‘अपनों’ के जाल में फंसे आतिफ अकील

आतिफ अकील

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। 25 वर्षों से मप्र में मुस्लिम विधायक देने वाली भोपाल उत्तर विधानसभा सीट पर इस बार कांग्रेस उम्मीदवार आतिफ अकील ‘अपनों’ के जाल में फंस गए हैं। इससे लोग अंदाज लगाने लगे हैं की प्रदेश की एकमात्र मुस्लिम बहुल सीट पर इस बार भाजपा अपना परचम तो नहीं लहरा देगी। दरअसल, उत्तर विधानसभा क्षेत्र में इस बार बहुकोणीय मुकाबले की स्थिति बनी है। इसकी वजह यह है कि लगभग 25 वर्ष से कांग्रेस विधायक आरिफ अकील इस बार चुनाव नहीं लड़ रहे हैं।
गौरतलब है कि आरिफ अकील पिछले 25 साल से यहां लगातार जीत दर्ज करते रहे हैं। कांग्रेस ने इस बार उनके बेटे आतिफ को प्रत्याशी बनाया है। इससे नाराज होकर आरिफ के भाई आमिर अकील भी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में उतर गए। कांग्रेस के बागी नासिर इस्लाम भी निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसे में मुस्लिम वोटों के ही कई प्रत्याशियों में बंटने की संभावना बन रही है। इधर, भाजपा ने परिस्थितियों को भांपकर 15 वर्ष बाद यहां से मुस्लिम प्रत्याशी न उतार कर आलोक शर्मा को प्रत्याशी बनाया है। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि इस बार कांग्रेस की स्थिति गड़बड़ा सकती है। मप्र में दो दलीय व्यवस्था ही कायम है। जब भी मतदाता भाजपा से नाराज होते हैं तो वे कांग्रेस की सरकार चुनते हैं। 2011 की जनगणना के मुताबिक, मध्य प्रदेश में मुस्लिम आबादी सात प्रतिशत है जो अब नौ प्रतिशत हो सकती है। मुस्लिम वोट 47 विधानसभा सीटों पर प्रभावी हैं, जबकि वे कुछ क्षेत्रों में निर्णायक भूमिका निभाते हैं।
1998 से कांग्रेस के कब्जे में यह सीट
भोपाल उत्तर विधानसभा सीट पर वर्ष 1993 में भाजपा से रमेश शर्मा गुटु भैया विधायक चुने गए थे। भोपाल की एकमात्र मुस्लिम बहुल सीट उत्तर भोपाल इस बार कांग्रेस के लिए चुनौती बनी हुई है। इस सीट पर विधायक आरिफ अकील 1998 से विधायक हैं। लगभग पच्चीस साल बाद यह पहला चुनाव है, जब आरिफ अकील चुनाव मैदान में नहीं हैं। पिछले पांच चुनाव में अकील कभी भी परास्त नहीं हुए। अकील का स्वास्थ्य कई दिनों से खराब चल रहा है, जिसके चलते उन्होंने अपने बेटे आतिफ को टिकट दिलाई है। इस बात से नाराज होकर उनके सगे भाई आमिर अकील भी चुनाव में उतर गए हैं। कांग्रेस का संकट यह है कि उसके अपनों ने ही पार्टी प्रत्याशी के लिए मुसीबत खड़ी कर दी है। पार्टी के ही नासिर इस्लाम भी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में हैं। नासिर भी कांग्रेस के बड़े नेता रहे हैं और भोपाल मध्य से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं। कांग्रेस के भीतर परिवारवाद और आंतरिक लड़ाई ने भाजपा के लिए जरूर उम्मीद की किरण जगा दी है। पार्टी ने यहां से आलोक शर्मा को प्रत्याशी बनाया है। मुस्लिम सीट पर हिंदू चेहरे ने भाजपा की राह आसान तो बनाई लेकिन, आलोक शर्मा की एंटी इनकम्बेंसी उन पर भारी पड़ रही है। शर्मा खुद भोपाल के महापौर रह चुके हैं और पुराने भोपाल के ही निवासी हैं। शर्मा ने महापौर चुनाव से पहले कई तरह के वादे किए थे, उनमें सुअर मुक्त भोपाल का वादा भी बहुत महत्वपूर्ण है, लेकिन उनका कार्यकाल समाप्त होने के बाद भी भोपाल में सुअर समस्या बनी हुई है। इसके अलावा भी शर्मा का कार्यकाल कई तरह से विवादों से घिरा रहा। लगभग दो दशकों के अंतराल के बाद मध्य प्रदेश विधानसभा में मुस्लिम समुदाय के दो विधायक आरिफ अकील और आरिफ मसूद साल 2018 के चुनावों में जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। इससे पहले 2003 में हामिद काजी बुरहानपुर से विधायक चुने गए थे। भोपाल उत्तर सीट की बात करें तो 1993 को छोडक़र पिछले चार दशकों में यहां के मतदाता लगातार कांग्रेस के पक्ष में मुस्लिम विधायक का चुनाव करते आ रहे हैं। कांग्रेस के दिग्गज नेता 71 वर्षीय आरिफ अकील 1993 को छोडक़र  1990 से लगातार भोपाल उत्तर सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।

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