
पानी की तलाश में इधर से उधर भटक रहे लोग और मवेशी
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में इस बार रिकॉर्ड गर्मी पड़ रही है। गर्मी के कारण जल संकट भी बढ़ गया है। ऐसे में सभी को प्रदेशभर में बने अमृत सरोवरों की याद आ रही है। गौरतलब है कि प्रदेश में ग्रामीण क्षेत्रों में जल संरक्षण और पशुओं के लिए पानी मुहैया कराने के लिए लाखों खर्च होने के बाद तैयार कराए गए अमृत सरोवरों में धूल उड़ रही है ,जिससे मवेशी पानी की तलाश में इधर से उधर भटक रहे है। कई जिलों में तो अमृत सरोवर खेल का मैदान बनकर रह गए हैं, जिसमें बच्चे क्रिकेट खेल रहे है। दरअसल, लाखों रुपए खर्च कर जब अमृत सरोवर बनाए जा रहे थे, तब लोगों को बड़े-बड़े सपने दिखाए गए। लेकिन अब अधिकांश अमृत सरोवर में एक बूंद भी पानी संरक्षित नहीं हो रहा है जिससे मवेशियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है ,जबकि पशु पक्षी भी पानी के लिए परेशान हो रहे है। राजगढ़ में बने ऐसे ही 88 अमृत सरोवर मैदान में तब्दील हो गए हैं। गौरतलब है कि गर्मी के प्रकोप से हर जन प्रभावित हो रहा है। निजी संस्थाएं अपने तौर पर इससे बचाव के साधन जुटा रही हैं। ऐसे में सरकार ने भी इसके लिए कदम बढ़ाए हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने नगरीय निकायों को इसके लिए पर्याप्त सुविधाएं जुटाने के लिए निर्देशित किया है। इसके तहत तेज गर्मी से राहत देने के लिए जगह-जगह ग्रीन नेट और वॉटर स्प्रे की व्यवस्था करने के लिए कहा गया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने पर्यावरण दिवस 5 जून से प्रारंभ हो रहे जल संरक्षण अभियान को लेकर की बैठक ली।
इस बैठक में निर्देश दिए हैं कि जल सम्मेलन का आयोजन किया जाए।, जल संरचनाओं के अतिक्रमण और जल स्रोतों को उपयोगी बनाने के लिए अभियान चलाए जाए। साथ ही शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में भी सार्वजनिक प्याऊ संचालित हों। पेयजल के कारण कहीं भी समस्या नहीं होना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि तेज गर्मी से नागरिकों को बचाने के लिए शहर और गांव में आवश्यक शेड और छांव की व्यवस्था करें। जहां आवश्यक को ग्रीन नेट और वाटर स्प्रे से तेज गर्मी से लोगों को राहत दिलवाई जाए। स्थानीय निकाय सक्रिय भूमिका निभाएं। जानकारों का कहना है कि अगर मापदंडों के हिसाब से अमृत सरोवर बने होते तो ऐसी नौबत ही नहीं आती।
मैदान में तब्दील हो गए 88 सरोवर
राजगढ़ में जल संरक्षण और ग्रीष्मकाल में मवेशियों से लेकर मनुष्यों को जल उपलब्धता के लिए बनाए गए अमृत सरोवर कागजों में भले ही पूरे हो गए, लेकिन मौके पर अब भी मैदान ही हैं। जिले में योजना के तहत 88 अमृत सरोवर बनाए गए, लेकिन गर्मी में इन सरोवरों में दूर-दूर तक चुल्लू भर पानी नजर नहीं आ रहा है। इन दिनों यह सरोवर मैदानों में तब्दील हो गए। आजादी के 75 वर्ष पूर्ण होने पर आजादी के अमृत महोत्सव के तहत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने महत्वाकांक्षी योजना के तहत 24 अप्रैल 2022 को मिशन अमृत सरोवर योजना की शुरुआत की थी। मिशन का उद्देश्य प्रत्येक जिले में 75-75 तालाब बनाना था। इसी के तहत राजगढ़ जिले में 94 अमृत सरोवर स्वीकृत किए थे, जिनमें से कागजों पर 88 पूरे हैं। इसके पीछे सरकार की मंशा थी कि जलाशयों में जल संरक्षण होगा, जल संकट से निपटने में मदद मिलेगी तो पानी होने स्थानीयजन रोजगार से भी जुड़ सकेंगे, लेकिन सरोवर बनाने के लिए जो लापरवाही बरती गई, उसका नतीजा दूसरे ही साल में दिखाई देने लगा है। जल संरक्षण के लिए जरूरी इंतजाम नहीं होने से यह सरोवर मैदानों में तब्दील हो गए। बड़े बांधों के किनारे के एक-दो सरोवरों को छोड़ दें तो 85 से अधिक सरोवरों में पानी की एक बूंद भी नहीं बची है। जिले में 88 अमृत सरोवर बनाए हैं उनमें से अधिकांश सरोवर ऐसे स्थानों पर बनाए हैं, जहां या तो प्राकृतिक नाले के मार्ग में सीमेंट या मिट्टी की पाल तैयार कर दी गई है या किसी निजी कार्य के लिए मिट्टी, मुरम खोदे जाने के चलते पहले से मौजूद गड्ढों को तालाब में परिवर्तित कर दिया गया। यहां वर्षाकाल में कुछ पानी रहता है, लेकिन मानसून विदा होते ही यह मैदान बन जाते हैं। लंबे समय तक पानी संरक्षण हो सके, इसके लिए प्रयास नजर नहीं आ रहे। राजगढ़ से पाटन रोड पर नेसड़ी ग्राम पंचायत के जुगलपुरा में तालाबनुमा संरचना बनाई गई, लेकिन यहां पिछले चार महीनों से एक बूंद पानी नहीं है। मौके पर दूर-दूर तक लाल मैदान ही नजर आता है। तालाब के पास जरा सी हरियाली तक नहीं है। राजगढ़ की ग्राम पंचायत कलीखेड़ा के टिटोड़ी गांव में 2022 में ही अमृत सरोवर बना था। 24 लाख 87 हजार की लागत से बना यह तालाब दो वर्षाकाल देख चुका है, लेकिन आचे साल तो यहां तालाब की जगह मैदान ही नजर आता है। ग्रामीणों ने बताया कि बरसात में यहा पानी तो भरा, लेकिन दीपावली के बाद ही तालाब सूखने लगा।