13 साल बाद खुली नींद, अब जाकर सिविल कोर्ट में दर्ज होगा प्रकरण

प्रकरण
  • मामला रोहित गृह निर्माण समिति के अपात्रों के प्लाटों का

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। शहर की सर्वाधिक विवादित रोहित गृह निर्माण समिति के मामले में अब 13 सालों बाद अफसरों की नींद खुली है, तब कहीं जाकर उपायुक्त सहकारिता द्वारा सिविल कोर्ट में प्रकरण दायर किया गया है। इसके तहत उन 143 प्लाटों की रजिस्ट्री शून्य कराई जाना है, जिन अपात्रों ने यह प्लाट अवैधानिक रूप से खरीदे थे। इस समिति के प्रमुख कर्ताधर्ता घनश्याम सिंह राजपूत का रसूख ही ऐसा है कि उस पर सरकारों से लेकर शासन और प्रशासन  इतना मेहरबान रहा है कि उसके फर्जीबाड़ा पर आंख मूंदकर उसे प्राश्रय दिया जाता रहा है। यही नहीं सहकारिता विभाग की कार्यशैली ही ऐसी है कि जो जितना नियम तोड़े अवैधानिक काम करे , उसे उतना ही प्राश्रय दिया जाता है। यही वजह है कि जिले में रजिस्टर्ड 581 गृह निर्माण समितियों में से मात्र 200 ऐसी हैं, जो ठीक ठाक काम कर रही हैं। बाकी में शिकायतों का अंबार लगा हुआ है। किसी में गैर सदस्यों को प्लाट बेच दिए गए तो कहीं बिल्डरों ने कालोनी बना दी। इस मामले में अधिक हो हल्ला होने पर दो दर्जन से अधिक समितियों के कर्ताधर्ताओं पर दिखावे के लिए जरुर  पूर्व में एफआईआर दर्ज कराई गई, लेकिन फर्जीवाड़ा पर रोक नहीं लग सकी।
 गौरतलब है कि सहकारिता विभाग ने वर्ष 2004-05 में बावडिय़ाकलां स्थित रोहित गृहनिर्माण समिति में अनियमितता और फर्जीवाड़े के आरोप सामने आने के बाद जांच कराई गई थी। उस समय इस मामले में सिविल कोर्ट में प्रकरण दर्ज कराने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन अफसर उस पर कुंडली मारकर  बैठे रहे। अब जाकर उपायुक्त सहकारिता ने इस समिति के अपात्र सदस्यों के 143 प्लाटों की अवैध रजिस्ट्री शून्य कराने के लिए सिविल कोर्ट में प्रकरण लगाया  है। इन रजिस्ट्रियों को शून्य कराने के बाद बचे हुए पात्र सदस्यों को वरिष्ठता सूची के आधार भूखंड आवंटित किए जाएंगे। विभागीय सूत्रों के मुताबिक, साल 2011 में रिपोर्ट में जांच अधिकारी ने पाया कि अपात्रों को 143 भूखंड बांटे गए थे। इनमें से कुछ मामले ऐसे हैं, जिनमें एक परिवार को 3-4 भूखंड आवंटित किए गए थे। विस्तृत जांच में इनकी भूखंडों की रजिस्ट्री को अवैध करार दिया गया था। इसके साथ ही तत्कालीन संचालक मंडल को इनकी रजिस्ट्री शून्य कराने के निर्देश दिए गए थे। विभाग ने वर्ष 2015 में संचालक मंडल को निलंबित करते हुए प्रशासक बैठा दिया। उसके बाद से कई प्रशासक बदल चुके हैं, लेकिन किसी ने भी कार्रवाई करना उचित नहीं समझा।
लाखों रुपए जमा करने के बाद भटक रहे
रोहित गृह निर्माण समिति करीब 109 एकड़ में फैली है। इसके दो फेज बावडिय़ा कलां व रोहित नगर में और तीसरा फेस जाटखेड़ी में है। समिति के करीब 2024 सदस्य है। अभी भी 330 पात्र सदस्य ऐसे हैं, जो पांच से 10 लाख रुपए जमा करने के बाद अपने भूखंड के लिए करीब 20 वर्षों से भटक रहे हैं। अब तो इन सदस्यों की तीसरी पीढ़ी अपने भूखंड के लिए लगातार आंदोलनरत है। इस दौरान वह सभी फोरम पर मामले को उठा चुके हैं।
अब तक तीन समिति की पुलिस से शिकायत
सहकारिता विभाग राजधानी की एक दर्जन से अधिक गृह निर्माण समितियों के फर्जीवाड़े की जांच कर रहा है। सूत्रों ने बताया कि तीन समितियों की जांच पूरी हो गई है। जांच में दोषी पाए जाने पर आदिराज गृह निर्माण समिति के अध्यक्ष विदित राज पाटनी पर एफआइआर दर्ज कराई जा चुकी है। वहीं, गौरव गृह निर्माण समिति के अलावा पंचसेवा गृह निर्माण समिति के अध्यक्ष अशोक गोयल पर एफआइआर दर्ज कराने के लिए थाने में सहकारिता विभाग ने आवेदन दिया है।
2009 में दर्ज हुआ था मामला
रोहित गृह निर्माण समिति के अध्यक्ष रहे घनश्याम सिंह राजपूत सहित संचालक मंडल में रहे 24 पदाधिकारियों पर ईओडब्ल्यू ने एफआईआर दर्ज की थी। राजपूत के खिलाफ फर्जीवाड़े की पहली शिकायत ईओडब्ल्यू में 2009 में हुई थी, लेकिन उसके रसूख के आगे जांच एजेंसियों की फाइलें बार-बार बंद हो जाती थीं। पिछली सरकार में तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने विधानसभा में यह आरोप लगाया था कि रोहित सोसायटी में भाजपा के एक पूर्व मुख्यमंत्री के करीबियों को भी नियम विरूद्ध ढंग से प्लॉट आवंटित हुए हैं। राजपूत ने खुद और पत्नी संध्या सिंह के नाम से सोसायटी में 2003 में दो प्लॉट लिए। इसके बाद 2005 में वह षड्यंत्रपूर्वक खुद सोसायटी के संचालक मंडल में शामिल हो गया। ईओडब्ल्यू द्वारा सोसायटी के संचालक मंडल में सदस्य रहे तुलसीराम चंद्राकर, मोहम्मद अयूब खान, श्रीकांत सिंह, केएस ठाकुर, एलएस राजपूत, बसंत जोशी, श्रीमती सुरेंद्रा, ज्योति तारण, अमरनाथ मिश्रा, अनिल कुमार झा, रेवत सहारे, अमित ठाकुर, एमडी सालोडकर, गिरीशचंद्र कांडपाल, अरूण भगोलीवाल, बालकिशन निनावे, सीएस वर्मा, सविता जोशी, सुशीला पुरोहित और रामबहादुर और सीमा सिंह , सुनील चौबे और राकेश प्रताप के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज किया जा चुका है। रामबहादुर घनश्याम का चचेरा भाई है और सीमा सिंह उसकी भतीजी है।

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