विकास का मॉडल… बनेंगे विधानसभा क्षेत्र

  • हर विधानसभा क्षेत्र में व्यय किए जाएंगे विकास कार्यों में 100-100 करोड़
  • विनोद उपाध्याय
विधानसभा क्षेत्र

मप्र सरकार प्रदेश के हर विधानसभा क्षेत्र को विकास का मॉडल बनाएगी। यानी हर विधानसभा क्षेत्र में आवश्यक सुविधाओं के साथ ही वह सारी सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी, जो वहां के निवासियों में गर्व का भाव भर सके। इसके लिए सरकार विधानसभा क्षेत्र की जरूरत के हिसाब से योजना बना रही है। इसके लिए हर विधानसभा क्षेत्र में 100 करोड़ रूपए के विकास कार्य कराए जाएंगे। जानकारी के अनुसार सरकार ने विधायकों से अपने विधानसभा क्षेत्र में कराए जाने वाले विकास कार्यों का प्रस्ताव मांगा है। विधायकों से प्रस्ताव मिलने के बाद सरकार आगामी चार साल में विकास कार्यों को अमलीजामा पहनाने का  काम करेगी।
गौरतलब है की मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का पूरा फोकस प्रदेश में एक समान विकास पर है। इसके लिए ही रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव का आयोजन किया जा रहा है। दरअसल, सरकार की कोशिश है कि चार साल में विधानसभा क्षेत्रों कोआदर्श बनाया जाए। स्कूल, बिजली, पानी, सडक़, नाली, सामुदायिक भवन, आंगनबाड़ी केंद्र समेत सभी सुविधाएं होंगी। केंद्र और राज्य सरकार की सभी योजनाओं से पात्रों को लाभांवित किया जाएगा। रोजगार के लिए मेलों का आयोजन होगा तो खेलकूद की गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के साथ गोवंश के सरंक्षण और पर्यटन की गतिविधियों के विकास पर ध्यान दिया जाएगा। मुख्यमंत्री कार्यालय ने विधायकों से विधानसभा क्षेत्र के विकास संबंधी दृष्टि पत्र मांगा है। इसे तैयार करने के लिए प्रारूप भी भेजा गया है। योजना में प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में 100 करोड़ रुपये व्यय किए जाएंगे।
ग्रामीण विकास को तरजीह
 प्रदेश की सभी 29 लोकसभा सीटों पर अपना एकाधिकार जमाने के बाद प्रदेश की भाजपा सरकार उत्साहित भी है और विकास की नई कहानी लिखने की तरफ अग्रसर हो रही है। ग्रामीण विकास को तरजीह देने वाला एक फैसला अब प्रदेश की मोहन सरकार लेने वाली है। प्रदेश की सभी 230 विधानसभाओं में एक एक मॉडल गांव तैयार करने के लिए अब सरकार विधायकों को उनकी विधानसभा का कोई एक गांव गोद लेने की बाध्यता करने वाली है।  इसी के चलते प्रदेश की हर विधानसभा में एक- एक मॉडल गांव तैयार करने की योजना बनाई गई है। बताया जा रहा है कि इन चिन्हित गांवों के समग्र विकास की जिम्मेदारी संबंधित क्षेत्र के विधायक पर होगी। इसके लिए सांसदों की तरह सभी विधायकों को भी उनकी विधानसभा क्षेत्र का एक गांव गोद लेना होगा। विधायकों द्वारा गोद लिए जाने वाले आदर्श ग्राम की प्राथमिकताओं में सडक़, पानी, सीवेज, स्वच्छता तो होगी ही। साथ ही इन गांवों में शिक्षा और स्वास्थ्य को खास महत्व दिया जाएगा। कोशिश यह भी की जाएगी कि इन गांवों में सरकारी योजनाओं के अलावा निजी सेक्टर से रोजगार के साधन मुहैया कराए जाएं। ताकि ग्रामीणों को अपनी धरती से पलायन का दंश न झेलना पड़े। मप्र को गांवों का प्रदेश कहा जाता है।
एक अनुमान के मुताबिक यहां 54 हजार से ज्यादा गांव मौजूद हैं। हालंकि केंद्र और प्रदेश की विभिन्न योजनाओं ने इन गांवों तक सडक़, पानी, बिजली की सुविधाएं पहुंचाई हैं। प्रदेश सरकार के नए कदम से हर विधानसभा में एक एक गांव विकसित किया जाता है तो कुल 230 गांवों तक सुविधाएं पहुंचेंगी। इसके अलावा प्रदेश के सांसदों को भी उनकी संसदीय सीमा में एक गांव गोद लेने की व्यवस्था है। इस लिहाज से प्रदेश के ढाई सौ से ज्यादा गांव पहले से ज्यादा विकसित हो सकते हैं। पूर्व व्यवस्था के मुताबिक प्रदेश के सांसद अपने क्षेत्र के गांव गोद तो ले लेते हैं। लेकिन इनमें से अधिकांश सांसद जिम्मेदारी लेने के बाद वे अपने कर्तव्य से विमुख ही दिखाई दिए हैं। गोद लेने के बाद कई गांवों का यह हश्र भी हुआ है कि संबंधित सांसद पूरे कार्यकाल में उस गांव तक पहुंचे ही नहीं हैं। प्रदेश में नई व्यवस्था की शुरुआत के साथ इस बात पर ध्यान रखना भी जरूरी होगा कि संबंधित विधायक इसके प्रति गंभीरता दिखाएं।
विधायकों को दृष्टि पत्र का प्रारूप भेजा
मप्र में सरकार चाहती है की प्रदेश के विकास में सबकी भूमिका हो। इसके लिए सरकार ने तय किया है कि विधानसभा क्षेत्रों को आदर्श बनाया जाएगा। इसके लिए विभिन्न योजनाओं के माध्यम से दी जाने वाली राशि के साथ विधायक, सांसद निधि और कार्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी का उपयोग किया जाएगा। जो राशि और लगानी होगी, वह सरकार अपने वित्तीय संसाधनों से लगाएगी। मुख्यमंत्री कार्यालय ने सभी विधायकों को दृष्टि पत्र का प्रारूप भेजा है। इसमें बताया गया कि दृष्टि पत्र तैयार करते समय विधायक क्षेत्र की महत्वपूर्ण समस्याओं का आंकलन करें। शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला सशक्तीकरण, आंगनबाड़ी, कौशल विकास, पेयजल, पर्यावरण संरक्षण, जल संरक्षण, यातायात, गोवंश संरक्षण, पर्यटन, रोजगार की स्थिति को ध्यान में रखते हुए कार्य प्रस्तावित करें। एक जिला-एक उत्पाद योजना के माध्यम से कैसे रोजगार के अवसर सृजित किए जा सकते हैं, इस पर विचार अवश्य किया जाए। साक्षरता की दर बढ़ाने, शिशु एवं मातृ स्वास्थ्य में सुधार, कुपोषण में कमी लाने, स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के लिए भी कार्ययोजना बनाई जाएगी। गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव से पहले सरकार ने विधायकों से 15-15 करोड़ रुपये के क्षेत्र में विकास से संबंधित प्रस्ताव मांगे थे। अधिकतर सदस्यों ने सडक़, पुल-पुलिया, सामुदायिक भवन आदि के प्रस्ताव दिए थे, जिन्हें विभिन्न योजनाओं में सम्मिलित कर काम स्वीकृत कराए गए। विधानसभा क्षेत्र के लिए बनने वाली कार्ययोजना में केंद्र और राज्य सरकार की सभी हितग्राहीमूलक योजनाओं को शामिल किया जाएगा। सभी पात्र व्यक्तियों को योजनाओं का लाभ दिलाने के साथ अपात्रों को चिह्नित करने का काम भी होगा। दृष्टि पत्र के माध्यम से जो लक्ष्य निर्धारित किए जाएंगे वे दो और चार वर्ष की अवधि के लिए होंगे। दृष्टि पत्र के माध्यम से विधानसभा क्षेत्र के विकास के लिए जो लक्ष्य निर्धारित किए जाएंगे, उनकी पूर्ति के लिए जिम्मेदारी भी तय होगी। प्रगति की नियमित जिला और राज्य स्तर पर समीक्षा की व्यवस्था रहेगी। योजना के लिए आवंटित धन का उपयोग पारदर्शी तरीके से किया जाएगा और लेखा-जोखा सार्वजनिक रूप से उपलब्ध भी कराया जाएगा। सरकार प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में 100 करोड़ रुपये के काम कराने के लिए राशि की व्यवस्था अलग-अलग मदों से करेगी। इसमें 40 करोड़ रुपये की व्यवस्था विधायक निधि, सांसद निधि, जनभागीदारी, कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी और पुनर्घनत्वीकरण से की जाएगी। शेष 60 करोड़ रुपये सरकार अपने खजाने से देगी। प्रतिवर्ष 15-15 करोड़ रुपये दिए जाएंगे।

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