छात्र नहीं ले रहे हैं रुचि, 20 छात्रों ने लिया प्रवेश
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। हिंदी को बढ़ावा देने के लिए मप्र में चिकित्सा व इंजीनियरिंग की पढ़ाई अब हिंदी भाषा में शुरू की गई है , लेकिन छात्र इस भाषा में शिक्षा के लिए उत्साह नहीं दिखा रहे हैं। यही वजह है कि इस साल इंजीनियरिंग के लिए हिंदी में पढ़ाई के लिए तय की गई सीटों में से करीब 85 फीसदी खाली रह गई हैं। राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विवि के यूआईटी सहित कॉलेजों में एक नवंबर से शैक्षणिक सत्र शुरू हो चुका है। इसके बाद भी हालत यह हैं कि इस वर्ष हिंदी में प्रस्तावित 187 सीटों में से केवल 20 सीटों पर ही छात्रों ने प्रवेश लिया है। कम छात्र होने की वजह से उनकी अलग से क्लास लगाने की जगह विवि प्रबंधन अंग्रेजी के छात्रों के साथ ही बिठाकर उनकी पढ़ाई करा रहा है। यह पहला मौका है, जब छात्र- छात्राएं हिन्दी में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे हैं। हालांकि पहले साल हिंदी में इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए छात्रों ने दिलचस्पी नहीं दिखाई है। इसमें भी सबसे अधिक एडमिशन कंप्यूटर साइंस में ही हुए हैं। इधर, इन छात्र- छात्राओं के साथ शिक्षकों के लिए भी हिन्दी में तकनीकी विषय पढ़ाने का यह नया अनुभव है।
जारी है हिंदी में अनुवाद का काम
राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय सूत्रों की माने तो प्रथम वर्ष के लिए अभी इंजीनियरिंग की 20 किताबों का हिंदी में अनुवाद हो पाया है। इसमें यूजी कक्षाओं के लिए 9 और डिप्लोमा पाठ्यक्रमों की महज 11 किताबें शामिल हैं। सूत्रों का कहना है कि अभी इंजीनियरिंग की और किताबों का हिंदी में अनुवाद का काम जारी है। इधर, जिन किताबों का अनुवाद हुआ है, वह भी अभी तक प्रकाशित नहीं हो पायी हैं। इसकी वजह से छात्रों को किताबें नहीं मिल पा रही है, लिहाजा छात्रों को किताबों की पीडीएफ के माध्यम से पढ़ाई करनी पड़ रही है। इस मामले में विश्व विद्यालय प्रबंधन का कहना है कि यह हिंदी में इंजीनियरिंग की पढ़ाई का पहला साल है, जिसकी वजह से थोड़ी बहुत परेशानी आ रही है, लेकिन अगले सत्र से छात्रों की संख्या में भी वृद्धि होगी। इसके साथ ही हिन्दी मीडियम के विद्यार्थियों की कक्षाएं अलग से लगाने की व्यवस्था की जा रही है।