- जांच एजेंसियों पर भारी पड़ा सौरभ शर्मा

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम
आयकर विभाग, ईडी और लोकायुक्त पुलिस जैसी जांच एजेंसियां कई-कई दिनों की पूछताछ के बाद सौरभ शर्मा के आगे पस्त नजर आने लगी हैं। इसकी वजह है, न तो कार में मिले 52 किलो सोने का राज ही खुल सका है और न ही दुबई के उस बंगले का सच सामने आया है जो सौरभ का बताया जा रहा है। इस बंगले की कीमत करीब डेढ़ सौ करोड़ रुपए बताई जा रही है। फिलहाल सोमवार को पूछताछ की रिमांड अवधि समाप्त होने के बाद परिवहन विभाग के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा और उसके राजदारों चेतन सिंह गौर और शरद जायसवाल अदालत में पेश किया गया। अदालत ने तीनों आरोपियों की न्यायिक हिरासत की अवधि 17 मार्च तक बढ़ा दी है। सुरक्षा कारणों से तीनों को भोपाल केंद्रीय जेल से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए अदालत की कार्यवाही में शामिल किया गया है। लोकायुक्त पुलिस और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) अपनी जांच में जुटी हुई हैं, लेकिन दोनों ठोस सबूत नहीं जुटा पाई कि 19-20 दिसंबर की दरमियानी रात भोपाल के मेंडोरा में एक फार्म हाउस में लावारिस हालत में खड़ी इनोवा से आयकर विभाग के अधिकारियों ने 54 किलोग्राम सोना और दस करोड़ से अधिक की राशि बरामद की थी। जिस इनोवा से यह राशि व सोना बरामद हुआ था वह चेतन सिंह गौर की है और उसकी किश्त सौरभ शर्मा भरता था। इतना ही नहीं सौरभ की ऑफिस में उस कार का उपयोग होता था। हालांकि लोकायुक्त, ईडी और आयकर विभाग की पूछताछ में सौरभ और उसके दोनों राजदारों ने उक्त 54 किलो सोने और दस करोड़ से अधिक की राशि को अपना होने से इंकार किया है। ऐसे में आयकर विभाग अब भी उस राशि और सोने को सौरभ शर्मा की मानकर ही जांच कर रहा है। लेकिन कुछ दिनों में आयकर या किसी अन्य जांच एजेंसी को उक्त सोना और नकदी सौरभ का होने के साक्ष्य नहीं मिले तो आयकर विभाग उसे सरकारी खजाने में जमा करा देगा। आयकर विभाग के अधिकारी इस संबंध में तैयारी शुरू करने वाले हैं। ज्ञात हो कि 18 दिसंबर को लोकायुक्त पुलिस ने सौरभ और उसके दोनों राजदारों व बिजनेस पार्टनर के यहां छापा मारा था। 27 दिसंबर को ईडी ने छापा मारा था। इधर परिवहन विभाग ने सौरभ द्वारा परिवहन आरक्षक की नौकरी पाने के लिए मां उमा शर्मा द्वारा दिए गए शपथ-पत्र को भी झूठा पाया है। उमा ने पति के स्थान पर सौरभ को अनुकंपा नियुक्ति देने के लिए अपने बड़े बेटे के छत्तीसगढ़ में सरकारी नौकरी होने की जानकारी छिपाई थी। इस मामले में परिवहन विभाग ने सरकार से सरकारी नौकरी के झूठा शपथ पत्र प्रस्तुत करने के लिए सौरभ की मां उमा के खिलाफ प्रकरण दर्ज करने के लिए अनुमति मांगने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। सरकार ने अनुमति मिलते ही सौरभ की मां के खिलाफ प्रकरण दर्ज हो जाएगा।