- बुधनी विधानसभा सीट उपचुनाव
गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। उपचुनाव की तारीखों की घोषणा से पहले ही भाजपा अपनी तैयारियां शुरु कर दी थीं। संगठन स्तर पर संभावित नामों की चर्चा से लेकर मौजूदा हालात पर चर्चा का प्रदेश भाजपा संगठन ने अपने चुनाव प्रचार की रणनीति तैयार कर ली है। अब सभी की नजर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की इस सीट पर भाजपा प्रत्याशी पर लगी हुई है। इसकी वजह है यहां से उनके बड़े पुत्र कार्तिकेय की दावेदारी। भाजपा के सामने उनके नाम को लेकर असमंजस की स्थिति है। इसकी वजह है परिवारवाद । अगर पार्टी कार्तिकेय को प्रत्याशी बनाती है तो पार्टी पर परिवारवाद का आरोप लगेगा और वे नेता भी सक्रिय हो जाएगें, जिनके पुत्र सालों से पार्टी के लिए काम कर रहे हैं और उन्हें परिवारवाद की वजह से पार्टी हर बार टिकट देने से परहेज करती है। इसी तरह से अन्य दावेदारों में भी नाराजगी बढ़ेगी। यही वजह है कि प्रदेश चुनाव समिति की बैठक में बुधनी सीट के लिए चार नामों का पैनल बनाकर दिल्ली भेज दिया गया है, जबकि विजयपुर सीट से एक मात्र नाम मौजूदा मंत्री रामनिवास रावत का अकेला नाम भेजा गया है।
दरअसल, बुधनी विधानसभा सीट से 2023 में शिवराज सिंह चौहान की 1,04,974 वोट से जीत का रिकॉर्ड बरकरार रखना भाजपा के लिए इस समय बेहद चुनौतीपूर्ण है। कांग्रेस भी इस सीट पर इस बार कड़ी चुनौती देने के प्रयासों में लगी हुई है। माना जा रहा है कि कांग्रेेस यहां पर पूर्व मंत्री राजकुमार पटेल को टिकट दे सकती है। इसकी वजह है उनका इस क्षेत्र में बेहद प्रभाव होना और वे शिवराज के सजातीय भी होना हैं। पटेल परिवार का सजातीय मतदाताओं पर अच्छा प्रभाव माना जाता है। बुधनी के इतिहास में यह तीसरा उपचुनाव है, जब 13 नवंबर को मतदान होगा। तीनों ही उपचुनाव से शिवराज का गहरा संबध है। पहला उपचुनाव 1992 में हुआ, शिवराज 1990 में यहां पहली बार विधायक बने, पर लोकसभा चुनाव के बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने विदिशा सीट जीतने के बाद इस्तीफा दिया था। शिवराज सिंह लोकसभा का चुनाव लड़े। उनकी सीट छोडऩे के बाद हुए उपचुनाव में भाजपा के मोहनलाल शिशिर ने जीत हासिल की थी। इसके बाद दूसरा उपचुनाव 2006 में हुआ। तब भाजपा विधायक राजेंद्र सिंह ने इस्तीफा दिया था। यह इस्तीफा उनके द्वारा मुख्यमंत्री बने शिवराज सिंह के विधायक का चुनाव लड़ने के लिए दिया गया था। इस उपचुनाव में शिवराज सिंह चैहान ने जीत हासिल की थी। उसके बाद शिवराज ङ्क्षसह लगातार 5 विधानसभा चुनाव इसी सीट से जीते हैं।
21 साल से भाजपा को मिल रही जीत
बुधनी सीट पिछले 21 साल से भाजपा के पास है। यहां से कांग्रेस ने अंतिम बार 1998 का विधानसभा चुनाव जीता था। तब देवकुमार पटेल ने कांग्रेस को जीत दिलाई थी। उनके पहले उनके ही भाई राजकुमार पटेल 1993 में इस सीट से जीतकर कांग्रेस के विधायक बने थे। पिछले छह चुनावों में यहां कांग्रेस कई दिग्गजों को टिकट देकर आजमा चुकी है, लेकिन हर बार सीधा मुकाबला शिवराज से होने के कारण कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा है। यह पहला मौका है, जब कांग्रेस का सीधा शिवराज से मुकाबला नहीं होगा। इसीलिए कांग्रेस ने सीट जीतने के बाद बेहद आक्रामक रणनीति तैयार की है। इस बीच हुए चुनावों पर नजर डाली जाए तो बीते छह विधानसभा चुनावों में बुधनी में कांग्रेस से सिर्फ अरुण यादव ने खासा प्रभाव दिखाया। यादव ने शिवराज की जीत का अंतर कम किया, पर 2023 विस चुनाव में शिवराज ने 1 लाख से अधिक मतों से जीतकर रिकॉर्ड बनाया।
पैनल में यह हैं नाम
भाजपा द्वारा दिल्ली भेजे गए पैनल में इसमें पूर्व सांसद रमाकांत भार्गव, रघुनाथ सिंह भाटी, कार्तिकेय चौहान और रवि मालवीय के नाम शामिल हैं। इस सीट पर जिन नामों की चर्चा है। उनमें सबसे मजबूत नाम राजेन्द्र सिंह राजपूत का है। पूर्व विधायक राजेन्द्र सिंह राजपूत ने 2005 में यह सीट शिवराज सिंह चौहान के लिए सहर्ष छोड़ी थी। इस लिहाज से देखें तो इस सीट पर सबसे मजबूत दावेदार राजेन्द्र सिंह राजपूत ही हैं। इसकी वजह है करीब 20 साल पहले अपने राजनैतिक जीवन की शुरुआत में ही अपनी सीट छोड़ देने वाले राजेन्द्र सिंह की पॉलीटिक्स में फिर कोई टर्निंग पाइंट नहीं आया। उनका नाम विदिशा से लोकसभा चुनाव के लिए भी चला था ,लेकिन टिकट रमाकांत भार्गव को मिल गया था। उधर, विदिशा सीट से सांसद रहे रमाकांत भार्गव की गिनती भी शिवराज सिंह के करीबियों में होती है। एक नाम शिवराज सिंह के बेटे कार्तिकेय सिंह चौहान का भी है। लेकिन राजनीतिक जानकार ये मानते हैं कि शिवराज परिवारवाद के आरोप का जोखिम नहीं लेंगे, लिहाजा कार्तिकेय का नाम आगे बढ़ाना मुमकिन नहीं दिखाई देता।
बुधनी में निर्णायक है किरार समाज
बुधनी विधानसभा सीट पर किरार समाज का वोट निर्णायक है। यहां 40 हजार से ज्यादा किरार समाज के वोटर हैं और करीब 35 साल से इसी समाज ने इस सीट पर राजनीतिक प्रतिनिधित्व किया है। राजकुमार पटेल के बाद देव कुमार पटेल फिर राजेन्द्र सिंह राजपूत यहां से विधायक चुने गए थे। 2005 में राजेन्द्र सिंह के सीट को छोडऩे के बाद 2023 के विधानसभा चुनाव तक शिवराज सिंह चौहान इस सीट का प्रतिनिधित्व करते रहे हैं। हालांकि लगातार जिस सीट का शिवराज सिंह ने प्रतिनिधित्व किया उस पर आखिरी फैसला उनकी मुहर के बाद ही होगा।