प्रदेश में कांग्रेस की मुसीबत बनेंगे गठबंधन के दल

 कांग्रेस
  • आप और सपा प्रदेश में चाहते हैं सीटों में भागीदारी

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। विधानसभा चुनाव के बाद अब लोकसभा चुनाव की तैयारियों में  तमाम राजनैतिक दल लग गए है। इनमें प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस के साथ ही इंडिया गठबंधन में शामिल तमाम क्षेत्रीय दलों के बीच सीटों के बंटवारे के लिए कवायद शुरु कर दी गई है। ऐसे में कांग्रेस के सामने एक बार फिर से सपा और आप जैसे दल सीटों के बंटवारे को लेकर मुसीबत बन सकते हैं। दरअसल यह दोनों दल मप्र में भी भागीदारी चाहते हैं। माना जा रहा है कि दोनों दल मिलकर कांग्रेस से अपने लिए आधा दर्जन सीटों की दावेदारी करने की तैयारी मे हैं। इसकी वजह है सपा का उप्र की सीमा से लगे इलाकों में कुछ हद तक प्रभाव दिखाई देना। प्रदेश में कई बार सपा के विधायक जीतते आए हैं। यह बात अलग है कि इस बार कांग्रेस से गठबंधन न हो पाने की स्थिति में सपा ने विधानसभा चुनाव में अपने 70 प्रत्याशी उतार दिए थे, जिसमें से कोई भी जीत नही सका है। यही नहीं इस बार सपा की मप्र में सबसे खराब हालत हुई है। इसकी वजह है विधानसभा में खाता खुलना तो दूर उसका कोई भी प्रत्याशी मुकाबला में ही नजर नहीं आया है। दो जगह उसके प्रत्याशी जरुर तीसरे स्थान पर आए हंै। इन दोनों ही जगहों पर उसे कुछ हद तक सम्मानजनक वोट भी मिले हैं। यह बात अलग है कि गठबंधन में शामिल इन दोनों दलों के मतों को मिला दिया जाए तो भी उनके मतों का प्रतिशत एक फीसदी से अधिक नहीं हो पाता है। बताया जा रहा है कि सपा प्रदेश में चार और आप एक सीट मांगने की तैयारी कर रही है।
कौन सीटों पर दावा
विधानसभा चुनाव में जो दल जिस संसदीय क्षेत्र में मजबूत स्थिति में रहा वहां लोकसभा के लिए सीट की मांग करेगा। सपा की प्रदेश इकाई बुंदेलखंड, चंबल और विंध्य अंचल की चार सीटों पर दावा करने के मूड में है। इनमें  सतना, गुना, खजुराहो और टीकमगढ़ शामिल हैं। दरअसल इन सीटों पर यादव मतदाताओं की संख्या अच्छी खासी है। सपा को भरोसा है कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का साथ मिलने की वजह से उसका खाता मप्र में खुल जाएगा। हाल ही में हुए विस चुनाव में सपा को महज 0.46 प्रतिशत मत ही मिले हैं। इनमें से अधिकांश मत भी उसे तीन विधानसभा सीटों पर मिले हैं। उधर,  आम आदमी पार्टी की सिंगरौली में महापौर हैं। विंध्य में अपेक्षाकृत पार्टी के मतदाता अन्य अंचल की तुलना में अधिक हैं, इसलिए पार्टी सीधी लोकसभा सीट अपने लिए चाहती है। विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को 0.54 प्रतिशत मत मिले हैं।
ऐसा रहा सपा का प्रदर्शन
अगर बीते पांच विधानसभा चुनावों पर नजर डालें तो मप्र में एक बार ही वर्ष 2003 में सपा को सर्वाधिक सात सीटों पर जीत मिली थी। यह वो समय था, जब उप्र में भी सपा की सरकार थी और बड़े पैमाने पर कांग्रेस व भाजपा के बागी सपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे। इस जीत में पार्टी की अपेक्षा प्रत्याशियों का अपना प्रभाव अधिक रहा था। इसके बाद से लगातार चुनावों में सपा की स्थिति खराब ही रही है। बाद के चार विस चुनाव में दो बार ही ऐसे मौके आए हैं, जब सपा का महज खाता खुल पाया है। 2018 के चुनाव में भी सपा का एक ही विधायक जीता था।  
किसे मिले कितने मत
प्रदेश में हाल में हुए विधानसभा चुनाव परिणामों को देखें तो इंडी गठबंधन में शामिल सपा, आप, सीपीआई, सीपीआई (एम), जनता दल (यू) सहित अन्य दलों को मिलाकर लगभग डेढ़ प्रतिशत ही कुल मत ही मिले हैं। कांग्रेस को 40.40 प्रतिशत मत प्राप्त हुए। इस तरह सभी का मिला लें तो इंडी गठबंधन में शामिल दलों को विधानसभा में लगभग 42 प्रतिशत मत मिले, जबकि भाजपा को 48.55 प्रतिशत मत प्राप्त हुए। अब गठबंधन में शामिल दल विधानसभा चुनाव में भाजपा को प्राप्त मत प्रतिशत से आगे निकलने के प्रयासों में हैं।

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