अफसरों के साथ माननीयों की भी प्राथमिकता में नहीं हैं विकास

अफसरों

तीन की जगह छह माह में हुई बैठक के एजेंडे में विकास के प्रस्ताव  रहे गायब

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। अफसर तो विकास को लेकर पहले से ही बेरुखी दिखाते रहते हैं , लेकिन अगर जनता का प्रतिनिधि यानि की माननीय भी इसी तरह का व्यवहार करते हैं तो आम आदमी कहां जाए। यह हम नहीं कह रहे हैं बल्कि प्रदेश की राजधानी भोपाल की हकीकत दो दिन पहले हुई दिशा की बैठक में सामने आया है।
दरअसल यह बैठक हर तीन में स्थानीय सांसद की अध्यक्षता में होती है , जिसमें विकास कामों की समीक्षा के साथ ही अन्य विकास के मामलों पर चर्चा की जाती है , लेकिन भोपाल ऐसा जिला है जहां पर तीन की जगह छह माह बाद बैठक को आयोजन किया गया, लेकिन उसमें भी जो एजेंडा तय किया गया था उसमें कहीं कोई विकास का उल्लेख तक नहीं था। यही नहीं इस बैठक में सांसद को छोड़ दिया जाए तो जिले का कोई विधायक तक शामिल होने के लिए नहीं पहुंचा। इससे समझा जा सकता है  कि है की आम जनता के करों के पैसों से सरकार सुख सुविधाओं का उपभोग करने वाले यह अफसर व माननीय विकास कामों को लेकर कितने गंभीर हैं और उनकी प्रथमिकता में विकास के काम कितना महत्व रखते हैं। दरअसल जनता प्रतिनिधियों का चुनाव सिर्फ इसी उम्मीद से करती है कि उसकी समस्या, उसके क्षेत्र के विकास की बात सही मंच पर सही ढंग से पहुंच जाए जिसकी वजह से काम हो सकें।
 इसके उलट भोपाल जिले के माननीयों का आलम यह है कि चुनाव के बाद उनकी दिलचस्पी जनसरोकार के मामलों से इतर अपने कामें में अधिक रहती है। शायद यही वजह है कि हर तीन माह में होने वाली जिला विकास समन्वय और निगरानी समिति दिशा की सोमवार को हुई बैठक में जिले का कोई एक भी विधायक ही नहीं पहुंचा। इस महत्वपूर्ण बैठक में सभी विधायकों ने अपने प्रतिनिधियों को भेजकर अपनी उपस्थिति की खानापूर्ति कर ली। इस बैठक में जिले में हो रहे विकास कार्यों की समीक्षा के साथ अन्य जरूरी कार्यों पर चर्चा की जाती है।
 इसके अलावा विधायक व सांसद अपने क्षेत्रों की जनसमस्याओं से अधिकारियों को अवगत कराकर निराकरण करवा सकते हैं। हद तो यह है कि अफसरों ने छह माह बाद हुई इस बैठक के एजेंडा में विकास कार्यों का एक भी प्रस्ताव तक शामिल नहीं किया था। विधायकों ने भी इसी को एजेंडे की कमी बताकर बैठक से दूरी बना ली। नतीजा यह रहा कि बैठक महज खानापूर्ति हो कर रह गई। यह बात अलग है कि बैठक में सांसद ने स्कूल और धार्मिक स्थलों के आसपास से शराब दुकान हटाने और बरखेड़ा पठानी के श्मशान घाट पर अपनी निधि से बाउंड्रीवाल बनवाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने इस दौरान नगर निगम आयुक्त केवीएस चौधरी कोलसानी को आबादी वाले क्षेत्रों से खुले मांस की दुकानें बाहर करने के लिए और शिक्षा विभाग के अधिकारियों को स्कूलों के नजदीक हुए अतिक्रमणों को हटवाने को भी कहा है।
इसी तरह से अरवलिया स्कूल की शिकायत पर कलेक्टर ने विद्युत कंपनी के अधिकारियों क्री तत्काल कार्रवाई करने के निर्देश दिए है। स्कूल में ट्रांसफार्मर खुले में बच्चों की पहुंच में रखा है। सांसद ने बैरसिया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में लापरवाही व अव्यवस्था को लेकर बीएमओ डा. विभा जैन की कार्यप्रणाली पर भी नाराजगी जताई।
क्या कहते हैं माननीय
इस मामले में जिले के माननीयों का कहना है कि उनके पास हाल ही में बैठक का एजेंडा आया था , लेकिन उसमें विकास, रोजगार समेत ऐसा कोई भी जनकल्याणकारी विषय ही शामिल नहीं था। चूंकि पहले से ही कार्यक्रम तय थे, लिहाजा बैठक में नहीं पहुंच सके। वैसे भी यह बैठक महज औपचारिकता के लिए ही बुलाई गई थी।
बिजली कंपनी व पीएचई के अफसरों पर हुई नाराज
बैठक में सांसद ने बिजली के गलत बिल आने पर विद्युत कंपनी के अधिकारियों को गलत आंकड़े प्रस्तुत करने पर फटकार लगाते हुए निर्देशित किया कि भोपाल के किन क्षेत्रों में रहवासी बिजली के बिल जमा नहीं करते उसकी जानकारी दी जाए। नलजल योजना को लेकर बैठक के दौरान प्रतिनिधियों की शिकायत पर सांसद ने पीएचई विभाग के जिला अधिकारी सुदेश मालवीय पर नाराज होते हुए कहा कि जहां भी शिकायतें आ रही हैं, वहां तत्काल निरीक्षण कर कमियां दूर करें।

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