मोहन के मंत्रिमंडल में दिखेगी… मिशन 2024 की झलक

  • अब विधानसभा सत्र के बाद ही होगा डॉ. मोहन यादव की कैबिनेट का फैसला
  • विनोद उपाध्याय
मोहन मंत्रिमंडल

मप्र में नए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के शपथ ग्रहण के बाद सभी की निगाहें मंत्रिमंडल पर टिकी हुई है। कैबिनेट में लोकसभा सीटों को कवर करने के फॉर्मूले पर चर्चा हो रही है। मोहन यादव की कैबिनेट में लोकसभा सीट का फॉर्मूला लागू हो सकता है। मंत्रिमंडल में लोकसभा चुनाव के चलते फॉर्मूले पर मंथन किया जा रहा है। लोकसभा सीटों के गणित से मंत्रिमंडल विस्तार अटका हुआ है। यानी सीएम मोहन के मंत्रिमंडल में मिशन 2024 की झलक दिखाई देगी। सूत्रों का कहना है कि लोकसभा चुनाव तैयारियों के मद्देनजर भाजपा संगठन के प्रमुख नेताओं की दिल्ली में होने वाली बैठक के चलते मंत्रिमंडल का गठन फिर दो से तीन दिनों के लिए टलने के संकेत हैं। माना जा रहा है कि अब संगठन की इस बड़ी बैठक के बाद ही नए मंत्रियों को शपथ दिलाई जाएगी।
गौरतलब है कि पांच राज्यों में हुए चुनाव के बाद भाजपा लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गई है। इसे लेकर पार्टी ने अपने भी राज्यों के प्रदेश अध्यक्ष, मुख्यमंत्री और प्रदेश संगठन महामंत्रियों की बैठक 22-23 दिसंबर को बुलाई है। इस दो दिनी बैठक में संगठन राज्यों के लिए नए कार्यक्रम जारी करेगा। इसके बाद तीन बड़े राज्यों में मंत्रिमंडल विस्तार होने की संभावना है। मंत्रिमंडल छोटा रहेगा, इसलिए अधिक उलझन हो रही है। विधानसभा सत्र के बाद मप्र मंत्रिमंडल के विस्तार की अटकलें लगाई जा रही है।
दिग्गज नेताओं की भूमिका बनी उलझन
 मध्य प्रदेश में डॉ. मोहन यादव मंत्रिमंडल का विस्तार फिलहाल टल गया है। इसका कारण शिवराज सिंह चौहान, कैलाश विजयवर्गीय, प्रहलाद पटेल, राकेश सिंह जैसे दिग्गजों की भूमिका के साथ ही जातिगत और क्षेत्रीय समीकरण का पेंच फंसना बताया जा रहा है। इसको लेकर कोई भी कुछ नहीं बता पा रहा है। हालांकि, चर्चा है कि भाजपा नेतृत्व नए सिरे से समीकरण साधने में जुटा है। बताया जाता है कि मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर केंद्रीय नेतृत्व के साथ मुख्यमंत्री दोबारा दिल्ली जाकर चर्चा करेंगे। यह मुलाकात विधानसभा सत्र के बाद हो सकती है। इसके बाद मंत्रिमंडल पर मुहर लगेगी। दरअसल, लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर भाजपा नेतृत्व जातिगत और क्षेत्रीय आधार पर मंत्रियों के नाम तय करना चाह रहा है। लेकिन संतुलन नहीं बन पा रहा है।
इस बार एक लोकसभा क्षेत्र से एक मंत्री के फॉर्मूले पर भी चर्चा चल रही है। इसमें पूर्व सीएम शिवराज, भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल और पूर्व सांसद राकेश सिंह का समायोजन भी चुनौती बना हुआ है। इसमें शिवराज सिंह चौहान को केंद्रीय नेतृत्व बड़ी जिम्मेदारी देकर केंद्र में लेने का इच्छुक बताया जा रहा है। इसको लेकर पूर्व सीएम शिवराज और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की मंगलवार को दिल्ली में मुलाकात भी हुई। पार्टी सूत्रों का कहना है कि यदि कैलाश विजयवर्गीय को मंत्री बनाया जाता है तो इंदौर से तीन बार के विधायक रमेश मेंदोला को एडजस्ट करने को लेकर मामला फंस रहा है। वहीं, पूर्व सांसद रीति पाठक और पूर्व सांसद राव उदय प्रताप सिंह को केंद्रीय नेतृत्व प्रदेश में मंत्री बनाना चाह रहा है। लेकिन प्रहलाद पटेल और राकेश सिंह बड़े नाम हैं। इनकी भूमिका को लेकर शीर्ष नेतृत्व कोई निर्णय नहीं ले पा रहा है। अब बताया जा रहा रहा है कि 22-23 दिसंबर को दिल्ली में भाजपा की होने वाली बड़ी बैठक से पहले सभी समीकरण को साध कर निर्णय लिया जा सकता है।
सांसदों को मंत्री बनाने पर फंसा पेंच
गौरतलब है कि मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर रविवार को दिल्ली में हुई बैठक में सभी सांसदों को मंत्री बनाने को लेकर पेंच फंस गया है। इसके अलावा सीनियर विधायकों की संख्या ज्यादा होने से भी मंत्रियों का नाम तय करने में परेशानी आ रही है। भाजपा में 70 से अधिक विधायक ऐसे हैं, जो तीन बार से अधिक चुनाव जीत रहे हैं। अब ये मंत्री पद के स्वाभाविक दावेदार हैं। लोकसभा चुनाव के चलते संगठन नहीं चाहता कि लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी में किसी तरह का कोई असंतोष फैले। लिहाजा मंत्री बनाने के लिए नया फार्मूला ढूंढ़ा जा रहा है। इसके तहत 50 फीसदी चेहरे पुराने और इतने ही नए चेहरों को शामिल किया जा सकता है। इसके अलावा सीनियर नेताओं को कैसे और कहां एजडजस्ट करें, इस पर भी अभी विचार चल रहा है। पार्टी सूत्रों की मानें तो 25 दिसंबर से पहले हर हाल में मंत्रिमंडल का गठन करने के प्रयास केन्द्रीय संगठन कर रहा है। इधर, मध्यप्रदेश का विधानसभा का चार दिवसीय सत्र गुरूवार को समाप्त हो रहा है। अब सत्र के अंतिम दिन भी मंत्रियों के शपथ लेने की संभावनाएं बेहद कम हो गई है।
मंत्रिमंडल में हो सकते हैं चौंकाने वाले नाम
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 में शिवराज सरकार के 33 में से 31 मंत्रियों को टिकट दिया गया था। जिसमें से 12 मंत्री इस बार चुनाव हार गए हैं। ऐसे में अटकलें लगाई जा रही हैं कि मंत्रिमंडल में चौंकाने वाले नामों पर सहमति बन सकती है। मोहन मंत्रिमंडल में कुछ पुराने चेहरों को शामिल किया जा सकता है। वहीं शिवराज कैबिनेट में शामिल कई चेहरों को बाहर किया जा सकता है। प्रदेश में 15 से 18 मंत्री बनाए जा सकते हैं। उसके बाद जरुरत पडऩे पर विस्तार किया जा सकता है। इस बार की कैबिनेट में सिंधिया समर्थक विधायकों के चेहरे कम दिखाई दे सकते हैं। सिंधिया समर्थक विधायकों के नाम कट सकते है। मंत्रिमंडल में क्षेत्रीय और जाति समीकरण को देखकर कैबिनेट का विस्तार किया जा सकता हैं।
नए-पुराने चेहरों को मौका
यह भी बताया जा रहा है कि इस बार नए पुराने चेहरों को मौका दिया जा सकता है। दूसरा इस बार हर लोकसभा सीट से एक नेता को मंत्री बनाया जा सकता है। तीसरा, जातिगत समीकरण साधने के लिए सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व मिल सकता है। चौथा, सांसदी छोडक़र आए नेताओं को भी कैबिनेट में जगह मिल सकती हैं। मप्र विधानसभा का शीतकालीन सत्र जारी है। बताया जा रहा है कि सत्र के बाद कैबिनेट का विस्तार किया जाएगा। वहीं सोमवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री व नरसिंहपुर से बीजेपी विधायक प्रहलाद सिंह पटेल ने कहा कि था मेरे अनुभव के हिसाब से बीच सदन में कैबिनेट का विस्तार नहीं होता, बाकी देखो क्या होता है। जिसके बाद से कयास लगाए जा रहे है कि विधानसभा सत्र के बाद ही मोहन मंत्रिमंडल का विस्तार होगा।

Related Articles