
आईएएस एसोसिएशन का जांगिड़ और विवेक अग्रवाल के मामले में दोहरा रवैया
भोपाल/राजीव चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में आईएएस अफसर लोकेश जांगिड़ द्वारा सोशल मीडिया पर किए गए ट्वीट के मामले से एक बार फिर सरकार व प्रशासन के अलावा मप्र का आईएएस एसोसिएशन भी कठघरे में आ गया है। यही नहीं उनका हाल ही में किए गए तबादले के बाद उनके द्वारा जिस तरह से कहा गया है कि वे रिटायरमेंट के बाद मुंह खोलेंगे और तब बड़े खुलासे करेंगे। इसके लिए उनके द्वारा किताब लिखने की बात कही गई है। इसके बाद से ही प्रशासनिक बीथिकाओं में यह चर्चा जोरों पर है कि अगर जांगिड़ द्वारा मुंह खोला गया तो कई चेहरे बेनकाव हो जाएंगे। जिस तरह से इस मामले में अब कहा जा रहा है कि सरकार, प्रशासन व एसोसिएशन में से किसी का भी ईमानदार व युवा आईएएस अफसरों को साथ नहीं मिलता है। इस मामले में सबसे अधिक कटघरे में तो आईएएस एसोसिएशन ही नजर आ रही है। इसकी वजह है जब प्रदेश में विवेक अग्रवाल का मामला प्रदेश में गंूज रहा था और मीडिया में छाया हुआ था, तब उनके पक्ष में आकर एसोसिएशन ने उसे मीडिया ट्रायल बताते हुए उसे बंद करने तक की मांग कर दी थी और खुलकर अग्रवाल के पक्ष में मोर्चा खोल दिया था, जबकि अब लोकेश जांगिड़ के मामले में वही एसोसिएशन विरोध में खड़ी नजर आने लगी है। अग्रवाल का वह मामला भोपाल की स्मार्ट सिटी में हुए कथित घोटाले से जुड़ा हुआ था। अग्रवाल जब मीडिया में कथित घोटाले को लेकर छाए हुए थे तब तत्कालीन अध्यक्ष गौरी सिंह ने यहां तक कह दिया था कि यह मीडिया ट्रायल है, जिसे बंद किया जाना चाहिए। एसोसिएशन के यह दोहरे मापदंड ईमानदार व युवा अफसरों को रास नहीं आ रहे हैं। दरअसल जांगिड़ प्रदेश के ऐसे आईएएस अफसर है जिनका चार साल में आठ बार तबादला किया जा चुका है। वे 2014 बैच के अफसर हैं, उन्हें जहां भी पदस्थ किया गया कुछ समय बाद ही हटा दिया जाता है। दरअसल वे बेहद ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ अफसर की पहचान बना लेते हैं जिसकी वजह से उनके आला अफसर नाराज हो जाते हैं और उनके प्रभाव में उन्हें चलता कर दिया जाता है। उनका ताजा मामला बड़वानी जिले के कलेक्टर से लेकर विवाद के बाद तबादला किए जाने से जुड़ा हुआ है। इसमें उनके द्वारा सीधे-सीधे कलेक्टर शिवराज सिंह वर्मा पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। इसमें कहा गया है कि वर्मा उनकी वजह से पैसा नहीं ले पा रहे थे जिसकी वजह से उनके द्वारा अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर उनको अपर कलेक्टर पद से हटवा दिया गया है। इस मामले में जब उनके द्वारा एसोसिएशन के वाट्सएप ग्रुप पर कुछ पोस्ट की गई तो उनका एसोसिएशन के अध्यक्ष आईसीपी केसरी से भी विवाद हुआ, जिसके बाद केसरी द्वारा उन्हें ग्रुप से ही रिमूव कर दिया गया। इस मामले में खास बात यह है कि सरकार द्वारा उन्हें संरक्षण देने की जगह नोटिस देकर जवाब तलब किया गया है। इसके उलट वर्मा के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
इस मामले में जांगिड़ द्वारा कलेक्टर वर्मा को लेकर कई तरह की बातें कही गई हैं, जिसकी वजह से वर्मा की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। इसमें जांगिड़ द्वारा कलेक्टर वर्मा की आबकारी विभाग में पदस्थापना के समय की कार्यशैली का भी उल्लेख किया गया है। दरअसल वर्मा प्रदेश के किरार समाज से आते हैं। इस समाज का प्रदेश की सत्ता में बेहद खास असर माना जाता है। लगातार अपने तबादलों से परेशान होकर उनके द्वारा अब प्रदेश ही छोड़ने का मन बना लिया गया है।
महाराष्ट्र जाने की तैयारी
जांगिड़ अब महाराष्ट्र में नौकरी करने की तैयारी कर चुके हैं। इसके लिए उनके द्वारा महाराष्ट्र और केन्द्र सरकार को पत्र लिखा जा चुका है। इन दोनों ही जगहों से उनके आवेदन पर मंजूरी मिल चुकी है। अब उनके मामले में मप्र सरकार की सहमति भर मिलना शेष है। हालांकि इसके लिए उनके पारिवारिक कारणों का हवाला दिया गया है। अगर मप्र सरकार सहमति देती है तो वे तीन साल अपने गृह प्रदेश महाराष्ट्र में नौकरी करेंगे।