भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। जाने माने चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के कांग्रेस में आने की संभावनाएं बनते ही प्रदेश कांग्रेस में कई बढ़े बदलावों के कयास लगने शुरू हो गए हैं। माना जा रहा है कि उन्हें केन्द्रीय संगठन द्वारा प्रदेश की चुनावी रणनीति बनाने का भी काम दिया जा सकता है।
वे देश में दो साल होने वाले लोकसभा चुनाव के साथ ही उन्हें हिमाचल, गुजरात, मप्र और राजस्थान में होने वाले विधानसभा चुनावों की रणनीति का जिम्मा भी दिए जाने की संभावना बनी हुई है। मप्र में पीके को चुनावी रणनीतिकार बनाया जाएगा या नहीं इस मामले में फैसला इसी माह होने की संभावना जताई जा रही है। पीके कांग्रेस में आने की बात होने के बाद दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की मौजूदगी में बीते रोज इसी मामले को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के साथ प्रभारी महासचिव मुकुल वासनिक व संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल के बीच मंथन का पहला दौर हो चुका है।
अगर पीके को मप्र की जिम्मेदारी दी जाती है तो माना जा रहा है कि वे तत्काल ही मप्र को लेकर सक्रिय हो जाएंगे। इसके बाद उनके अपने हिसाब से ही चुनावी रोमेप तैयार किया जाएगा। अगर ऐसा होता है तो फिर प्रदेश संगठन में भी बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं। माना जा रहा है कि इसकी वजह से संगठन के साथ ही चुनावी तैयारी की जिम्मेदारी का दायित्व भी नए चेहरे को मिल सकती है। गौरतलब है कि फिलहाल चुनावी तैयारियों को लेकर कमलनाथ द्वारा प्रदेश में राजनैतिक मामलों व चुनावी वचन पत्र के लिए समिति का गठन किया जा चुका है।
पौने दो सौ सीटों पर लगाएगी ताकत
उधर कांग्रेस ने अब तय किया है कि वह प्रदेश की 230 में से महज 174 सीटों पर ही चुनाव में पूरा फोकस करेगी। यह वे सीटें है जहां पर कांग्रेस की जीत की संभावनाएं अधिक हैं। इनमें से बीत विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 114 सीटों पर जीत दर्ज की थी, जबकि 38 सीटें ऐसी हैं, जिन पर कांग्रेस प्रत्याशी
कम मतों के अंतराल से हारे थे। इसके अलावा नाथ ने अपने चार पूर्व कांग्रेस अध्यक्षों के साथ की गई बैठक में विंध्य निमाड़ और ग्वालियर चंबल अंचल में भी ताकत लगाने का तय किया है। दरअसल इस बार कांग्रेस अपनी दम पर इतनी सीटें जीतना चाहती है कि चाहकर भी कोई उसकी सरकार बनने पर गिरा न सके।
इसी तरह से तय किया गया है कि उसके जिन विधायकों की क्षेत्र में पकड़ कमजोर हुई है, उन्हें आगाह कर दिया गया है इसके बाद भी अगर उनकी पकड़ मजबूत नहीं होती है तो फिर उनकी जगह किसी नए चेहरे को पार्टी टिकट देगी। यह निर्णरू बीते रोज चार पूर्व प्रदेश कांग्रेस अघ्यक्षें के साथ कमलनाथ द्वारा की गई बैठक में लिया गया है। बैठक में कांतिलाल भूरिया, सुरेश पचौरी और अरुण यादव भी शामिल थे।
जमीनी मुद्दों पर रहेगा फोकस
इस अहम बैठक के बाद खासतौर पर आगे बड़े बदलाव नजर आ सकते हैं, जिसमें पार्टी में एक पद एक व्यक्ति और युवाओं को आगे लाने के फामूर्ले पर काम होगा। कांग्रेसी कार्यकर्ता जमीनी मुद्दों को लेकर मैदान में नजर आएंगे, जिनमें भाजपा की जनविरोधी नीतियां बेरोजगारी, महंगाई को लेकर कांग्रेस जनता के बीच कांग्रेस संदेश देती नजर आएगी। अब तक कांग्रेस जो संदेश देना चाहती है, लेकिन वह जनता तक नहीं पहुंच पाता। पीके पूर्व में जिस तरह की चुनावी रणनीति तैयार करते रहे हैं, उसके अनुसार भाजपा की कमियां जनता तक पहुंचेंगे। नाथ और सोनिया गांधी के बीच देश के वर्तमान हालातों, ताजा राजनीतिक परिस्थितियों, देश और प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में हुई सांप्रदायिक घटनाओं, हाल ही में संपन्न उप चुनावों के परिणामों व संगठन के विभिन्न विषयों पर भी चर्चा हुई। कमलनाथ ने सोनिया गांधी को प्रदेश में चलाए जा रहे सदस्यता अभियान की भी जानकारी दी। प्रदेश में अब तक 18 लाख नए सदस्य बनाए गए है। जबकि प्रदेश का लक्ष्य 50 लाख सदस्य बनाने का है।
21/04/2022
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