पांच साल में भी शुरु नहीं हो सका अटल प्रोग्रेस-वे का काम

अटल प्रोग्रेस-वे
  • 2017 में अटल प्रोग्रेस-वे के निर्माण की योजना बनाई गई थी…

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। जिस अटल एक्सप्रेस वे के निर्माण की योजना सरकार द्वारा छह साल पहले बनाई गई थी, उस पर अब तक काम ही शुरु नहीं हो सका है। इस काम के हाल यह तब हैं जबकि, प्रदेश में बीते दो चुनावों में ग्वालियर -चंबल अंचल में सत्तारूढ़ दल भाजपा इसे अपनी उपलब्धि के रुप में चुनावी मुद्दा बना चुकी है। दरअसल प्रदेश सरकार की शिवराज सरकार ने वर्ष 2017 में चंबल एक्सप्रेस वे जिसका नाम बाद में अटल प्रोग्रेस-वे कर दिया गया था के निर्माण की योजना बनाई थी।
उस समय सरकार की ओर से दावा किया गया था कि इससे ग्वालियर-चंबल अंचल की प्रगति में नया अध्याय शुरु होगा। इसके बाद प्रदेश में दो विधानसभा और एक लोकसभा चुनाव हो चुका है, लेकिन इसका काम शुरु नहीं हो सका है। फिलहाल इस पर काम अभी होने के आसार भी नजर नहीं आ रहे हैं। इसकी वजह है प्रदेश में नई सरकार बनने के ढाई माह बाद ही लोकसभा चुनाव के लिए आचार संहिता लग जाएगी। अभी इसके टेंडर ही जारी हुए हैं। इस मामले में लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों का कहना है कि एनजीटी व पर्यावरण मंत्रालय द्वारा प्रोजेक्ट को अनुमति देने से इनकार करने और भूमि अधिग्रहण को लेकर किसानों की आपत्ति के कारण यह प्रोजेक्ट समय पर शुरु नहीं हो सका है। अब यह बाधाएं दूर हो चुकी हैं। यह अटल प्रोग्रेस-वे राजस्थान के कोटा जिले में नेशनल हाईवे 27 से शुरू होकर श्योपुर मुरैना-भिंड होते हुए उप्र के इटावा तक जाएगा। पहले इसकी कुल लंबाई 404 किमी थी, जो अब बढक़र 423 किमी कर दी गई है। मप्र में इसकी लंबाई 306 किमी होगी। मप्र में इसके निर्माण की लागत करीब 9 हजार करोड़ रुपए होगी। यह छह लेन एक्सेस-नियंत्रित ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस वे है। सरकार का मानना है कि अटल प्रोग्रेस-वे के निर्माण से आर्थिक रूप से पिछड़े ग्वालियर-चंबल अंचल में व्यापार, पर्यटन व रोजगार बढ़ेगा, कनेक्टिविटी बढ़ेगी और पर्यावरण संरक्षण में मदद मिलेगी। मन में वर्ष 2018 में कमलनाथ सरकार बनने पर अटल प्रोग्रेस-वे की डीपीआर तैयार की गई थी, लेकिन इस बीच मार्च, 2020 में कमलनाथ सरकार गिर गई। फिर से सत्ता में आने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सितंबर, 2020 में अटल प्रोग्रेस-वे प्रोजेक्ट की आधारशिला रखी थी। केंद्र सरकार ने अगस्त, 2021 में इस प्रोजेक्ट को भारतमाला परियोजना के फेज-1 में शामिल किया था। अक्टूबर, 2021 में शिवराज कैबिनेट ने अटल प्रोग्रेस वे के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी।
देरी की यह वजहें
शासन की ओर से प्रोजेक्ट के लिए शुरुआत में किसानों पर दबाव बनाया गया और उनसे जमीन के बदले जमीन के नाम पर भूमि अधिग्रहण की गई, लेकिन जब मुआवजे के तौर पर मिली भूमि बीहड़ों में दी गई, तो किसानों ने विरोध किया और बाद में नीति में बदलाव करते हुए भूमि अधिग्रहण के बदले मुआवजा राशि का प्रावधान लाया गया।अब किसानों से भूमि अधिग्रहण कर लिया गया है। एनजीटी और केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने बीहड़ों में प्रोग्रेस वे के निर्माण की अनुमति देने से इनकार कर दिया था। इसके बाद अटल प्रोग्रेस-वे का नया एलाइनमेंट तैयार किया गया। इस एलाइनमेंट में इसे बीहड़ों, वन विभाग और घडिय़ाल अभयारण्य क्षेत्र से दूर कर दिया गया। पहले 162 गांव  से होकर गुजरने वाला यह प्रोग्रेस-वे नए एलाइनमेंट में मुरैना, भिंड और श्योपुर जिले के 214 गांवों से होकर गुजरेगा। 2017- मप्र सरकार द्वारा चंबल एक्सप्रेस वे (अब अटल प्रोग्रेस-वे) की योजना प्रस्तावित की गई। जून, 2022- एनएचएआई ने परियोजना के लिए पर्यावरण मंजूरी के लिए आवेदन किया, क्योंकि इसे कूनो राष्ट्रीय उद्यान के एक छोटे से हिस्से से होकर गुजरना है। 

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