‘रोक’ के खतरे के बीच राजनैतिक दल पूरी दम दिखाने की तैयारी में

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भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की तारीखों की घोषणा होने के बाद भी इन पर रोक का खतरा बना हुआ है। इस बीच भाजपा व कांग्रेस के अलावा अन्य क्षेत्रीय दल भी इन चुनावों में अपनी बड़ी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए पूरी दम लगाने की तैयारी में लग गए हैं। इसकी वजह है इसके बाद नगरीय निकाय चुनाव संभावित हैं, तो करीब डेढ़ साल बाद प्रदेश में विधानसभा के चुनावों का होना। पंचायत चुनावों में अपने दल के समर्थित लोगों को जीताने के लिए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ द्वारा जिला अध्यक्षों और जिला प्रभारियों को आपसी समन्वय बनाकर पंचायत चुनाव में पूरे दमखम के साथ उतरने के निर्देश दिए गए हैं, जबकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सभी जिलों में प्रभारी मंत्रियों को चुनावी तैयारियों के निर्देश दे चुके हैं।  

उधर, भाजपा संगठन की ओर से प्रदेशाध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा भी संगठन को सक्रिय कर वरिष्ठ पदाधिकारियों को जिम्मा देने में लगे हुए हैं। इन चुनावों पर रोक के खतरे की वजह सरपंच और जनपद अध्यक्ष पदों पर पुराने आरक्षण के आधार पर और जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए नए सिरे से आरक्षण को किया जाना बताया जा रहा है। इस मामले में अब कांग्रेस हाईकोर्ट जाने की तैयारी कर रही है। इसके संकेत भी देश के जाने माने अधिवक्ता और राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा दे चुके हैं। वे पंचायत चुनाव की घोषणा को संवैधानिक प्रक्रिया के खिलाफ न केवल बता चुके हैं, बल्कि उनके द्वारा सोशल मीडिया पर भी लिखा गया है कि मध्यप्रदेश में पंचायती राज के चुनाव की घोषणा विचित्र कानूनी कानूनी परिस्थिति में।  कॉन्स्टिट्यूशन प्रक्रिया और प्रावधान की पूर्ण अनदेखी कर प्रदेश सरकार द्वारा पारित अध्यादेश जनता के साथ धोखा। जनता का विश्वास कोर्ट के साथ। कानून द्वारा स्थापित राज का संदेश देना हम सब का दायित्व।

 इस मामले में कमलनाथ भी कह चुके हैं कि पता नहीं क्यों वर्ष 2014 के आरक्षण के आधार पर वर्ष 2021-22 में चुनाव करवाए जा रहे हैं? रोटेशन पद्धति से आरक्षण प्रक्रिया के नियम का पालन क्यों नहीं किया जा रहा है? इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भी पंचायत चुनाव की आरक्षण व्यवस्था पर सवाल खड़े कर चुके हैं। इस संभावना के बीच गैर दलीय आधार पर होने वाले इन पंचायत चुनावों में भी अपनी ताकत दिखाने के लिए भाजपा और कांग्रेस की पूरी ताकत लगाने की तैयारी कर रही है। इसके लिए दलों ने कवायद तेज कर दी है। इन चुनावों को लेकर कांग्रेस ने तय किया है कि आपसी सहमति और समन्वय बनाकर यह चुनाव लड़ा जाएगा। इसमें जनपद और जिला पंचायत के सदस्य के लिए प्रत्याशी का चयन जिला प्रभारी व स्थानीय विधायक, पूर्व विधायक, जिला और ब्लॉक कांग्रेस के पदाधिकारियों के साथ मिलकर तय किए जाएंगे। इन चुनावों की तैयारी के लिए ही कांग्रेस राष्ट्रीय सचिव एवं सह प्रदेश प्रभारी संजय कपूर दो दिवसीय दौरे पर आठ दिसंबर को दमोह, उमरिया और शहडोल में पदाधिकारियों के साथ बैठक करने वाले हैं, जबकि पार्टी द्वारा प्रदेश स्तर से चुनावी पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की तैयारी की जा रही है। उधर, मुख्यमंत्री ने सभी मंत्रियों को प्रभार के साथ-साथ गृह जिले में सक्रिय होने को कह दिया है। इसी तरह से जयस ने आदिवासी क्षेत्रों में अपना जनाधार बढ़ाने के लिए पंचायत चुनाव में हिस्सेदारी करने की घोषणा कर दी है।

घोषणा के चंद घंटों पहले ही किया जवाब तलब
शनिवार को चुनावी घोषणा के चंद घंटो पहले ही हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में पंचायत चुनाव में परिसीमन और आरक्षण को लेकर दायर तीन याचिकाओं पर मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमथ व दीपक अग्रवाल की युगल पीठ ने सुनवाई की। इन मामलों में याचिकाकर्ताओं की ओर से देश के वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा पक्ष रखते हुए कहा कि पंचायत राज अधिनियम में चुनाव को लेकर स्पष्ट उल्लेख है कि हर चुनाव के पहले डिटरमिनेशन और रोटेशन की प्रक्रिया अपनाई जाए, लेकिन सरकार राज्यपाल के हवाले से संशोधित अध्यादेश निकाला है। अब सरकार चुनावों का ऐलान करने वाली है। लिहाजा मामले की सुनवाई जल्द हो , जिसके बाद कोर्ट ने सरकार से दो हफ्ते में जवाब देने को कहते हुए कहा कि यदि चुनाव का ऐलान होता है, तो अदालत का दरवाजा खुला है।

आयोग ने झाड़ा पल्ला
सरपंच व जनपद अध्यक्ष का चुनाव पुराने आरक्षण पर कराने और जिपं अध्यक्ष पद के लिए नए सिरे से आरक्षण कराए जाने के सवाल पर राज्य निर्वाचन आयुक्त बीपी सिंह का कहना है कि ग्राम , जनपद और जिला पंचायत चुनाव के लिए आरक्षण का जिम्मा राज्य शासन का है। आयोग का काम पारदर्शी तरीके से निर्वाचन कराना है।

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