅफ इंडिया की सूची में शामिल है। भोपाल से करीब 44 किमी दूरी पर भीमबेटका एक पुरातत्व महत्व की साइट्स हैं। रॉक शेल्टर्स हैं, चित्रकारी है। ये करीब 30 हजार साल पुरानी है। 2003 में इसे विश्व धरोहर घोषित किया गया था। भोपाल में बड़ा तालाब, छोटा तालाब, वन विहार राष्ट्रीय उद्यान, नेशनल म्यूजियम, स्टेट आर्कियोलॉजीकल म्यूजियम, बिरला मंदिर व म्यूजियम, गौहर महल, कलियासोत वन क्षेत्र, केरवा डेम व अन्य शामिल हैं। भोपाल से करीब 48 किमी दूरी पर ये बुद्धिस्ट स्मारक है। सांची स्तूप पत्थरों से बने देश के सबसे पुराने स्ट्रक्चर है। यूनेस्को की विश्व धरोहरों में शामिल है। भोपाल से 57 किमी दूरी पर उदयगिरि की गुफाएं स्थित है। ये विदिशा के पास है। भगवान विष्णु के पांव माने जाते हैं। यहां 22 गुफाएं हैं। महापौर मालती राय का कहना है कि बीसीएलएल के माध्यम से इंतजाम किए जा सकते हैं। इसपर संबंधितों से चर्चा कर संभावनाएं तलाशी जाएंगी।

Related Articles