मंत्रालय से लेकर जिलों तक… होगी प्रशासनिक सर्जरी

  • हटेगा तबादलों से प्रतिबंध… ब्यूरोक्रेट्स को नई पदस्थापना का इंतजार
  • विनोद उपाध्याय
मंत्रालय

विधानसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री और लगभग पूरा मंत्रिमंडल बदला जा चुका है, लेकिन मुख्यमंत्री और मंत्रियों के नए होने के कारण बड़ी संख्या में तबादले नहीं किए गए थे। इसके बाद लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू हो जाने के कारण तबादलों पर प्रतिबंध लगा हुआ है। 4 जून को लोकसभा चुनाव की मतगणना होने के बाद 6 जून को आचार संहिता समाप्त हो रही है। संभावना जताई जा रही है कि इसके साथ ही तबादलों पर से प्रतिबंध हट जाएगा। मंत्रालय से लेकर जिलों तक प्रशासनिक सर्जरी होगी। ऐसे में ब्यूरोक्रेट्स को नई पदस्थापना का इंतजार है। नई पदस्थापना के चक्कर में मंत्रालय में कामकाज लगभग ठप सा पड़ा हुआ है।
गौरतलब है कि चुनावी वर्ष होने के कारण आचार संहिता लागू है, इसलिए राज्य सरकार ने तबादलों को लेकर नीति की घोषणा नहीं की है। आमतौर पर सरकार तबादलों पर प्रतिबंध हटाने से पहले नई तबादला नीति को कैबिनेट की मंजूरी के बाद घोषित करती है, उसी में कितने दिन तबादला होना है और किस स्तर के कर्मचारी-अधिकारी के तबादले का अधिकार अधिकारियों को, या फिर जिले के प्रभारी मंत्री को होंगे, इसका भी उल्लेख रहता है। तबादलों से प्रतिबंध हटते ही विभाग सीधे मुख्यमंत्री समन्वय को प्रस्ताव भेजकर आवश्यकता के अनुसार तबादले कर सकेंगे। इसके लिए सामान्य प्रशासन, लोक निर्माण समेत विभिन्न विभागों ने तैयारियां शुरू कर दी है। बताया जाता है कि नई तबादला नीति में गंभीर बीमारी, प्रशासनिक, स्वेच्छा सहित अन्य आधार पर स्थानांतरण को प्राथमिकता मिलेगी।  प्रशासनिक सर्जरी की अटकलों के बीच अधिकारी काम में रुचि नहीं दिखा रहे हैं। लूपलाइन में पड़े कई अधिकारी अच्छी पोस्टिंग के लिए अभी से सक्रिय हो गए हैं।
बड़ी प्रशासनिक सर्जरी की तैयारी
जानकारी के अनुसार, लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया पूरी होने और आचार संहिता हटने के बाद पिछले छह माह से तबादलों पर लगा प्रतिबंध छह जून को हट जाएगा। इसके बाद विभाग प्रशासकीय आधार पर तबादले कर सकेंगे। वल्लभ भवन में सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों के तबादले की तैयारी शुरू हो गई हैं। हालांकि अभी तक शासन की स्थानांतरण नीति जारी नहीं हुई है, लेकिन मानसून सत्र के बाद जारी होने की संभावना है ,इससे साफ हो जाएगा कि किस आधार पर प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों-अधिकारियों के तबादले होंगे। फिलहाल मप्र में आधिकारिक तौर पर मुख्यमंत्री समन्वय से अनुमति के बाद ही किसी कर्मचारी का तबादला हो सकता है। दरअसल, मप्र में लोकसभा चुनाव के लिए मतदाता सूची तैयार करने के लिए कार्यक्रम की घोषणा के साथ ही तबादलों पर प्रतिबंध लग गया था। इसके चलते राज्य सरकार चुनाव कार्य में संलग्न 65 हजार बूथ लेवल ऑफिसर, कलेक्टर, कमिश्नर, पुलिस महानिरीक्षक, पुलिस अधीक्षक समेत कई संवर्गों के अधिकारियों-कर्मचारियों के तबादले चुनाव आयोग की अनुमति के बाद नहीं कर सकती थी, लेकिन इस अवधि में केवल उन्हीं अधिकारियों-कर्मचारियों के तबादले हुए जो प्रशासकीय दृष्टि से बहुत आवश्यक थे। मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव अधिकारियों के स्थानांतरण को लेकर मुख्य सचिव के साथ बैठक कर चुके हैं। वरिष्ठ अधिकारियों की माने कामकाज के आधार पर अधिकारियों की रेटिंग की जाएगी।
यह रेटिंग राजस्व मामलों में लंबित मामलों, गेहूं खरीद, किसानों के लंबित जमीन संबंधी मामलों के अलावा कानून व्यवस्था के आधार पर दी जाएगी। काम न करने वाले जिला कलेक्टरों को स्थानांतरित कर सचिवालय में वापस लाया जाएगा या उन्हें अन्य विभागों में भेजा जाएगा, जबकि बेहतर प्रशासन और सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए नए अधिकारियों को तैनात किया जाएगा। मंत्रालय के सूत्रों ने पुष्टि की है कि उन्हें उन अधिकारियों की सूची बनाने के निर्देश मिले है, जिन्हें स्थानांतरित करने की आवश्यकता है। 2015 बैच के आईएएस अधिकारी भी कलेक्टर बनने की अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। उन्हें फील्ड में भेजा जाएगा। मंत्रालय में भी एक ही विभाग में वर्षों से जमे अपर मुख्य सचिव व प्रमुख सचिवों की नई पदस्थापना की जाएगी। कई एसीएस और पीएस ऐसे है, दो-दो सरकारें बदलने के बाद भी एक ही विभाग में जमे हैं। अच्छा काम करने वाले अपर मुख्य सचिवों और प्रमुख सचिवों को बड़े विभागों में पदस्थ किया जाएगा। उनकी परफॉरमेंस की रेटिंग की जा रही है। इसके अलावा कई निगम मंडलों के एमडी भी बदलेंगे।
पसंद के अधिकारियों के लिए जमावट शुरू
प्रदेश सरकार के कई मौजूदा मंत्री ऐसे हैं, जिनका अपने विभाग के प्रमुख सचिवों, सचिवों या अन्य अधिकारियों से पटरी नहीं बैठ  पा रही है। कुछ अधिकारी ऐसे हैं, जिन्हें पसंद नहीं किया जा रहा है। इसके साथ ही जिलों में स्थानीय नेताओं से पटरी नहीं बैठा पाने वाले, शिकायतों या किसी अन्य कारणों से विवादों में आए अधिकारियों को भी बदले जाने की तैयारी है। इसी बीच विधायकगण भी अपने-अपने क्षेत्र के कार्यों को सहजता और प्राथमिकता से कराने के लिए पसंद के अधिकारियों की क्षेत्र में जमावट को लेकर तैयारी कर रहे हैं। वहीं कई मंत्रियों ने भी अपने विभाग में पसंद के अधिकारियों की पदस्थापना को लेकर भी इच्छा जाहिर की जा चुकी है।  अधिकारियों के साथ प्रदेश सरकार के मंत्री भी बड़े फैसले नहीं ले रहे है। कई मंत्री ऐसे हैं, जो पिछले छह महीने से सिर्फ रुटीन फाइलें ही निपटा रहे हैं। इस बात की अटकलें लगाई जा रही है कि चुनाव परिणाम आने के बाद मंत्रियों को नए सिरे से विभाग दिए जाएंगे। मुख्यमंत्री के पास अभी गृह, खनिज, सामान्य प्रशासन, जेल जैसे विभाग है। इन विभागों को भी भी वे मंत्रियों के बीच बांट सकते हैं। इस बात की भी उम्मीद है कि चुनाव परिणाम के बाद सीएम अपने कुनबे में कुछ और मंत्रियों को शामिल करें। इसके अलावा मंत्रियों को जिले का प्रभार भी अगले महीने दे दिया जाएगा।

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