- 11 दिन में 179 पदों पर भर्ती
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। आमतौर पर मप्र में कोई भी भर्ती प्रक्रिया समय पर नहीं होती है, लेकिन मंत्रालय में चतुर्थ श्रेणी के 179 पदों पर भर्ती की पूरी प्रक्रिया 11 दिनों के भीतर पूरी कर ली है। भर्ती की रफ्तार इतनी तेज और गोपनीय रही न तो कोई विज्ञापन जारी किया गया। न कोई आपत्ति बुलाई गई। यहां तक भर्ती कराने के लिए अधिकारी तैयार नहीं हुए तो मंत्रालय के ही लिपिक और चपरासी ने मिलकर 17 सितंबर को छुट्टी के दिन लिखित परीक्षा लेकर भर्ती प्रक्रिया को पूरी कर दिया है। हालांकि यह भर्ती प्रक्रिया शुरू से ही सवालों के घेरे में है, लेकिन मंत्रालय के अफसरों ने नियम-प्रक्रिया से ज्यादा आनन-फानन में भर्ती कराने पर जोर दिया।
सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव श्रीनिवास शर्मा ने 6 सितंबर को सभी मंत्रियों के ओएसडी को पत्र लिखकर मंत्री स्थापना में काम कर रहे चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के आवेदन सामान्य प्रशासन विभाग के सहायक ग्रेड-3 कमल गौर के पास 13 सितंबर तक जमा करने की सूचना जारी की गई। 17 सितंबर को परीक्षा भी ले गई है। खास बात यह है इसके लिए न तो कोई भर्ती प्रक्रिया सार्वजनिक की गई, न ही आरक्षण रोस्टर के बारे में बताया गया। पूरी भर्ती प्रक्रिया गोपनीय तौर पर हुई है। जीएडी सूत्रों ने बताया कि आनन-फानन में की गई भर्ती के चलते जीएडी के अवर सचिव और उपसचिव स्तर के अधिकारियों ने खुद को इस प्रक्रिया से ही अलग कर लिया था। मंत्रालय की अधीक्षण यंत्री ने भी इस भर्ती से दूरी बनाए रखी। हालांकि जिम्मेदारी अधिकारी इस भर्ती प्रक्रिया पर कुछ भी कहने से बच रहे हैं। अब इस भर्ती प्रक्रिया पर कोर्ट के निर्देशों की अवहेलना बताया जा रहा है। कुछ कर्मचारियों ने भर्ती की जांच की मांग उठाई है।
न्यायालय के आदेशों की अवहेलना
संगठनों का कहना है कि इस परीक्षा में न्यायालय के आदेश की अवमानना भी की गई है। बता दें कि इस परीक्षा में मंत्रालय के 210 संविदा कर्मचारी शामिल हुए। मंत्रालय के कर्मचारी बताते हैं कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने कार्यकर्ताओं और मंत्रियों को भ्रष्टाचार के विरुद्ध जीरो टॉलरेंस से कोई समझौता नहीं करने की हिदायत दी है। वहीं उनके स्वयं के सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) में अधिकारी उनकी स्वच्छ छवि धूमिल कर रहे हैं। पूर्व मंत्री स्थापना के कर्मचारियों ने बताया कि रमादेवी विरुद्ध कर्नाटक सरकार के प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट से एक आदेश जारी हुआ था। इसके बाद जीएडी ने वर्ष 2007 में मंत्रालय के विभागों को संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण के संबंध में कोर्ट के आदेश का पालन करने के निर्देश जारी किए थे। कर्मचारियों ने बताया कि जीएडी अब स्वयं कोर्ट व अपने निर्देशों के खिलाफ काम कर रहा है। जीएडी सचिव मंत्रालय में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी भर्ती में जितनी जल्दबाजी की जा रही है, उस पर सवाल खड़े हो रहे हैं। क्योंकि चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी भर्ती के लिए जीएडी सचिव ने अपने हस्ताक्षर से पत्र जारी किया और डेढ़ सप्ताह में आवेदन से लेकर परीक्षा लेने की प्रक्रिया पूरी कर ली है।
अधिकारियों ने किया किनारा
कर्मचारी बताते हैं कि भर्ती प्रक्रिया में सिर्फ जीएडी सचिव की दिलचस्पी है। वहीं अतिरिक्त उप सचिव अधीक्षण के अंतर्गत पूरी चतुर्थ श्रेणी स्थापना आती है, जो भर्ती परीक्षा के पूर्व अवकाश पर चली गई। मंत्रालय के अन्य विभाग के उप सचिव स्तर के अधिकारियों ने इस भर्ती प्रक्रिया से स्वयं को दूर रखकर चयन समिति में शामिल होने से मना कर दिया। तब भर्ती परीक्षा का पूरा दारोमदार एक बाबू और एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी ने संभाला। सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव श्रीनिवास शर्मा का कहना है कि विधि विभाग से सलाह लेने के बाद ही मंत्री स्थापना, मुख्यमंत्री स्थापना, सचिवालय के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की भर्ती परीक्षा आयोजित की गई थी। नियमानुसार रविवार को ली गई इस परीक्षा में कुल 210 संविदा कर्मचारी शामिल हुए और 31 अनुपस्थित रहे। अब अगली प्रक्रिया चल रही है।