राजधानी में हर साल कर दिया जाता है 60 हजार पेड़ों का कत्ल

पेड़ों का कत्ल
  •  एक दशक में 26 फीसदी तक कम हो गई हरियाली …

भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। जिस शहर को देश के राज्यों में प्राकृतिक रुप से सबसे सुदंर राजधानी का तमगा मिला हुआ था, आज उसी भोपाल के हाल यह हो गए हैं कि उसकी सुंदरता में चार चांद लगाने वाली हारियाली तेजी से कम होती जा रही है, फलस्वरुप सुहाने मौसम पर भी अब समाप्ती का खतरा पैदा हो चुका है।
इसकी वजह है विकास के नाम पर सरकार व अफसरों द्वारा मिलकर हर साल करीब 60 हजार पेड़ों का औसतन रुप से कराए जाने वाला कत्ल। इसकी वजह से हालात यह हो गए हैं कि शहर में एक दशक के अंदर ही 26 फीसदी हरियाली कम हो चुकी है। इसमें भी खास बात यह है कि 15 फीसदी हरियाली तो महज बीते पांच सालों में ही कम हुई है। इसके बाद भी शहर में अंधाधुंध स्तर पर पेड़ों की कटाई जारी है और जिम्मेदार इस मामले में चैन की नींद में डूबे हुए हैं। इसकी वजह से कभी वनाच्छादित रहने वाला इलाका अब पूरी तरह से बंजर नजर आने लगा है। फलस्वरुप में अब राजधानी की गिनती देश के उन शहरों में होने लगी है , जहां पर सर्वाधिक वायु प्रदूषण की स्थिति है। इसके बाद भी राजधानी में अधोसंरचना विकास के नाम पर पेड़ों की कटाई अनवरत रुप से जारी है। हाल ही में बैरागढ़ स्थित एमपी स्टेट रोडवेज परिसर में निर्माण कार्य का बहाना बताकर एक सैकड़ा से अधिक पेड़ो की बलि चढ़ा दी गई है। खास बात यह है कि सामाजिक कार्यकतार्ओं ने इसकी शिकायत बड़े अधिकारियों से की, लेकिन इसके बाद भी कोई कदम नहीं उठाया गया। यहां बीते पांच साल में तीन लाख से अधिक पेड़ काट दिए गए। इससे शहर के तापमान में जहां तेजी से वृद्धि हुई है तो वहीं प्रदूषण के साथ ही हरियाली में भी तेजी से कमी आयी है।
शोध में हुआ खुलासा
हाल ही में एक शोध के हवाले से कहा गया है कि बीते एक दशक में निर्माण कार्यों को लेकर जिस तरह से हरे भरे पेड़ काटे गए हैं, उससे भोपाल की हरियाली में 26 फीसदी की कमी आई है। व्यापक स्तर पर पेड़ों की कटाई वाले 9 स्थानों पर 225 एकड़ हरे भरे इलाके को मिटाकर वहां पर कांक्रीट के जंगल बना दिए गए। भोपाल में बीते कई सालों से शुरू हुई अधिक गर्मी की वजह भी यही है। इससे शहर का औसत तापमान 5 से 7 डिग्री सेल्सियस बढ़ा है। शहर में सर्वाधिक पयार्वारण का नुकसान  2014 से 2021 के बीच हुआ है। इन सालों में लगभग 80 फीसदी पेड़ काटे गए। जबकि 20 फीसद पेड़ों की कटाई 2009 से 2013 के बीच की गई है।
दशकों पुराने डेढ़ लाख पेड़ों का कत्ल
प्रोफेसर राजचन्द्रन की वर्ष 2016 की रिपोर्ट में प्रकाशित शोध, गूगल इमेजनरी और अन्य सरकारी आंकड़ों के विश्लेषण से तैयार की गई रिपोर्ट के लिए शहर को 15 प्रमुख क्षेत्रों में बांटा गया और तीन सड़कों (बीआरटीएस होशंगाबाद रोड, कलियासोत डेम की ओर जाने वाली रोड एवं नार्थ टीटी नगर की स्मार्ट रोड) को सैंपल के रूप में लिया गया। इन सड़कों के पास मौजूद प्रमुख 11 इलाकों के 345 एकड़ क्षेत्र का विश्लेषण करने पर पता चला कि 10 वर्ष में यहां की हरियाली पूरी तरह से समाप्त कर दी गई है। सिर्फ 11 क्षेत्रों में ही 50 साल पुराने 1.55 लाख से अधिक पेड़ों का कत्ल कर दिया गया।
दावे हो रहे खोखले साबित
विकास के नाम पर पेड़ों की बलि देने के बाद इन पेड़ों को विस्थापित कर कलियासोत, केरवा व चंदनपुरा आदि जंगलों में लगाने के दावे जरुर किए गए, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही से यह प्रयास अब तक सफल होते नहीं दिख रहे हैं। इन पेड़ों ने कुछ ही दिनों में दम तोड़ दिया। जबकि अधिकारी पेड़ों के बदले चार गुना तक पौधे लगाने के दावा करते हैं। लेकिन यह अब तक तो दावे ही नजर आते हैं।
किस योजना में कितने काटे गए पेड़
सरकार द्वारा राजधानी में चलाई जा रही स्मार्ट सिटी के निर्माण में 6000, बीआटीएस कारिडोर बनाने के लिए 3000, विधायक आवास बनाने के लिए  1150, सिंगारचोली सड़क निर्माण और चौड़ीकरण के लिए 1800, हबीबगंज स्टेशन निर्माण के लिए 150 और खटलापुरा से एमवीएम कालेज तक सड़क चौड़ीकरण के लिए 200 पेड़ो की बलि ले ली गई।

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