भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश से होकर गुजरने वाले अटल एक्सप्रेस-वे यानि की प्रगति पथ की राह में निजी जमीन बड़ा रोड़ा बन गई है। इसकी वजह से इस योजना की निर्मण लागत में भी दो हजार करेाड़ रुपए की वृद्धि हो चुकी है। इसके बाद भी अभी यह तय हनंी है कि आखिर जमीन का मामला कब तक सुलझेगा।
जमीन का मामला जब तक नहीं सुलझता है तब तक इसका काम आगे नहीं बढ़ सकता है। दरअसल यह पथ राजस्थान के कोटा जिले के करिया – बारा से शुरु होकर नेशनल हाईवे 27 को जोड़ते हुए उत्तर प्रदेश के इटावा तक बनाया जाना प्रस्तावित है। इसकी लंबाई करीब 423 किलोमीटर है। इस एक्सप्रेस-वे के मार्ग में कोटा और इटावा के अलावा मध्यप्रदेश के चंबल संभाग के श्योपुर, मुरैना और भिंड जिले भी शामिल हैं। भिंड में निजी जमीन के अधिग्रहण को लेकर 15 दिन से किसानों द्वारा लगातार धरना दिया जा रहा है। इसकी वजह से इस एक्सप्रेस-वे का निर्माण का काम वर्ष 2024 तक पूरा करने का रखा गया लक्ष्य हासिल करने के लिए अब तक काम भी शुरु नहीं हो सका है। तय समय पर एक्सप्रेस-वे का काम शुरु न हीं हो पाने की वजह से इसकी लागत भी सात हजार करोड़ से बढ़कर नौ हजार करोड़ रुपए तक हो गई है। इस एक्सपे्रस वे के तहत शुरूआती दौर में यूपी का 24 किलोमीटर हिस्सा था जो अब बढ़कर 47 किलोमीटर हो गई है। श्योपुर जिले में इस समय निजी जमीन का सर्वे कार्य चल रहा है। प्रशासनिक सूत्रों ने बताया कि स्थानीय किसानों ने पिछले दिनों केंद्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर से अधिग्रहित होने वाली जमीन का मूल्य ज्यादा भुगतान करने के लिए कहा था, लेकिन केंद्रीय मंत्री ने उनकी बात मामने से इंकार कर दिया था। इस मामले में जिला प्रशासन का कहना है कि दावे-आपत्ति के लिए जमीन का रकबा सार्वजनिक किया जाएगा । दावे-आपत्ति के बाद तय होगा कि जमीन का क्या करना है। मुआवजा वितरण के बाद जमीन अधिग्रहित कर एनएचएआई को सौंप दी जाएगी।
किसान मांग रहे बाजार मूल्य से मुआवजा
किसान नेता नमोनारायण दीक्षित ने बताया कि अटेर क्षेत्र के किसानों की निजी भूमि एक्सप्रेस-वे के लिए अधिग्रहीत की जाना है। किसानों ने बाजारू मूल्य से मुआवजा मांगा तो मना कर दिया गया। इसे लेकर ही पिछले 15 दिन से निरंतर धरना दिया जा रहा है। क्योंकि किसानों का कहना है कि सस्ते दामों पर जमीन देने का मतलब है कि घर में रहने वाले पांच सदस्यों का परिवार कैसे चलेगा।
मप्र के 214 गांव आ रहे दायरे में
प्रगति पथ मुरैना के 110, श्योपुर के 63 और भिंड के 41 गांवों यानी कुल 214 गांवों से गुजरेगा। एक्सप्रेस-वे के रास्ते में पहले मप्र की आठ नदियां थीं, अब 10 नदियों पर बड़े पुल बनाए जाएंगे। एनएचएआई ने नए अलाइनमेंट के लिए मुरैना, श्योपुर एवं भिंड जिला प्रशासन से जमीन मांगी है। पहले इसमें 75 फीसद जमीन सरकारी थी, अब 90 फीसद से ज्यादा जमीन किसानों की आ रही है।
01/03/2023
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