आलोक खरे की काली कमाई होगी उजागर

  • विभाग ने दी आबकारी अधिकारी के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति
आलोक खरे

विनोद उपाध्याय
आखिरकार 5 साल बाद आबकारी अधिकारी आलोक खरे के खिलाफ आबकारी विभाग ने अभियोजन की स्वीकृति दे दी है। सहायक आबकारी आयुक्त और वर्तमान में डीसी रीवा आलोक कुमार खरे के घर 5 साल पहले आय से अधिक संपत्ति मामले को लेकर लोकायुक्त द्वारा छापेमारी की कार्रवाई की गई थी। जिसमें लोकायुक्त ने एक साल पहले पत्र लिखकर राज्य सरकार से अभियोजन की मंजूरी मांगी थी। बता दें, अभियोजन स्वीकृति मिलने के बाद लोकायुक्त आलोक खरे के खिलाफ न्यायालय में भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत चालान पेश करेगा। लोकायुक्त पुलिस ने 5 साल पहले साल 2019 में सहायक आबकारी आयुक्त आलोक कुमार खरे के 7 ठिकानों भोपाल में 2, इंदौर में 2, रायसेन में 2 और छतरपुर में 1 जगह पर एक साथ छापेमारी की थी, जिसमें नगदी समेत 150 करोड़ से ज्यादा की बेनामी संपत्ति का खुलासा हुआ था। दरअसल आलोक कुमार खरे के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति होने की शिकायत की गई थी जिसके बाद लोकायुक्त द्वारा ये कार्रवाई की गई। लोकायुक्त पुलिस की जांच में करीब 150 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति होने की बात सामने आई थी। जिसमें इंदौर के पॉश इलाके में एक पेंट हाउस और एक बंगले के साथ यहां से 3 किलो सोना मिला था। लोकायुक्त पुलिस की जांच में भोपाल के चूनाभट्टी और बागमुगालिया में 2 बड़े बंगले और कोलार में फॉर्म हाउस की जमीन के दस्तावेज मिले थे। इसके अलावा रायसेन में 2 फॉर्म हाउस का भी खुलासा हुआ। जबकि खरे ने अपनी पत्नी के इनकम टैक्स रिटर्न में रायसेन में फलों की खेती से आय होना बताया था और ये फल दिल्ली में बेचना बताए जा रहे थे। इसके साथ ही दस्तावेजों की जांच के बाद जिन ट्रकों से फल दिल्ली भेजना बताए गए हैं, उनके नंबरों की जांच करने के बाद वे ऑटो के नंबर निकले थे।
अब कोर्ट में पेश होगा चालान
सहायक आबकारी आयुक्त और वर्तमान में डीसी रीवा आलोक कुमार खरे के लोकायुक्त प्रकरण के मामले में आबकारी विभाग के प्रमुख सचिव अमित राठौर ने अभियोजन स्वीकृति  दी है। जानकारी के मुताबिक कुछ दिन पहले अमित राठौर ने लंबे समय से विभाग में पेंडिंग पड़ी आलोक कुमार खरे की इस फाइल को स्वीकृति देते हुए आगे की कार्यवाही के लिए विभागीय मंत्री और उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा के पास भेज दिया है।  लोकायुक्त पुलिस के अलावा आलोक खरे के खिलाफ ईडी भी जांच कर रही है। इसके लिए बकायदा लोकायुक्त पुलिस के डीजी को पत्र लिखकर जांच की रिपोर्ट देने के लिए कहा था। माना जा रहा है कि ईडी मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में कार्रवाई कर सकती है। हालांकि अभी तक लोकायुक्त को अभियोजन की स्वीकृति का इंतजार था। अब अभियोजन की स्वीकृति मिलने के बाद आलोक खेरे की मुश्किलें बढऩे वाली हैं।
कार का एसी 20 मिनट पहले चालू करवाते थे
खरे परिवार के साथ अक्सर पर्यटन स्थलों पर घूमने जाते थे। उन्हें महंगी होटलों में रुकने का भी शौक है। सिर्फ यही नहीं दफ्तर से घर जाने के लिए निकलने से करीब बीस मिनट पहले वह कार का एसी चालू करवा लेते थे, ताकि कार पूरी तरह से ठंडी हो जाए। यही नहीं प्रशासनिक संकुल स्थित दफ्तर में वह तब आकर बैठे थे, जब उनके लिए 85 हजार रुपए की कुर्सी और सवा लाख रुपए की टेबल आ गई थी। छापे के बाद लोकायुक्त पुलिस ने खरे की पत्नी को भी बनाया आरोपी बनाया है। वे 1998 में जिला आबकारी अधिकारी पद पर भर्ती हुए थे। वह खंडवा, सीहोर, रतलाम,
झाबुआ, धार, इंदौर और भोपाल में तैनात भी रहे।
परामर्श शुल्क के चुकाए 34 लाख रुपए
कार्रवाई के दौरान टीम को रायसेन स्थित फार्म हाउस से दो चेक भी मिले थे, जिससे छापे के ठीक पहले एक रजिस्ट्री के होने का पता चला था। साथ ही यह भी पता चला था कि खरे ने अब तक करीब 34 लाख रुपए का सीए का परामर्श शुल्क के तौर पर चुकाए हैं। इससे समझा जा सकता है कि उनका हिसाब किताब कितना बड़ा होता था।

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