डेढ़ महीने में ही लंगड़ाने लगी एंबुलेंस 108 सेवा

एंबुलेंस

-जेएईएस के हाईटेक और फास्ट सर्विस के दावों की खुल गई पोल
-चालू नहीं हो पाया 1292 एंबुलेंस में लाइव लोकेशन सिस्टम
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम।
भोपाल। छत्तीसगढ़ की जय अंबे इमरजेंसी सर्विसेज (जेएईएस) ने हाईटेक और फास्ट सर्विस के बड़े-बड़े दावों के साथ एंबुलेंस 108 सेवा शुरू की थी, लेकिन 45 दिन में ही यह सेवा अस्त-पस्त हो गई है। आलम यह है कि न इमरजेंसी सेवाओं के लिए शुरू की गई एंबुलेंस 108 सेवा के खिलाफ देर से पहुंचने, एंबुलेंस में आॅक्सीजन सिलेंडर न होने, सिलेंडर में आॅक्सीजन अचानक खत्म होने, रास्ते में डीजल खत्म होने, ड्राइवर द्वारा पैसे मांगने, एंबुलेंस में दवाइयां न होने जैसी शिकायतें सरकार तक पहुंच गई हैं।
 मरीजों, गर्भवती महिलाओं और घायलों को तत्काल स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने हाईटेक एंबुलेंस सेवा शुरू की है वह टांय-टांय फिस हो गई है। नई कंपनी जय अंबे प्रालि. द्वारा 108 इमरजेंसी एंबुलेंस सेवा की शुरुआत की गई थी। कंपनी का दावा था कि अत्याधुनिक उपकरणों और तकनीक की सहायता से वह घायलों के पास जल्द से जल्द पहुंचेंगे। इसके लिए उन्होंने मोबाइल कंपनियों की मदद लेने का दावा भी किया था। लेकिन कंपनी की एंबुलेंस सेवा घायलों तक नहीं पहुंच पा रही है। दरअसल, मोबाइल कंपनियां जय अम्बे कंपनी को कॉलर की लोकेशन ट्रेस करने के लिए एपीआई (एप्लीकेशन प्रोग्राम इंटरफेस) नहीं दे रही हैं। कंपनी के अधिकारियों के मुताबिक अब तक दो मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनियों ने एपीआई दिया था, लेकिन अब वह भी उसे वापस मांग रही हैं। अगर एम्बुलेंस सर्विस को एपीआई जारी नहीं होता है तो सटीक एंबुलेंस सर्विस सुविधा पर रोक लग सकती है।
न पर्याप्त गाड़िय़ां, न पायलट
जरूरतमंदों के यहां एंबुलेंस 108 सेवा के देरी से पहुंचने की सबसे बड़ी वजह है गाड़िय़ों की कमी, उपलब्ध गाड़िय़ों की हालत खस्ता और पायलट की कमी। जेएईएस के प्रोजेक्ट हेड संतोष मोरे भी स्वीकार करते हैं कि हमारी कुछ गाड़ियां पुरानी हैं, जिनमें खराबी के कारण दिक्कत आ रही हैं। कुछ अन्य स्थानों पर मेनपावर की कमी है, जिसे दूर कर रहे हैं। शिकायतें मिलने पर हमने कुछ पायलट हटा दिए हैं। कुछ सड़कें खराब होने से देरी हो रही है। दूसरे चरण में हमारी 388 गाडिय़ां और तीसरे चरण में 472 गाड़िय़ां मैदान में आ जाएंगी, तब ये समस्याएं खत्म हो जाएगी। स्वास्थ्य विभाग के अफसरों ने रीलॉन्च की गई एंबुलेंस सेवा में कई हाईटेक फैसिलिटी उपलब्ध कराने का दावा किया था। लेकिन ,अभी तक एंबुलेंस सेवा पटरी पर नहीं आ पाई है। एंबुलेंस के कॉल सेंटर पर फोन करने या मोबाइल एप से बुक करने पर कॉलर की लोकेशन ट्रेस करने के लिए मोबाइल नेटवर्क कंपनियां एपीआई नहीं दे रहीं हैं। इस वजह से एंबुलेंस के लिए फोन करने वाले कॉलर की लोकेशन ट्रेस न होने से एंबुलेंस देर से पहुंच रहीं हैं। अब तक जय अंबे कंपनी को सिर्फ एयरटेल का ही एपीआई मिल पाया है। कंपनी ने अब इस मामले में एनएचएम के अफसरों से मदद मांगी है।
चालू नहीं हो पाया लाइव लोकेशन सिस्टम
 छत्तीसगढ़ के रजिस्ट्रेशन नंबर से प्रदेश में दौड़ रही इन 1292 एंबुलेंस में लाइव लोकेशन सिस्टम चालू नहीं हो पाया है। स्वास्थ्य विभाग ने 1 मई से प्रदेश में जय अंबे इमरजेंसी सर्विसेज (जेएईएस) को 108 एंबुलेंस और जननी एक्सप्रेस के की इस फर्म ने प्रदेश में 606 एंबुलेंस और 686 जननी एक्सप्रेस सड़कों पर उतारी है। इस काम के लिए सरकार ने इस साल लगभग 300 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। फर्म को हर महीने लगभग 20 करोड़ रुपए दिए जाएंगे। हालांकि फर्म ने मई का बिल अभी तक विभाग को नहीं दिया है। इस फर्म को एक कॉल सेंटर भी शुरू करना था। हेल्थ हेल्पलाइन 104 में मेडिकल इमरजेंसी से जुड़ी समस्याओं के समाधान के लिए डॉक्टर भी तैनात किए जाने थे, लेकिन यह सर्विस भी अब तक शुरू नहीं हो पाई।
पता बताने में लगता है लंबा समय
वर्तमान में इमरजेंसी सर्विसेस एंबुलेंस या पुलिस को कॉल करने पर कॉलर को घटनास्थल का पता बताना होता है। कई बार वह जो पता बताता है वह एंबुलेंस ड्राइवर को समझ नहीं आता। ऐसे में एंबुलेंस को घायल तक पहुंचने में लंबा समय लग जाता है। एपीआई होने पर गूगल मैप से छोटा व सटीक रास्ता एंबुलेंस का मिल जाता है।। मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनियों से परेशान जय अंबे कंपनी ने एनएचएम को पत्र लिख कर इस महत्वपूर्ण सिस्टम को चालू करवाने को कहा है। कंपनी के प्रोजेक्ट हेड सुमित वासियों ने बताया कि बिना डाटा और कंपनी की मदद से एंबुलेंस को सटीक लोकेशन पर भेजना मुश्किल है ऐसे में हमने एनएचएम से मदद मांगी।

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