सूबे के सभी बिजली स्टेशनों का होगा रिमोट से संचालन

बिजली स्टेशनों
  • बिजली मुख्यालय जबलपुर व इंदौर से करेगा नियंत्रण, गलती की गुंजाइश होगी समाप्त

भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश पॉवर ट्रांसमिशन कंपनी अब तकनीकी रुप से अपने आपको सक्षम बनाने में जुटी हुई है। इसके तहत अब कंपनी द्वारा प्रदेश भर के बिजल स्टेशनों का नियंत्रण रिमोट से किए जाने की तैयारी कर ली गई है। इसकी वजह से बिजली स्टेशनों के संचालन के लिए कर्मचारियों की जरुरत जहां समाप्त हो जाएगी, वहीं कंपनी के खर्चे में भी प्रभावी  कमी आएगी।  जल्द 400 केवी क्षमता वाले प्रदेश के 14 सबस्टेशन को रिमोट से नियंत्रित किया जाएगा।
इन सब स्टेशन को अभी तक मैन्युअल कर्मचारी संचालित करते है। इस वजह से तकनीकी रूप से खामी की गुंजाइश बनी रहती है। जिसके चलते ही इस तरह की नई व्यवस्था की जा रही है। कंपनी का दावा है कि सब स्टेशनों के रिमोट से संचालित होने पर रियल टाइम डाटा भी मिल सकेगा।  कंपनी 400 केवी के बाद 220 केवी और 132 केवी के सब स्टेशन को भी इसी नई तकनीक से जोड़ेगी। खास बात ये है कि प्रदेश के सभी सब स्टेशन का संचालन वैसे तो जबलपुर के कंट्रोल रूम से करेगी , लेकिन बैकअप के लिए कंपनी द्वारा इंदौर में भी एक  कंट्रोल रूम बनाने की योजना है। दरअसल इस तरह का कदम किसी तरह की आपात स्थिति से निपटने के लिए उठाया जा रहा है। यदि किसी तरह से ट्रांसमिशन कंपनी के सब स्टेशन में किसी तरह की हैकिंग या अनहोनी हुई तो सब स्टेशन ठप नहीं होंगे।
जोड़े जाएंगे फायबर आॅप्टिकल केबल से
कंट्रोल सेंटर से सब स्टेशन फायबर आॅप्टिकल केबल से जोड़े जा रहे है। यह कंट्रोल सेंटर संचालित रहेगा।  सभी सब स्टेशन की एक साथ निगरानी होगी। फिलहाल जिन  400 केवी सब स्टेशन का नियत्रंण किया जाएगा उनमें इंदौर, सूखीसेवनिया (भोपाल), नागदा, बीना, कटनी, आष्टा, पीथमपुर, जुलवानिया, छैगांव, सागर, किरनापुर, उज्जैन, बड़नावर और मंदसौर शामिल हैं।
प्रयोग रहा सफल
पावर ट्रांसमिशन कंपनी के नवनिर्मित अति उच्चदाब सबस्टेशनों को रिमोट से संचालित करने का प्रयोग किया है। इसके तहत 48.26 करोड़ की लागत से ढीमरखेड़ा (मुरवारी) और नर्मदापुरम जिले के मोहासा बावई औद्योगिक कॉरिडोर में आइनॉक्स आॅक्सीजन प्लांट के लिए 48.9 करोड़ की अनुमानित लागत से 132 केवी का अति उच्चदाब विद्युत सब स्टेशन हयूमन मशीन इंटरफेस तकनीक के जरिए कंट्रोल रूम से रिमोट से चलाया गए हैं। इन दोनों जगहों पर अगस्त में प्रयोग किया गया था, जो पूरी तरह से सफल रहा है।

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