80 लाख का टेंडर 6 माह में कर दिया सवा तीन करोड़ का

 टेंडर
  • ऑफिस की महिला कर्मचारी के पति को थमाया टेंडर, जांच शुरु

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। बिहार की तर्ज पर मप्र के उज्जैन में भी चारा घोटाला कर दिया गया है। इस मामले का खुलासा होने पर अब जांच शुरु कर दी गई है। यह मामला उज्जैन नगर निगम का है। यहां निगम के अफसरों व कर्मचारियों ने मिलकर 80 लाख के टेंडर को छह माह में ही 3 करोड़ 30 लाख का करने का भी कारनामा कर डाला।
यही नहीं अफसरों ने इसे अपने चहेती निगम की महिला कर्मचारी के पति को भी दे दिया। अहम बात यह है कि इस टेंडर में जो दरें स्वीकृत की गई हैं, वह खुले बाजार से 60 से 430 प्रतिशत तक अधिक हैं। इस मामले की शिकायत हुई तो मामले की जांच बिठा दी गई है। अब इस मामले में निविदा समिति के अध्यक्ष रहे अपर आयुक्त से जवाब-तलब भी किया गया है। बताया जा रहा है कि इस मामले की जांच रिपोर्ट आने के बाद  जिम्मेदारों पर एफआईआर भी दर्ज कराई जा सकती है। इस मामले में अब नेता प्रतिपक्ष ने भी  निगम कमिश्नर से शिकायत की है। दरअसल नगर निगम की रत्नाखेड़ी में कपिला गौशाला है। यहां हर साल गायों के लिए चारा और खाद्य सामग्री खरीदी के लिए निविदा जारी की जाती है। यह टेंडर इसी से जुड़ा हुआ है।  
इस तरह से किया गया घोटाला  
दो साल पहले जनवरी 2021 की है। नगर निगम की निविदा शाखा ने कपिला गौशाला में रहने वाली 700 गायों की खाद्य सामग्री के लिए टेंडर बुलाए थे। यह टेंडर सूखा चारा, हरा चारा, नमक, गुड़, खली खरीदने के लिए जारी किया गया था। इस टेंडर की कीमत 80 लाख रुपए तय की गई थी। इस टेंडर प्रक्रिया में 8 फर्मों ने भाग लिया था।
उस समय निगम के अफसरों ने तीन अलग-अलग कंपनियों के रेट के आधार पर अलग -अलग सामग्री की खरीद के लिए टेंडर देना चाहे थे , लेकिन कंपनियों ने यह कहते हुए ठेका लेने से इंकार कर दिया था कि अगर टेंडर देना है तो, किसी एक कंपनी को ही पूरी सामग्री की सप्लाई के लिए दिया जाए। उनका तर्क था कि अगर आपने टेंडर एक साथ बुलाए हैं, तो एक ही फर्म से सभी सामग्री खरीदिए। इस शर्त को निगम अफसरों ने नकारते हुए एग्रीमेंट करने से इंकार कर उनकी सिक्योरिटी मनी भी जब्त कर ली थी। इस टेंडर प्रक्रिया में सुसनेर की संस्कार एजेंसी ने भी भाग लिया था,चूंकि एजेंसी की रेट बाकी फर्म के मुकाबले कम थे , जिसके चलते उसे 29 नवंबर 2021 को दिसंबर 2022 तक की अवधि के लिए सप्लाई का टेंडर दे दिया था।
इस बीच, अप्रैल 2022 में निविदा समिति के अध्यक्ष रहे अपर आयुक्त आदित्य नागर ने नया टेंडर जारी कर दिया। इसमें टेंडर की राशि को चार गुना बढ़ाकर 80 लाख की जगह 3 करोड़ 30 लाख रुपए कर दी गई। अहम बात यह है कि इसके लिए महापौर तक से स्वीकृति लेना भी मुनासिब नहीं समझा गया। अपनी चहेती कंपनी को ठेका देना था, जिसकी वजह से नए टेंडर में पिछली बार भाग लेने वालीं आठ फर्मों को यह कहकर भाग नहीं लेने दिया गया कि उन्होंने पिछले टेंडर में निगम की शर्तें नहीं मानी थीं। इसके बाद जून 2022 में फर्म के जीईएम/2022/बी/2395666 नंबर से ई-टेंडर को सिंगल कॉल किया गया।
जिसे निगम के अपर आयुक्त और निविदा समिति के अध्यक्ष आदित्य नागर ने  मंजूर कर दिया। यह फर्म गगन रत्नाकर की है, जो लेखा विभाग में काम करने वाली सरिता रत्नाकर (मांडवे) के पति हैं। इस नए टेंडर में जो दर डाली गईं, वह पूर्व से इसी सामग्री का  सप्लाई कर ही एजेंसी की दर से 58 से 430 प्रतिशत अधिक बताए जाते हैं।

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