भाजपा के बाद अब कांग्रेस में भी आरंभ हुई मुलाकात पॉलिटिक्स

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भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में इन दिनों दोनों ही प्रमुख राजनैतिक दल भाजपा व कांग्रेस में अंदरूनी राजनीति गर्माई हुई है। इसकी वजह है दोनों ही दलों के असंतुष्ट नेताओं का एक दूसरे के घर जाकर उनसे बंद कमरों में मेल-मुलाकात करना। यह बात अलग है कि भाजपा में यह दौर अब समाप्त हो चुका है, तो कांग्रेस में शुरू हो गया है, जिसकी वजह से अब कांग्रेस की अंदरुनी राजनीति गर्मा गई है। दरअसल कांग्रेस में पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ को लेकर असंतोष बढ़ता ही जा रहा है। इसकी वजहें दो बनी हुई है। पहली पूर्व उप नेता प्रतिपक्ष चौधरी राकेश सिंह की पार्टी में वापसी के साथ ही उन्हें रीवा जिले का प्रभारी बनाया जाना और दूसरा पार्टी में सभी प्रमुख पद लंबे समय से कमलनाथ के पास ही रहना।
यही वजह है कि अब इस मामले में खुद हाईकमान को पार्टी के राष्ट्रीय सचिव संजय कपूर को भोपाल भेजना पड़ा है। मप्र में असंतोष ऐसे समय उभरा है जब कांग्रेस को अलग-अलग प्रदेशों में अपनी ही सरकार के अंदर चल रही वर्चस्व व गुटबाजी से जूझना पड़ रहा है। यही नहीं यह संकट ऐसे समय प्रदेश में खड़ा हुआ जबकि तीन विधानसभा के साथ ही एक लोकसभा का उपचुनाव तो होना ही है साथ ही नगरीय निकायों और पंचायतों के चुनाव भी होने हैं। बेहद अहम बात तो यह है कि पार्टी हाईकमान द्वारा कपूर को ऐसे समय प्रदेश के दौरे पर भेजा गया है जब कमलनाथ मप्र से बाहर डेरा जमाए हुए हैं। बीते रोज भोपाल आते ही कपूर ने जिन दो नेताओं से पहले अलग-अलग और फिर बाद में एक साथ बैठक की उनमें अजय सिंह के अलावा अरुण यादव शामिल हैं। यह दोनों नेता कांग्रेस में प्रभावशाली होने के साथ ही प्रदेश की राजनीति में भी अहम चेहरा माने जाते हैं। इसकी वजह है अजय सिंह का पूर्व मुख्यमंत्री और राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले अर्जुन सिंह का पुत्र होना। वे कई बार विधायक के अलावा मंत्री और नेता प्रतिपक्ष भी रह चुके हैं। यह बात अलग है कि बीते कई सालों से उनका भाग्य खराब चल रहा है, जिस वजह से वे न केवल विधानसभा चुनाव हारे बल्कि दो -दो लोकसभा चुनाव में भी खेत रहे हैं। यह पराजय उन्हें लगातार हुए चुनावों में मिली है। यही नहीं प्रदेश में कांग्रेस की नाथ सरकार बनी तब भी उन्हें सत्ता में भागीदारी देने से दूर रखा गया। इस बीच उनके धुर विरोधी चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी को भी पार्टी में ले लिया गया और पार्टी उन्हें उपचुनाव में उतारने की तैयारी भी करने लगी थी, लेकिन ऐनवक्त पर अजय सिंह के चौधरी राकेश सिंह को टिकट दिए जाने के विरोध को पार्टी की ठाकुर लॉबी का साथ मिलने से पार्टी को उनकी जगह दूसरे नेता को उपचुनाव में उतारना पड़ा था। यह बात अलग है कि कांग्रेस वह सीट हार गई। दरअसल कमलनाथ इस समय चौधरी राकेश सिंह को उनकी कार्यशैली के चलते अहम महत्व दे रहे हैं। इसके बाद कुछ समय पहले ही जब नाथ ने जिला प्रभारियों की घोषणा की तो चौधरी राकेश सिंह को अजय सिंह के जिले का प्रभार दे दिया गया, जिसकी वजह से उनकी नाराजगी और बढ़ गई। यही वजह रही की हाल ही में अजय सिंह ने खुलकर कमलनाथ द्वारा दिए गए एक बयान की जमकर आलोचना की थी। बीते रोज कपूर भोपाल दौरे पर आए तो सीधे पहले अरुण यादव के बंगले पर और फिर अजय सिंह के बंगले पर मुलाकात करने पहुंच गए। इससे यह तो तय हो गया है कि हाईकमान द्वारा अब प्रदेश में पार्टी नेताओं के बीच चल रहे विवाद को सुलझाने की कवायद शुरू कर दी गई है। अरुण यादव की नाराजगी की वजह है गोडसे भक्त ग्वालियर के पूर्व पार्षद को पार्टी में लिया जाना। अरुण यादव इन दिनों खंडवा लोकसभा में होने वाले उपचुनाव में पार्टी की ओर से बड़े दावेदार बने हुए हैं। वे पार्टी के दिग्गज किसान नेता रहे सुभाष यादव के पुत्र होने के साथ ही केन्द्र में मंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रह चुके हैं। दरअसल यह दोनों ही नेता इन दिनों कमलनाथ से नाराज चल रहे हैं। यही वजह है कि यह दोनों ही नेता पीसीसी में बड़ा बदलाव चाहते हैं।
नाथ को प्रदेशाध्यक्ष पद से चाहते हैं मुक्ति
बताया जा रहा है कि इस मुलाकात में दोनों नेताओं ने कमलनाथ के पास मौजूद प्रदेशाध्यक्ष व नेता प्रतिपक्ष में से प्रदेशाध्यक्ष पद से हटाकर किसी दूसरे नेता को यह दायित्व देने की भी मांग की है। इसके पीछे जो तर्क दिए जाने की खबर है, उसमें कहा गया है कि वर्ष 2018 में विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस पूरी तरह से मैदानी संघर्ष में रही थी। तब प्रदेश कांग्रेस की कमान अरुण यादव के पास और नेता प्रतिपक्ष का पद अजय सिंह के पास था। उनका कहना है कि उनकी इस मेहनत की वजह से प्रदेश में सरकार बनी। इसका फायदा कमलनाथ ने उठाते हुए सभी पद अपने ही पास रख लिए और सर्वेसर्वा बन गए हैं। इस दौरान यह भी कहा गया है कि पीसीसी की कमान किसी ऐसे व्यक्ति को दी जाए जो प्रदेश का दौरा कर कार्यकर्ताओं को सक्रिय कर सके। कमलनाथ ऐसा करने में अक्षम हैं। यही नहीं उनके रहते पार्टी में विवाद बढ़ रहे हैं।
नाथ चला रहे हैं अकेले पार्टी
बताया जा रहा है कि कपूर के साथ हुई मुलाकात में अजय सिंह ने नाथ को लेकर कहा है कि वे अकेले ही पार्टी चला रहे हैं। पार्टी नेताओं से विचार विमर्श तक नहीं किया जाता है। इस दौरान उनके द्वारा विंध्य में मिली पार्टी की हार की वजहों को भी बताया है। अजय सिंह ने प्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिरने की वजह भी कमलनाथ की कार्यशैली को बताया है। इस दौरान चौधरी राकेश सिंह को रीवा का प्रभारी बनाए जाने का मामला भी उठा। उन्होंने नाथ की कार्यशैली पर सवाल खड़ा करते हुए साफ कह दिया है कि अगर नाथ इसी तरह से काम करते रहे तो प्रदेश में भाजपा का मुकाबला करना बेहद कठिन हो जाएगा।
संगठन में जल्द होगा बदलाव
इस बीच कमलनाथ के बेहद करीबी और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सज्जन सिंह वर्मा ने अपने बयान में कहा है कि जल्द ही प्रदेश संगठन में बदलाव किया जाएगा। यह बदलाव अगले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर किया जाएगा, जिसमें सालों से एक ही पद पर रहने वाले नेताओं को तो हटाया ही जाएगा साथ ही कई जिलों के अध्यक्षों को भी बदला जाएगा। उन्होंने कहा कि इस बदलाव में युवा और ऊर्जावान नेताओं को महत्व दिया जाएगा। इनमें युवक कांग्रेस के नेताओं को विशेष महत्व दिया जाएगा।

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