
भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। कोरोना महामारी के चलते देश के साथ ही प्रदेश में बीते दो सालों से शिक्षा व्यवस्था ही पूरी तरह से बिगड़ गई है। इसकी वजह से बीते साल आरटीई के तहत प्रवेश नहीं होने से लाखों बच्चों की उम्र तय सीमा को पार कर गई है। अब इस बार नए सत्र के लिए आरटीई के तहत प्रवेश की प्रक्रिया शुरू करने की तैयारी है। इससे पहले अगर सरकार द्वारा बच्चों के लिए तय की गई उम्र की सीमा में रियायत नहीं दी गई तो लाखों गरीब बच्चों को अच्छे निजी स्कूलों में नि:शुल्क प्रवेश से वंचित रहना पड़ेगा।
दरअसल नए सत्र के लिए आरटीई नियमों के तहत इस साल निजी स्कूलों की 25 फीसदी सीटों पर गरीब बच्चों को प्रवेश दिया जाना है। इनमें उम्र सीमा के चलते बीते साल प्रवेश से वंचित रह गए गरीब बच्चों को प्रवेश मिलना मुश्किल हो गया है। अब जबकि प्रदेश में आरटीई के तहत प्रवेश प्रक्रिया शुरू की जा रही है, ऐसे में उम्र में छूट नहीं दिए जाने से लाखों बच्चों का प्रवेश से वंचित रहना तय है। इसकी वजह से अभिभावकों को अपने बच्चों के एडमिशन की चिंता सता रही है। उनका मानना है कि बीते साल भी आरटीई के तहत प्रवेश नहीं मिलने से हजारों बच्चे पढ़ाई से वंचित रह गए थे। इनमें से कई बच्चों के प्रवेश की उम्र निकल चुकी है। इस वजह से सरकार को प्रवेश में हुए गैप के एवज में उम्र में छूट देनी चाहिए। विभाग के अफसरों का कहना है कि कोरोना के चलते स्कूल नहीं खुले तो आरटीई के तहत प्रवेश देना मुश्किल हो सकता है। फिलहाल विभाग द्वारा अगले माह से आवेदन प्रक्रिया शुरू करने की तैयारी की जा रही है।
यह है आयु सीमा तय
शासन द्वारा निर्धारित आयु सीमा के अनुसार 3 साल से अधिक और 6 साल से कम आयु के बच्चे आरटीई के तहत प्रवेश के लिए आवेदन करने के लिए पात्र होते हैं। उधर सरकार की ओर से इस मामले में कहा जा रहा है कि आरटीई के तहत प्रवेश के लिए उम्र बढ़ाने का फैसला केन्द्र सरकार स्तर पर होना है। इसकी वजह यह है कि इस योजना का संचालन केन्द्र सरकार द्वारा किया जाता है। इसके लिए प्रदेश सरकार द्वारा केन्द्र को पत्र लिखकर अफसरों से भी चर्चा कर समस्या के निदान का प्रयास किया जाएगा।