- विदेश में संपत्ति और कारोबार से किया इंकार
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। परिवहन विभाग का पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा और उसके दो साथी शरद जायसवाल और चेतन से लोकायुक्त पुलिस की पूछताछ जारी है। इस दौरान बरामद सम्पत्ति को लेकर सौरभ और शरद एक दूसरे की बताकर अरोप प्रत्यारोप लगा रहे हैं। इस बीच लोकायुक्त पुलिस को शरद के नाम पर इंदौर में चार बड़ी संपत्तियां होने की जानकारी भी मिली है। इन में से दो संपत्तियों को कंपनी के नाम पर खरीदा गया है। हालांकि, सौरभ का कहना है कि चारों संपत्तियां सौरभ की हैं। सौरभ ने पूछताछ में इस बात का भी खुलासा किया वह केवल एक ही बार दुबई की यात्रा पर गया है। वह भी पत्नी के साथ वीकेंड मनाने के इरादे से गया था, 15 दिन का टूर था। छापे की खबर मिलते ही 7वें दिन लौट आया था। एसने विदेश में कोई कारोबार होने से इंकार किया है। उसके पासपोर्ट की जब्ती की कार्रवाई भी कर दी गई है।
अतीक की तरह हत्या की जाताई आंशका
उत्तर प्रदेश के माफिया अतीक अहमद की तरह परिवहन विभाग के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा की भी हत्या हो सकती है। यह बड़ा बयान सौरभ शर्मा के वकील राकेश पराशर ने दिया है। उनके द्वारा भोपाल कोर्ट में अर्जेंट हियरिंग के साथ एक आवेदन दायर किया गया है, जिसमें लोकायुक्त द्वारा न्यायालय द्वारा जारी किए गए निर्देशों का पालन न किए जाने के संबंध में कार्रवाई की मांग की गई है। मामले में 4 फरवरी को कोर्ट सुनवाई करेगा। पराशर ने भोपाल कोर्ट में सौरभ शर्मा केस से जुड़ा महत्वपूर्ण आवेदन लगाया है, जिसमें सौरभ शर्मा की सुरक्षा में बड़ी चूक और लापरवाही को बताया गया है। सौरभ शर्मा के वकील राकेश पराशर का कहना है कि न्यायालय ने सौरव को रिमांड पर देने के साथ लोकायुक्त पुलिस को महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए थे जिसमें विशेष रूप से सौरभ की सुरक्षा को लेकर पुख्ता इंतजाम रखना था, लेकिन कोहेफिजा थाने से लोकायुक्त ऑफिस तक सौरभ को खुले में ले जाया गया। इस दौरान लोकायुक्त के सभी अधिकारी सिविल ड्रेस में मौजूद रहे। पराशर ने कहा कि ऐसे हालातों के बीच जिस तरह पुलिस कस्टडी में अतीक अहमद की हत्या की गई थी उसी तरह सौरभ की भी हत्या की जा सकती है। इस आशंका को अब नकारा नहीं जा सकता है। यदि इन हालातों के बीच सौरभ की हत्या होती है तो सभी जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ हत्या और उसके षड्यंत्र रचने की धाराओं में मामला दर्ज हो। इस कार्रवाई की मांग कोर्ट में आवेदन लगाकर की गई है। कोर्ट ने आवेदन को स्वीकार कर लिया है और अब इस मामले की सुनवाई 4 फरवरी को होगी। उम्मीद है कि कोर्ट इस मामले में सुनवाई के बाद लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ एक्शन लेगी।
आधा दर्जन अफसरों को ही मिल रहा प्रवेश
जिस पहली मंजिल पर रखकर तीनों आरोपियों को रखकर पूछताछ की जा रही है, वहां भी अलग से सुरक्षा के इंतजाम किए गए हैं। सख्त सुरक्षा व्यवस्था के चलते केस के विवेचक और कार्यालय के दो आला अधिकारियों और उस फ्लोर पर मौजूद तीन डीएसपी रैंक के अधिकारियों को छोडक़र किसी भी अन्य अधिकारी-कर्मचारी को इस फ्लोर पर जाने की इजाजत नहीं है। अगर यहां जाना भी हो तो अधिकारियों की अनुमति आवश्यक कर दी गई है।