- सरकार ने 3 जूनियर महिला अफसरों को बना दिया कलेक्टर
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश ने हाल ही में बड़ी प्रशासनिक सर्जरी की, लेकिन इस सर्जरी में सरकार ने 8 सीनियर महिला आईएएस को दरकिनार कर 3 जूनियर महिला अफसरों को कलेक्टर बना दिया है। जबकि ये आठों महिलाएं वर्षों से कलेक्टर बनने की बांट जो रही हैं।
गौरतलब है कि प्रदेश में महिलाओं को बराबरी का दर्जा देने और नगरीय निकाय तथा पंचायत चुनावों में 50 फीसदी आरक्षण की तो बात सरकार करती है, लेकिन जब कलेक्टर बनाने की बात आती है, तो सीनियर महिला आईएएस अफसरों की अनदेखी की जाती है। हाल ही में सरकार ने 15 जिलों के कलेक्टर बदले। इनमें 2014 बैच की तीन महिला आईएएस को कलेक्टर बनाया है। वहीं, 2007 से लेकर 2012 बैच तक की 8 सीनियर महिला आईएएस कलेक्टर बनने की बांट जोह रही हैं। एक महिला आईएएस तो बिना कलेक्टर बने अगले माह ही रिटायर होने वाली हैं।
महिलाओं के साथ भेदभाव
महिलाओं के साथ सरकारी पोस्टिंग में भेदभाव का उदाहरण सामने आया है। महिला आईएएस अफसर रहीं उर्मिल मिश्र और राजकुमारी खन्ना बिना कलेक्टर बने ही रिटायर हो गईं। राजकुमारी खन्ना मप्र आदिवासी नेता रहे शिवभानु सिंह सोलंकी की बेटी हैं। वहीं 2007 बैच की बेला देवर्षि शुक्ला अगले महीने दिसंबर में सेवानिवृत्त होने वाली हैं। उन्हें सरकार ने अक्टूबर 2020 से एनवीडीए इंदौर में ओएसडी बना रखा है। इसी तरह 17 जनवरी 2019 से संचालक वाल्मी के पद पर 2008 बैच की उर्मिला सुरेंद्र शुक्ला पदस्थ हैं। 2010 बैच की सपना निगम 5 मई 2018 से अपर आयुक्त राजस्व संभाग ग्वालियर में कार्यरत हैं। राजस्व विभाग में उप सचिव के पद पर पदस्थ सीधी भर्ती की नेहा मारव्या को न तो कलेक्टरी मिली और न ही अपर सचिव का वेतनमान । जबकि ये 2011 बैच की महिला आईएएस हैं। इसके अलावा माशिमं के डिवीजनल कार्यालय इंदौर में 2011 बैच की प्रीति जैन अक्टूबर 2019 से सचिव के रूप में पदस्थ हैं।
इन्हें नहीं मिला मौका
2011 बैच की उषा परमार अपर आयुक्त राजस्व संभाग भोपाल, सरिता बाला उप सचिव हार्टिकल्चर तथा खाद्य तथा 2012 बैच की भारती ओगरे खनिज विभाग में उप सचिव के रूप में पदस्थ हैं। यानि इन महिला अफसरों को भी कलेक्टरी नहीं मिली है। वैसे उषा परमार के पति अरुण परमार को कलेक्टरी मिल गई है। वाल्मी संचालक उर्मिला सुरेंद्र शुक्ला का कहना है कि सरकार ने हमें गुमनाम लिस्ट में डाल दिया है। मैंने भी अपने आपको आईएएस मानना छोड़ दिया है, क्योंकि सरकार हमें कलेक्टर बनाने योग्य ही नहीं मानती हैं । इसलिए जहां पोस्टिंग दे देती हैं, वहां चुपचाप काम करते हैं। पूर्व आईएएस अफसर भगत सिंह कुलेश का कहना है कि सरकार सीनियर महिला आईएएस को कलेक्टर नहीं बनाकर उनकी अपेक्षाओं का मर्डर कर रही है, यह उचित नहीं है। यह महिलाओं के साथ भेदभाव नहीं, तो और क्या है । वैसे पूरे मप्र में आदिवासियों की आबादी 22 फीसदी होने के बाद भी सरकार ने एक भी आदिवासी आईएएस को कलेक्टर नहीं बनाया है।
इन्हें मिली पहली कलेक्टरी
बैच महिला अफसर कलेक्टर
2014 शीतला पटले छिंदवाड़ा
2014 ऋजु बाफना नरसिंहपुर
2014 भव्या मित्तल बुरहानपुर