मोहन कैबिनेट में दिखेगी पीढ़ी परिवर्तन की झलक

मोहन कैबिनेट

गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र की डॉ. मोहन यादव सरकार का विस्तारीकरण होने जा रहा है। कैबिनेट में कौन-कौन से चेहरे होंगे, इस पर अब तक सहमति नहीं बन पाई है। क्षेत्रीय और जातिगत समीकरण के साथ ही सीनियर विधायकों को लेकर पेंच फंसा हुआ है। मंत्रिमंडल में शामिल होने वाले नामों को लेकर दिल्ली में आज एक बार फिर बैठक होगी। इस बार लोकसभा चुनाव का असर मंत्रिमंडल की सूची में देखने को मिल सकता है। ऐसे में संभावना जताई जा रही है की मोहन कैबिनेट में पीढ़ी परिवर्तन की झलक दिखेगी। नई सरकार की कैबिनेट में  कांग्रेस के दिग्गजों को पराजित कर विधानसभा में पहुंचे आधा दर्जन से ज्यादा विधायक मंत्रिमंडल में जगह पा सकते हैं।
मप्र के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को मंत्रिमंडल को लेकर गत दिनों नेताओं ने दिल्ली में बैठक भी की। अब पार्टी के सूत्रों का कहना है कि इस बार मंत्रिमंडल की सूची में लोकसभा चुनाव का असर देखने को मिल सकता है। मप्र की सभी 29 लोकसभा सीटों पर भाजपा एक-एक विधायक को मंत्री बना सकती है। इस बार कई नए विधायकों को भी मंत्री बनने का मौका भी मिल सकता है। शिवराज सरकार के 12 मंत्री विधानसभा चुनाव में हार चुके हैं। ऐसी स्थिति में 12 नए मंत्रियों का बनना तो तय माना जा रहा है। इसके अलावा अन्य नाम भी चौंकाने वाले हो सकते हैं। पीढ़ी परिवर्तन के इस दौर में भाजपा के उन विधायकों की किस्मत का ताला खुल सकता है, जो कांग्रेस के दिग्गजों को पराजित कर विधानसभा में पहुंचे हैं। ऐसे एक दर्जन से ज्यादा नामों पर दिल्ली की बैठक में विचार हुआ है। इनमें से आधा दर्जन से ज्यादा मंत्रिमंडल में जगह पा सकते हैं। हालांकि दिग्गजों को हराने वाले विधायकों की संख्या 13 से ज्यादा है लेकिन इन सभी को मंत्री नहीं बनाया जा सकता। सूत्रों के अनुसार पार्टी नेतृत्व इनमें से अधिकांश को अवसर देने के मूड में है ताकि कांग्रेस के दिग्गजों को भविष्य में भी जीत कर आने से रोका जा सके।
इन नामों पर हुई है चर्चा
आधा दर्जन से ज्यादा भाजपा नेताओं न चंबल-ग्वालियर और बुंदेलखंड अंचल में कांग्रेस के दिग्गजों को धूल चटाई है। इनमें भिंड की लहार सीट पर नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह को अंबरीश शर्मा और भिंड में चौधरी राकेश सिंह को नरेंद्र सिंह कुशवाह ने हराया है। शिवपुरी में केपी सिंह को देवेंद्र कुमार जैन, चाचोड़ा में लक्ष्मण प्रियंका मीणा और सेवढ़ा में घनश्याम सिंह को प्रदीप अग्रवाल सिंह ने शिकस्त दी है। इसी प्रकार बुंदेलखंड के छतरपुर में आलोक चतुर्वेदी को ललिता यादव और पन्ना जिले में मुकेश नायक को प्रहलाद लोधी ने हराया है। मंत्रिमंडल में शामिल करने के लिए इन 6 नामों पर लगातार दूसरी बार विचार हुआ है। भोपाल दक्षिण पश्चिम से भगवानदास सबनानी और भोजपुर से जीते सुरेंद्र पटवा ने भी कांग्रेस के दिग्गजों को हराया है। सबनानी ने पूर्व मंत्री पीसी शर्मा को शिकस्त दी है जबकि पटवा ने पूर्व मंत्री राजकुमार पटेल को, इसलिए मंत्री बनने के लिए इनके नाम चर्चा में हैं। इसके अलावा भोपाल में इस बार रामेश्वर शर्मा और कृष्णा गौर ने रिकार्ड मतों के अंतर से जीत दर्ज की है। प्रदेश के विंध्य और महाकौशल अंचल के चार नेताओं नेे भी कांग्रेस के दिग्गजों को हराया है। हालांकि जबलपुर पश्चिम में कांग्रेस सरकार में वित्त मंत्री रहे तरुण भनोट को हराने वाले राकेश सिंह खुद भाजपा के दिग्गज है। इसके अलावा मैहर में नारायण त्रिपाठी को हराने वाले श्रीकांत चतुर्वेदी, सिहावल में पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल को मात देने वाले विश्वामित्र पाठक और लांजी में हिना कांवरे को शिकस्त देने वाले राजकुमार कर्राए को मंत्री बनाए जाने के लिए दिल्ली की बैठक में विचार किए जाने की सूचना है। मालवा के 4 भाजपा नेताओं ने कांग्रेस के दिग्गजों को हराया है। इनमें सोनकच्छ में सज्जन सिंह वर्मा को राजेश सोनकर, महेश्वर में विजयलक्ष्मी साधो को राजकुमार मेव, राऊ में जीतू पटवारी को मधु वर्मा और दीपक जोशी को आशीष कोविंद शर्मा ने  मात दी है। इनमें से भी कुछ मंत्रिमंडल में जगह पा सकते हैं।
सभी संसदीय क्षेत्रों को मिलेगा प्रतिनिधित्व
सूत्रों ने बताया कि पार्टी आलाकमान ने मंत्रियों के चयन का फॉर्मूला तैयार कर लिया है। पार्टी ने दो लाइन साफ कर दी हैं कि पहला मंत्रिमंडल में सभी संसदीय क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व रहेगा। दूसरा तीन बार मंत्री रह चुके नेताओं को जगह नहीं मिलेगी। मोहन मंत्रिमंडल में कोई कोटा सिस्टम नहीं होगा। जिन विधायकों को मंत्री बनाया जा सकता है, इनमें कैलाश विजयवर्गीय, प्रहलाद पटेल, राकेश सिंह और रीति पाठक का नाम सबसे आगे है। इनके अलावा सिंधिया गुट से गोविंद राजपूत, तुलसी सिलावट, प्रद्युम्न सिंह तोमर, मालवा निमाड़ से कैलाश गुट के रमेश मेंदोला, इंदर परमार, निर्मला भूरिया, मंजू दादू, ग्वालियर चंबल से एंदल कंसाना, अमरीश शर्मा, बृजेंद्र यादव के नाम शामिल हैं। जबकि विंध्य इलाके से दिव्यराज सिंह, कुंवर टेकाम, महाकौशल से संपतिया उइके, ओम प्रकाश धुर्वे और भोपाल-नर्मदापुरम संभाग से रामेश्वर शर्मा, विष्णु खत्री, कृष्णा गौर, विश्वास सारंग और विजय शाह को मोहन मंत्रिमंडल में जगह मिलने की संभावना है। बुंदेलखंड से ललिता यादव, प्रदीप लारिया, बृजेंद्र प्रताप सिंह, हरिशंकर खटीक और गोपाल भार्गव को मंत्री बनाया जा सकता है। मप्र में मुख्यमंत्री समेत 35 मंत्रियों से ज्यादा बड़ा मंत्रिमंडल नहीं हो सकता। मुख्यमंत्री और दो डिप्टी सीएम पहले ही शपथ ले चुके हैं। इसलिए मोहन की कैबिनेट में अधिकतम 32 विधायकों को ही मंत्री बनाया जा सकता है। मुख्यमंत्री मोहन यादव ओबीसी, तो दोनों डिप्टी सीएम सवर्ण और एससी कोटे से आते हैं। इसलिए अन्य जातियों के विधायकों को मंत्रिमंडल में ज्यादा जगह मिलने की उम्मीद है। लोकसभा चुनाव देखते हुए भाजपा अन्य जातियों को लुभाने की कोशिश कर सकती है।
इन मंत्रियों की कुर्सी हुई है खाली
भाजपा सूत्रों का कहना है कि लोकसभा चुनाव को देखते हुए मंत्रिमंडल की सूची पर कुछ असर जरूर देखने को मिलेगा। विधानसभा चुनाव में मप्र के पूर्व गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा को हार का सामना करना पड़ा। इसी प्रकार से कृषि मंत्री कमल पटेल, राजवर्धन सिंह दत्तीगांव, महेंद्र सिंह सिसोदिया, सुरेश धाकड़, प्रेम सिंह पटेल, अरविंद सिंह भदौरिया, गौरीशंकर बिसेन तक चुनाव हार गए। इसी तरह भारत सिंह कुशवाहा, रामकिशोर कांग्रेस, रामखेलावन पटेल, राहुल लोधी भी कांग्रेस प्रत्याशी से चुनाव हार कर इस बार मंत्रिमंडल की दौड़ से बाहर हो गए हैं। इन 12 मंत्रियों के स्थान पर नए विधायकों को मौका मिलेगा।

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