- फर्जी बिलों का कर दिया गया भुगतान
- गौरव चौहान
प्रदेश के इंदौर सहित 12 नगर निगम में 1800 करोड़ के फर्जी बिल घोटाला सामने आया है। इसी तरह का इंदौर में हुआ घोटाला इस समय सुर्खियों में बना हुआ है। बता दें कि इंदौर नगर निगम में 107 करोड़ से ज्यादा के फर्जी बिल लगाए गए हैं। जबकि राजधानी भोपाल में 270 करोड़ रुपये के फर्जी बिल लगाए गए हैं। वहीं सागर में 120 करोड़, खडंवा में 109 करोड़, ग्वालियर में 195 करोड़, जबलपुर में 220 करोड़, बुरहानपुर में 112 करोड़, उज्जैन निगम में 145 करोड़, देवास में 113 करोड़, रीवा में 129 करोड़, रतलाम में 114 करोड़ और सतना में 124 करोड़ रुपये के बिल बनाकर 5 वर्षों तक नगर निगम को लूटा गया है।
अब इंदौर के फर्जी बिल मामले में अब पुलिस ने धरपकड़ शुरू कर दी है। नगर निगम के इंदौर में हुए घोटाले में पुलिस ने रविवार को दो आरोपियों के घर दबिश दी थी। जिसके बाद पुलिस उनके घर में सर्चिंग कर रही है। पुलिस के साथ-साथ निगम भी आंतरिक समिति इस मामले की जांच में जुटी है। बता दें कि पुलिस ने निपानिया में आरोपी राहुल वडेरा और मदीना नगर के रहने वाले मोहम्मद सिद्दीकी के घर दबिश दी थी।
तैयार किए फर्जी दस्तावेज
पांचों ठेकेदारों नें 20 ड्रेनेज कार्यों के फर्जी दस्तावेज पहले तैयार करवाए और फिर दस्तावेज सीधे ऑडिट विभाग के पास भेज दिए । वहां से यह सारे दस्तावेजों को पास कर दिया गया। जबकि पांचों फर्म को वर्क ऑर्डर ही जारी नहीं हुए। बता दें कि इनसे जुड़े आवक और जावक क्रमांक भी फर्जी निकले थे। खास बात ये है कि जिन कार्यों के बिल प्रस्तुत किए गए थे। उनका ठेका अन्य ठेकेदारों को मिला था। जबकि अनुबंध भी अन्य फर्मों के साथ किया गया था।
ननि समिति जांच में जुटी
बिल फर्जी मामले में पुलिस के साथ नगर निगम की आंतरिक समिति भी जांच में जुट गई है। वहीं पिछले 10 वर्षों में इन फर्म को कितना भुगतान किया गया है। उन सभी कामों का भौतिक सत्यापन भी करवाया जा रहा है। बता दें कि 188 में से 10 फाइलें जलकार्य, उद्यान सहित अन्य विभागों की बताई जा रही हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि इन पांचों फर्म ने 2022 के पहले के सभी भुगतान निगम से ले लिया है।
28 करोड़ से पहुंचा 107 करोड़
मीडिया रिपोट्र्स के मुताबिक इंदौर नगर निगम में पहले 28 करोड़ रुपये के घोटाले की बात सामने आई थी जो अब बढक़र 107 करोड़ रुपये तक पहुंच गई। 2015 से लेकर 2022 तक पांच कंपनियों ने 107 करोड़ रुपये के 188 बिल वित्त विभाग को उपलब्ध कराए थे। बता दें कि 2022 से पहले इन कंपनियों के द्वारा प्रस्तुत किए सभी 168 बिलों का 79 करोड़ रुपये का भुगतान पहले ही किया जा चुका था। वहीं बाकी बचे 20 बिल का 28 करोड़ रुपये अभी भी बकाया है। फर्जी बिल के मामले में कांग्रेस ने प्रधानमंत्री को एक्स पर ट्वीट करके सीबीआई से इस मामले की जांच करवाने की भी मांग की है।
5 लोगों पर मामला दर्ज
नगर निगम को फर्जी बिल का पता लगने के बाद उसने पांचों फर्म के पांच लोगों के नाम एफआईआर दर्ज करवाई है। इसमें नींव कंस्ट्रक्शन के मोहम्मद साजिद, किंग कंस्ट्रक्शन के मोहम्मद जाकिर, ग्रीन कंस्ट्रक्शन के मोहम्मद सिद्दीकी, जाह्नवी इंटरप्राइजेस के राहुल वडेरा और क्षितिज इंटरप्राइजेस की रेणु वडेरा के खिलाफ एफआईआर करवाई है। जिसमें से पुलिस ने आरोपी राहुल वडेरा और मोहम्मद सिद्दीकी के घर पर दबिश दी है और उनके घर पर सर्चिंग की जा रही है। बता दें कि पुलिस ने आरोपियों पर 10-10 हजार रुपये का इनाम भी घोषित किया हुआ है। जबकि निगम कमिश्नर ने सभी फर्मों को ब्लैक लिस्टेट कर दिया है और उनके सारे भुगतान पर रोक लगा दी है। बता दें कि पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने के बाद तीन को आरोपी बनाया है। एमजी रोड पुलिस के अनुसार मोहम्मद साजिद, मोहम्मद सिद्दीकी और राहुल वडेरा को आरोपी बनाया है। इन तीनों पर पुलिस ने 420 सहित धोखाधड़ी की अन्य धाराओं में केस दर्ज कर लिया है और आरोपियों को पकडऩे में जुट गई हैं।