पहला चरण: मतदाताओं की बेरुखी से विश्लेषक हैरान

  • भाजपा में बड़ी हलचल, पार्टी हाईकमान ने चेताया
  • विनोद उपाध्याय

पहले चरण के चुनाव में प्रदेश की जिन छह सीटों पर मतदान हो चुका है। उन सीटों पर कम मतदान होने से भाजपा के रणनीतिकारों से लेकर राजनैतिक विश्लेषकों तक को हैरान -परेशान कर दिया है। इसकी वजह है हार-जीत के आंकलन में होने वाली गड़बड़ी। उधर, कम मतदान की वजह से भाजपा भी अब बाकी चरणों के लिए चौकन्नी हो गई है। इसके लिए पार्टी ने अब और अधिक मैदानी स्तर पर अपने नेताओं से लेकर कार्यकर्ताओं तक को सक्रिय  कर दिया है। फिलहाल कम मतदान की वजह से पार्टी की उस रणनीति का पोल खुल गई है, जिसमें हर बूथ पर पिछले चुनाव से 370 मत ज्यादा डलवाने का लक्ष्य तय किया गया है। अहम बात यह है कि इन सभी छह सीटों पर बीते चुनाव की तुलना में कम मतदान हुआ है। पार्टी से जुड़े सूत्रों की माने तो जैसे ही मतदान का आंकड़ा सामने आया, वैसे ही भाजपा संगठन में खलबली मच गई। इस मामले की पूरी जानकारी दिल्ली ने भी तलब की है। इसके साथ ही पार्टी हाईकमान ने भी साफ कर दिया है कि बाकी चरणों में मतदान हर हाल में बढ़े। इस पर नेताओं को फोकस करना चाहिए और बूथ पर नेताओं को प्रचार समाप्त होने तक वहीं डेरा डालने को भी कह दिया गया है। राजनीति के जानकार 6 सीटों पर वोट प्रतिशत कम होने से भाजपा की चिंता का जायज मान रहे हैं। उनका कहना है कि इससे ऐसा लगता है कि लोगों में चुनाव को लेकर वैसा उत्साह देखने को नहीं मिला, जैसा कि भाजपा उम्मीद लगाए हुए थी। इन सीटों पर यह स्थिति तब रही है जबकि भाजपा की तरफ से स्वयं प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा, प्रदेश प्रभारी अजय जामवाल और प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद खुद बूथ प्रबंधन पर पूरा जोर लगाए हुए थे।
दोनों के अपने-अपने दावे
कांग्रेस कम मतदान को अपने पक्ष में बता रही है। कांग्रेस नेताओं का कहना है मतदाता भाजपा से खुश नहीं है, इसलिए वे वोट देने बाहर ही नहीं निकले। भाजपा का कहना है कि कांग्रेस किसी मुगालते में नहीं रहे। मतदाताओं ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की गारंटी पर भरोसा कर भाजपा को समर्थन दिया है और जब नतीजे साफ होंगे, तो पहले चरण की सभी 6 सीटें भाजपा के खाते में जाना तय है।
दलबदल की नाराजगी
कहा जा रहा है कि जिस तरह से प्रदेश में दलबदल का बड़ा खेल चल रहा है, उससे पार्टी का पुराना कार्यकर्ता खुश नही है। इसकी वजह से उसके द्वारा मतदान के दिन मतदाताओं को बाहर निकालने का काम ही नहीं किया गया है। यही वजह है कि पुराने कार्यकर्ताओं ने साफ कर दिया कि उन्हीं से वोट डलवाएं और वोट प्रतिशत भी उन्हीं से बढ़वाएं। दरअसल , जिस तरह से हर किसी को पार्टी में शामिल किया जा रहा है, उससे कार्यकर्ताओं को आम जन को जबाव देना मुश्किल हो गया है। यही स्थिति आगे भी दिखने की संभावना बनी हुई है।
गर्मी ने गिराया वोट प्रतिशत
इधर भाजपा से जुड़े नेताओं का कहना है कि 6 लोकसभा सीटों पर मतदान के दिन बेहद गर्मी थी, जिससे लोग वोट डालने बूथ तक नहीं पहुंच सके और अपेक्षित वोट प्रतिशत नहीं आ पाया, लेकिन अधिकांश संसदीय सीट पर पिछले चुनाव की तुलना में वोट प्रतिशत का अंतर ज्यादा नहीं है। फिर इसका लाभ भाजपा को मिलेगा, क्योंकि कांग्रेस को वोट करने वाले उसकी नीतियों की वजह से वोट डालने बाहर ही नहीं निकले। लेकिन ऐसी उम्मीद है कि आने वाले मतदान में प्रदेश में वोट प्रतिशत बढ़ेगा।
तीन सीट का आंकलन करना हुआ मुश्किल
पहले चरण में जिन तीन सीटों पर मतदान हो चुका है, उनमें से तीन सीटें ऐसी हैं, जिन पर बेहद कड़ा मुकाबला हुआ है। ऐसे में कम मतदान होने से हार जीत का आंकलन करना मुश्किल हो गया है। कम मतदान की स्थिति ऐसे समय बनी है जब सीटों  के प्रत्याशियों द्वारा अपने -अपने पक्ष में बहुत मेहनत की गई है। ऐसे में माना जा रहा है कि इन सीटों पर हार जीत का फैसला बहुत कम अंतर से होगा। फिलहाल इनमें से एक सीट बीते चुनाव में कांग्रेस को मिली थी, जबकि पांच सीटें भाजपा को मिली थीं।
दस फीसदी बढऩे की जगह कम हो गया  
केन्द्रीय गृह मंत्री और भाजपा के चुनावी रणनीतिकार अमित शाह ने 25 फरवरी को कहा था कि हर बूथ पर 370 वोट बढ़ाने हैं और कांग्रेस के नेताओं का दलबदल कराना है। इसी तरह से 11 अप्रैल को छतरपुर में प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा ने कहा था कि हर पोलिंग बूथ पर 370 वोट बढ़ना है। इस हिसाब से हर लोकसभा सीटों पर 10 प्रतिशत मतदान बढ़ना चाहिए। लेकिन पहले चरण के मतदान में छिंदवाड़ा में 3.2 प्रतिशत, सीधी में 18 फीसदी, जबलपुर में 9.49 प्रतिशत, शहडोल में 12 प्रतिशत, मंडला और बालाघाट में 5-5 प्रतिशत कम मतदान हुआ है। इस तरह अमित शाह और वीडी शर्मा के दावे हवा-हवाई साबित हुए हैं।

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