- मप्र के साथ ही राजस्थान के दो दर्जन जिलों की बुझेगी प्यास
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र के खते में एक और नदी जोड़ परियोजना आने वाली है। इसके लिए पूरी तैयारी कर ली गई है। माना जा रहा है कि केन बेतवा लिंक परियोजना के शिलान्यास के अवसर पर प्रधानमंत्री इसकी घोषणा कर सकते हैं। इस नई परियोजना का नाम
होगा पार्वती- कालीसिंध-चंबल-ईआरसीपी लिंक परियोजना। इससे न केवल मप्र बल्कि राजस्थान के कई जिलों की प्यास बुझेगी।
फिलहाल दोनों ही राज्यों द्वारा इसकी डीपीआर बनावाई जा रही है, जिसके अगले माह बनकर तैयार होने की संभावना है। इस परियोजना को विकास के साथ ही राजनैतिक दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इस योजना के बहाने भाजपा दोनों राज्यों की करीब डेढ़ दर्जन लोकसभा सीटों को साधने का काम करेगी। दरअसल इस योजना से मध्य प्रदेश के मालवा और चंबल क्षेत्र के 12 जिले और पूर्वी राजस्थान के 13 जिले इससे लाभान्वित होंगे, इन क्षेत्रों में पेयजल का संकट पूरी तरह से समाप्त हो जाएगा। प्रदेश में ड्राई बेल्ट वाले जिलों जैसे मुरैना, ग्वालियर, शिवपुरी, गुना, भिंड और श्योपुर को विशेष रूप से फायदा होगा। गौरतलब है कि इस परियोजना की रुपरेखा दो दशक पहले 2003 में बनाई गई थी। उस समय मप्र और राजस्थान में अलग-अलग दलों की सरकारें होने की वजह से इस पर काम आगे नहीं बढ़ सका था। यही नहीं राजस्थान सरकार ने चंबल नदी पर अपने इलाके में एक बड़ा बांध बना लिया था। इसके विरोध में मप्र सरकार हाईकोर्ट चल गई थी। यही नहीं दोनों राज्यों के बीच पनी के उपयोग को लेकर भी सहमति नहीं बन पा रही थी। जिसकी वजह से इसका काम आगे नहीं बढ़ पा रहा था। अब प्रदेश सरकार ने हाईकोर्ट में दाखिल याचिका को पावस लेने की तैयारी शुरु कर दी है।
अब मप्र के अलावा राजस्थान में भी भाजपा की सरकार है, जिसकी वजह से परियोजना के काम को लेकर कोई अड़चन नहीं रह गई है। इस परियोजना के लिए दोनों राज्यों के बीच एमओयू भी हो चुका है। अब डीपीआर बनते ही दोनों राज्यों के बीच में पानी के उपयोग को लेकर समझौता होगा। इस परियोजना से लगभग 5.60 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई के साथ ही बांधों और बड़े तालाबों में पानी का संचय कर जल-स्तर उठाने में सफलता मिलेगी। इससे प्रदेश के मालवा और चंबल अंचल में लगभग तीन लाख हेक्टेयर का सिंचाई रकबा बढ़ेगा।
तीनों नदियों का इलाका
जिन तीन नदियों को जोडक़र परियोजना बनाई गई है उसमें चंबल नदी मप्र के धार-उज्जैन, रतलाम, मंदसौर, भिंड और मुरैना आदि जिलों से होकर निकलती है। इसी तरह से पार्वती नदी सीहोर जिले से गुना होते हुए राजस्थान के सवाईमाधौपुर जिले के पाली गांव में जाकर चंबल में मिल जाती है, जबकि कालीसिंध नदी देवास जिले के बागली गांव के पास विंध्याचल पहाड़ी से निकलकर सोनकच्छ से शाजापुर और राजगढ़ जिले से होकर राजस्थान पहुंचती है।
प्रदेश के इन जिलों को होगा फायदा
इस परियोजना से मध्यप्रदेश के चंबल और मालवा अंचल के 13 जिलों को लाभ पहुंचेगा। सीहोर, इंदौर, गुना, उज्जैन, रतलाम, मंदसौर, भिंड, मुरैना, देवास, शाजापुर, राजगढ़, शिवपुरी और श्योपुर को फायदा होगा।