कांग्रेस के लिए मुसीबत बनी है भोपाल की दक्षिण -पश्चिम सीट
भोपाल/चिन्मय दीक्षित/बिच्छू डॉट कॉम। राजधानी की दक्षिण पश्चिम सीट कांग्रेस के लिए मुसीबत बनती जा रही है। इसकी वजह है इस सीट पर पूर्व मंत्री व मौजूदा विधायक पीसी शर्मा के अलावा छात्र नेता रहे संजीव सक्सेना की दावेदारी है। शर्मा के अलावा सक्सेना द्वारा भी बीते एक साल से इस सीट पर चुनावी तैयारी की जा रही है। यह दोनों ही नेता पीछे हटने को तैयार नही है। ऐसे में माना जा रहा है की पूर्व पार्षद और पार्टी के प्रदेश महासचिव अमित शर्मा की किस्मत साथ दे सकती है। अमित भी इसी सीट से दावेदारी कर रहे हैं। यह राजधानी की ऐसी सीट है जो कर्मचारी बाहुल्य मानी जाती है। कर्मचारियों पर अमित की अच्छी पकड़ मानी जाती है। इसी क्षेत्र के तहत आने वाले वार्ड से वे तीन बार लगातार पार्षद रह चुके हैं। कांग्रेस व भाजपा के लिए यह सीट इस बार भी बेहद महत्वपूर्ण बनी हुई है। अगर बीते सात चुनाव की बात की जाए तो यहां पर दो बार छोडक़र लगातार भाजपा ही जीतती रही है। बीते चुनाव में भी कांग्रेस की जीत की वजह व्यक्तिगत भाजपा उम्मीदवार उमाशंकर की कार्यशैली ही रही थी। इस चुनाव में कांग्रेस के पीसी शर्मा ने भाजपा के तत्कालीन मंत्री उमाशंकर गुप्ता को करीब साढ़े छह हजार से अधिक मतों से हरा दिया था। इसी सीट पर पूर्व में भी एक बार शर्मा विधायक रह चुके हैं। इस सीट पर भाजपा के शैलेन्द्र प्रधान दो बार और उमाशंकर गुप्ता तीन बार विधायक रह चुके हैं, जबकि 1998 और 2018 में कांग्रेस के पीसी शर्मा ने जीत दर्ज की है।
सक्सेना अब तक 2 चुनाव लड़े, दोनों हारे
संजीव सक्सेना ने भोपाल दक्षिण-पश्चिम विधानसभा सीट से दो बार चुनाव लड़ा। सन् 2008 के चुनाव में उन्होंने बीएसपी पर चुनाव लड़ा और भाजपा के उमाशंकर गुप्ता से 26002 वोटों से चुनाव हारे। इसके बाद 2013 का विधानसभा चुनाव कांग्रेस पार्टी के टिकट पर लड़ा और उमाशंकर गुप्ता से 18,198 वोटों से हारे। दोनों चुनाव में एक समान बात यह रही कि संजीव सक्सेना ने पार्टी बदली लेकिन दोनों वार निकटतम प्रतिद्वंदी रहे। व्यापम घोटाले में जेल जाने के कारण 2018 का विधानसभा चुनाव टिकट उन्हें नहीं मिला। उनके स्थान पर कांग्रेस पार्टी ने पीसी शर्मा को चुनाव लड़ाया और पीसी शर्मा ने संजीव सक्सेना को 2 बार धूल चटाने वाले भाजपा नेता उमाशंकर गुप्ता को ना केवल 6,587 वोटों से हराया बल्कि, एक प्रकार से चुनावी राजनीति से रिटायर कर दिया है।
विधायक के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी
मौजूदा कांग्रेस विधायक पीसी शर्मा के खिलाफ इस बार एंटी इनकंबेंसी के हालात है। इसकी वजह है उनका कमलनाथ सरकार में मंत्री पद पर रहना। मंत्री बनने के बाद शर्मा की कार्यशैली पूरी तरह से बदल गई थी, जिसकी वजह से मतदाताओं में उनको लेकर नाराजगी बनी हुई है। यह बात पार्टी के सर्वे में भी सामने आ चुकी है। इसी वजह से उन्हें अब मतदाताओं को साधने के लिए तमाम तरह के प्रयास करने पड़ रहे हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि इस बार पार्टी उन्हें इस सीट की जगह किसी अन्य सीट पर शिफ्ट कर सकती है। उधर, यहां पर सक्सेना भी दावेदारी कर रहे हैं। वे पीछे हटने के लिए तैयार नही है। बीते चुनाव में कांग्रेस ने उन्हें इस बार प्रत्याशी बनाने का आश्वासन दिया था, जिसकी वजह से ही वे बीते चुनाव में दावेदारी से हट गए थे। इसकी वजह से माना जा रहा है कि अगर दोनों ही नेताओं में से कोई हटने को तैयार नहीं होता है तो पार्टी बीच का रास्ता निकालने के लिए दोनों ही नेताओं को दरकिनार कर अमित शर्मा को उम्मीदवार बना सकती है।
शर्मा की दावेदारी की वजह
वे इस इलाके के कर्मचारी बाहुल वार्ड से तीन बार पार्षद रह चुके हैं, जिसकी वजह से उनकी कर्मचारियों पर मजबूत पकड़ मानी जाती है। उनके पिता सरकारी कर्मचारी होने के साथ ही कर्मचारियों के नेता भी रह चुके हैं। इसके अलावा इस सीट पर ब्राह्मण मतदाताओं की अच्छी खासी संख्या का होना भी है। यहां पर 35 हजार ब्राह्मण मतदाता है। इस इलाके में झुग्गी बस्तियों के मतदाताओं की भी संख्या अच्छी खासी है। इन पर सभी की समान रूप से पकड़ मानी जाती है। इस वर्ग में पैठ बनाने के लिए अमित शर्मा द्वारा बीते लंबे समय से कई तरह के समाज सेवा के काम भी किए जा रहे हैं।