मौतों पर भी भारी है प्रशासनिक लापरवाही

प्रशासनिक लापरवाही
  • एक माह तक रिपोर्ट पर कुंडली मारकर बैठे रहे दमोह कलेक्टर  

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। इन दिनों दमोह में सात लोगों की आपरेशन के बाद हुई मौतों का मामला पूरे देश में छाया हुआ है। मामले का खुलासा होने के बाद  भी कलेक्टर द्वारा मामले की जांच रिपोर्ट को दबाए रखा गया। मामले ने जब तूल पकड़ तब कहीं जाकर फर्जी चिकित्सक के खिलाफ मामला दर्ज कर उसे गिरफ्तार किया गया है। इस मामले में अब राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग की टीम ने भी जांच शुरु कर दी है।
आयोग  की टीम को भी प्रारंभिक जांच में मरीजों की मौत के मामले में जिला प्रशासन के अधिकारियों को कठघरे में खड़ा किया है। आयोग की प्रारंभिक रिपोर्ट में मरीजों की मौत के लिए प्रशासन को भी जिम्मेदार ठहराया गया है।  दरअसल, आयोग इस मामले में देरी से की गई कार्रवाई को लेकर नाराज बताया जा रहा है। खुलासा हुआ है कि इस मामले में 20 फरवरी को शिकायत हुई थी , जिसके बाद 6 अप्रैल को आनन-फानन में मामला दर्ज कराया गया है। यही नहीं इस मामले की रिपोर्ट दमोह कलेक्टर को जिला स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा 7 मार्च को ही कलेक्टर को मिशन अस्पताल में मरीजों की मौतों की रिपोर्ट दी जा चुकी थी। इसमें  फर्जी डॉक्टर ऐन जॉन केम उर्फ नरेन्द्र यादव की डिग्रियां फर्जी होने का भी उल्लेख किया गया था। इस मामले में कलेक्टर ने कार्रवाई करने की बजाए पूरे मामले को ही महीने भर तक दबाव रखा था। राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के सदस्य प्रियंक कानूनगो का इस मामले में कहना है कि अभी उन्हें प्राथमिक रिपोर्ट मिली है, जिसमें मिशन  अस्पताल की गंभीर लापरवाही मिली है और जिला प्रशासन नीयत साफ नहीं दिखी। आयोग की टीम ने मिशन अस्पताल में फर्जी कॉडियोलॉजिस्ट डॉक्टर जॉन केम द्वारा इलाज के दौरान 7 लोगों की मौत के मामले में लापरवाही के लिए जिला प्रशासन के अफसरों को जिम्मेदार माना है। अस्पताल में मरे लोगों के लिए अफसर ही जिम्मेदार हैं। अधिकारियों को इस अस्पताल को बंद कर देना चाहिए था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। अब दमोह कलेक्टर सुधीर कोचर का कहना है कि उन्हें अभी तक इस मामले की आयोग से रिपोर्ट नहीं मिली है।
अब मुख्यालय भी हुआ सक्रिय  
इस मामले में मानव अधिकार आयोग की रिपोर्ट में जिला प्रशासन की लापरवाही और अस्पताल में फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद मप्र स्वास्थ्य संचालनालय भी अब सक्रिय हुआ है। आयुक्त तरुण राठी ने अब इस मामले में सभी सीएमएचओ को अस्पताल, क्लीनिक एवं अन्य स्वास्थ्य संस्थाओं की जांच के आदेश दिए हैं। इसके बाद प्रदेश भर में स्वास्थ्य अमला ताबड़तोड़ कार्रवाई में जुटा है। शुक्रवार और शनिवार को भोपाल में ही एक दर्जन से ज्यादा स्वास्थ्य संस्थाओं पर कार्रवाई की है। जिनमें कुछ को सील भी किया जा चुका है। बताया गया कि प्रदेश भर में 100 से ज्यादा स्वास्थ्य संस्थाओं पर कार्रवाई की गई है। जिनमें से सबसे ज्यादा ग्वालियर-चंबल में हुई है।
शिकायत पर भी नहीं की कार्रवाई
दमोह बाल संरक्षण आयोग के सदस्य दीपक तिवारी ने ही कृष्णा पटेल की शिकायत
पर इस मामले को उठाया है। उनका कहना है कि पीड़ित कृष्णा के माध्यम से फरवरी के महीने में ये मामला मेरे सामने आया था। डॉक्टर नरेंद्र जॉन केम पर संदेह उठा तो हमने इसकी हिस्ट्री निकालनी शुरू की। पता चला कि इसके ऊपर पहले से कई एफआईआर दर्ज हैं। साथ ही इस नाम के एक सुप्रसिद्ध कार्डियोलॉजिस्ट अमेरिका में प्रैक्टिस कर रहे हैं। उनकी साइट पर जाकर देखा तो उन्होंने भी इस डॉक्टर के बारे में लिखा था कि ये हमारे नाम से इंडिया में फर्जी काम कर रहा है। हमने कलेक्टर सुधीर कोचर और सीएमएचओ मुकेश जैन को आवेदन दिया। उन्होंने जांच कमेटी बनाई। डेढ़ महीने बीत चुके थे, लेकिन जांच पूरी नहीं हो रही थी। हम प्रशासन से लगातार अपडेट ले रहे थे, लेकिन कोई ठोस जवाब और न्याय नहीं मिल रहा था। इसके बाद हमने मानव अधिकार आयोग से इसकी शिकायत की।

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