बिजली के बाद अब किसानों को खाद से भी लगा झटका

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  • खाद के लिए किसान को और अधिक दाम चुकाने होंगे …

भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। कम दाम और बढ़ती मंहगाई से परेशान चल रहे किसान को अब खाद के लिए अधिक दाम चुकाने होंगे, ऐसे में खेती लाभ का धंधा कैसे बनेगा यह किसानों का समझ नहीं आ रहा है।
दरअसल हाल ही में सरकार द्वारा सुपर फास्फेट खाद के दामों में हर बोरी पर 243 रुपए की वृद्धि कर दी है। इसकी वजह से अब किसानों को खरीफ की बोनी के लिए इस साल सुपर फास्फेट खाद 425 मुकाबले 568 रुपए चुकोने होंग। एक सप्ताह के भीतर प्रदेश में मानसून की दस्तक हो जाएगी। इसे देखते हुए किसानों द्वारा  बोनी के लिए खेतों की तैयारी का काम शुरू कर दिया गया है,  लेकिन अभी किसानों को सुपर फास्फेट खाद नहीं मिल पा रही है। किसान सिंगल सुपर फास्फेट के लिए भटक रहे हैं। ऐसा नहीं है कि प्रदेश में सिंगल सुपर फास्फेट की कमी है, लेकिन राज्य सरकार द्वारा रेट तय करने में की गई देरी की वजह से यह स्थिति बनी है। इसकी वजह से किसान अपना सब काम छोड़कर भीषण गर्मी में सेवा सहकारी समितियों के चक्कर काट रहे हैं। वहां किसानों को एक ही जवाब मिल रहा है कि अभी रेट तय नहीं हुआ है। दरअसल सिंगल सुपर फास्फेट का उपयोग किसान खरीफ में बोनी के पहले खेत तैयार करते समय करते हैं। जहां पर मानसून पूर्व की वर्षा हुई है, वहां यह कीम शुरू हो गया है।
विशेषकर मालवा-निमाड़ क्षेत्र एवं सोयाबीन उत्पादक जिलों में इस समय सुपर फास्फेट की किसानों को अत्यधिक जरूरत है। जानकारी के अनुसार मप्र राज्य रुपए प्रति बोरी मिलेगी, यह पिछले वर्ष के विपणन संघ ने हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी सुपरफास्फेट के लिए निर्माता कंपनियों से टेन्डर बुलाए और सभी आवश्यक कार्यवाही भी कर ली। सुपर फास्फेट निर्माताओं ने कच्चे माल की बढ़ती कीमतों का हवाला देकर विपणन संघ से सुपर फास्फेट का दाम बढ़ाने का अनुरोध किया। निमार्ताओं ने पिछले वर्ष के मुकाबले सुपर फास्फेट 70 से 80 फीसदी महंगी करने का प्रस्ताव राज्य सरकार को दिया था।
वास्तव में सुपर फास्फेट का भाव बहुत अधिक बढ़ने की संभावना के डर से कृषि उत्पादन आयुक्त शैलेन्द्र सिंह की अध्यक्षता में गठित समिति निर्णय नहीं ले पा रही थी। अंतत: बुधवार को हुई बैठक में निर्माताओं द्वारा दिए गए प्रस्ताव पर गहन चर्चा के बाद सुपर फास्फेट खाद की कीमत 425 रुपए प्रति बोरी (पचास किलो) तय की गई। यह पिछले वर्ष 274 रुपए प्रति बोरी के मुकाबले 147 रुपए अधिक है।
यह बताई जा रही है वजह
बताया जाता है कि केन्द्र सरकार ने सुपर फास्फेट पर सब्सिडी पिछले साल के बराबर ही देने की घोषणा की है। इससे डेढ़ सौ रुपए प्रति बोरी तक रेट बढ़ सकते हैं। गांवों में पंचायत चुनाव की प्रकिया शुरू हो गई है। ऐसे में सरकार सुपर फास्फेट का रेट बढ़ाकर किसानों को नाराज नहीं करना चाहती।  ऐसी स्थिति में दो ही उपाय हैं- या तो केन्द्र सरकार सब्सिडी बढ़ाए या राज्य सरकार किसानों को बढ़ी हुई कीमत दे। बड़ा सवाल यह है कि राज्य सरकार की आर्थिक स्थिति को देखते हुए क्या यह संभव हो पाएगा।

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