कमलनाथ के आक्रामक तेवरों के बीच अजय सिंह ने ठोंकी ताल

भाजपा

भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र भाजपा के बीच जारी मेल मुलाकातों की राजनीति और पहली बार कमलनाथ के शिव सरकार को लेकर आक्रामक तेवरों के बीच अब कांग्रेस में भी गुटबाजी पूरी तरह से सामने आ गई है। हालत यह है कि पूर्व नेता प्रतिपक्ष रहे अजय सिंह ने पूर्व मुख्यमंत्री और पीसीसी अध्यक्ष कमलनाथ को सार्वजनिक रूप से नसीहत देते हुए उनके खिलाफ ताल तक ठोंक दी है। अजय सिंह प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से ही सत्ता व संगठन में महत्व न मिलने से नाराज पहले से ही चल रहे थे। इस बीच हाल ही में कमलनाथ ने अजय सिंह के गृह अंचल विंध्य पर सरकार जाने का ठीकरा फोड़ने वाला बयान देकर उसमें घी डालने का काम कर दिया। नाथ के इस बयान से अजय सिंह की नाराजगी इस बात से समझी जा सकती है कि उन्होंने सार्वजनिक रुप से उन्हें वाणी पर संयम रखने की सीख तक दे डाली। दरअसल नाथ ने बीते हफ्ते विंध्य अंचल के मैहर में कहा था कि प्रदेश की सत्ता से कांग्रेस के बाहर होने की वजह विंध्य है। इसका जबाब देते हुए  सिंह ने कहा कि कमलनाथ सरकार गिराने का ठीकरा विंध्य पर न फोड़ें। इस तरह के बयान से विंध्य के कांग्रेस कार्यकर्ताओं का अपमान होता है। पार्टी के पुराने कार्यकर्ता और जनप्रतिनिधि इससे निराश हो जाते हैं। 2018 के चुनाव में विंध्य के लोगों के साथ बहुत बड़ा षडयंत्र हुआ था। मतगणना से पहले बांधवगढ़ में कौन आकर रूका था और वहां क्या हुआ, सब जानते हैं। फिर भी कांग्रेस की सरकार बनी। उनका कहना है कि  2020 में सरकार गिरने का कारण विंध्य नहीं है, कमलनाथ खुद थे, उन्हें सरकार बचाना चाहिए था। इसके साथ ही सिंह ने नाथ के उस बयान पर भी आपत्ति जताई है जो उनके द्वारा कोरोना के मामले में भारत को बदनाम देश बताने वाला कहा था। सिंह ने कहा कि उन्हें इस तरह के शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। ऐसे बयानों से भाजपा को राजनीति करने का मुद्दा मिलता है।
उनका कहना  है कि वाणी पर संयम रखने की जरूरत है। हमें संयम रखना चाहिए, चाहे वह कोई भी हो। सिंह का कहना है कि 2013 के चुनाव में कांग्रेस को सर्वाधिक 12 सीटें विंध्य से ही मिलीं थीं। उनका कहना है कि 2018 के चुनाव में क्या हुआ किसी को बताने की जरुरत नही है। विंध्य के साथ बहुत बड़ा षडयंत्र किया गया इसके बाद भी प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी। अब वह नहीं चल सकी तो इसके लिए विंध्य कैसे दोषी हो गया। गौरतलब है कि कमलनाथ ने कोरोना संकट पर बयान देते हुए भारत को बदनाम देश कह डाला था, जिसके बाद पूरे प्रदेश में उनके बयान की जमकर किरकिरी हुई थी और भाजपा नेताओं द्वारा इसका विरोध भी किया था। उल्लेखनीय है कि सिंह को प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का बेहद करीबी माना जाता है। दिग्विजय सिंह की इन दिनों कमलनाथ से पटरी नहीं बैठ रही है। नाथ व दिग्गी के बीच मतभेद प्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिरने के बाद से ही शुरू हो गए थे। उसके बाद उनके बीच मतभेद इतने अधिक हो चुके हैं कि अब उनके बीच मेल मुलाकातों की खबरें तक नहीं आती हैं। नाथ समर्थक प्रदेश में पार्टी की सरकार गिरने की वजह सिंह को ही मानते हैं। यही नहीं उनको लेकर नाराजगी की दूसरी वजह है तत्कालीन कांग्रेस की सरकार को उनका पर्दे के पीछे से संचालन करना। यही नहीं अजय सिंह के इन तेवरों के मायने राजनैतिक वैज्ञानिकों की समझ में भी नहीं आ रहे हैं। उधर, विधानसभा का आम चुनाव हारने की वजह अजय सिंह अपने ही दल के नेताओं के षडयंत्र को मानते हैं। दरअसल वे चुनाव से पहले उन नेताओं में शामिल थे, जिन्हें मुख्यमंत्री पद का दावेदार माना जा रहा था। चुनाव में पराजित होने के बाद उनकी नजर पीसीसी के अध्यक्ष पद पर थी , लेकिन उसमें भी उन्हें निराश होना पड़ा। दरअसल राहुल को लगता है कि उन्हें बीते आम विधानसभा चुनाव में पार्टी के ही कुछ बड़े नेताओं ने षडयंत्र पूर्वक हरवाया था। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद भी उन्हें वो महत्व नहीं मिला जिसकी उन्हें अपेक्षा थी। यही वजह है कि चुनाव हारने के बाद की नाराजगी उनके मन में अब भी बनी हुई है। बताया जाता है कि इन दिनों सिंह दिग्विजय सिंह से भी खफा चल रहे हैं।
पीसीसी चीफ की राह का रोड़ा हैं नाथ
प्रदेश की सत्ता कमलनाथ के हाथों में जाने के बाद माना जा रहा था, कि वे मुख्यमंत्री बनने की वजह से प्रदेशाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे देंगे, लेकिन कमलनाथ ने ऐसा नहीं किया। सरकार गिरी तब भी यह चर्चा जोरों पर रही कि वे नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद संगठन के मुखिया का पद छोड़ देंगे, लेकिन नाथ अब भी दोनों पद अपने पास रखे हुए हैं। इस वजह से अजय सिंह की पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष पद के दावेदारी भी पूरी तरह से समाप्त हो चुकी है। यह बात अलग है कि वे दो लोकसभा के अलावा बीता विधानसभा चुनाव भी हार चुके हैं।
नाथ के समर्थन में आए सलूजा
अजय सिंह के इस बयान के बाद नाथ की तरफ से उनके खास सिपहसालार और प्रदेश कांग्रेस के मीडिया समन्वयक नरेन्द्र सलूजा ने नाथ की तरफ से सफाई पेश करते हुए कहा है कि कमलनाथ ने कभी नहीं कहा कि विंध्य की वजह से सत्ता में नही हैं या फिर चुनाव हारे हैं। विंध्य का कार्यकर्ता बेहद परिश्रमी और ईमानदार है। वह प्रदेश में फिर से कांग्रेस को सत्ता में वापिस कराएगा।

Related Articles