- सोयाबीन फसल के दाम गिरने से हैं आक्रोशित
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। एक दशक बाद प्रदेश में सोयाबीन फसल की कीमत अपने निम्न स्तर पर पहुंच गई है। इससे किसानों को उसके दाम दस साल पूर्व मिलने वाले दामों के बराबर मिल पा रहा है। इसकी वजह से किसानों में भारी असंतोष है। अब किसानों का यह असंतोष आंदोलन में परिवर्तित होता दिख रहा है। इसके विरोध में प्रदेश के पांच हजार गांवों के किसान लामबंद होना शुरू हो गए है। जो अपने अंादोलन की शुरुआत एक सितंबर से करने जा रहे हैं।
संयुक्त किसान मोर्चा के प्रदेश मीडिया प्रमुख रंजीत किसानवंशी के मुताबिक सोयाबीन फसल के भाव की मांग को लेकर मध्यप्रदेश में एक बड़े आंदोलन की रुपरेखा तैयार कर ली गई है। इसके पहले चरण के तहत सितंबर के प्रथम सप्ताह में प्रत्येक गांव में ग्राम पंचायत सचिव को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिया जाएगा। उन्होंने बताया इस आंदोलन की रूपरेखा मध्यप्रदेश के सभी किसान संगठनों और सोयाबीन उत्पादक संघों के द्वारा तय की गई है। इसी के तहत सभी किसान अपने अपने ग्राम पंचायत पर सितंबर के प्रथम सप्ताह (1-7 सितंबर) सोयाबीन के दाम 6000 रु करो विषय पर ज्ञापन देंगे। इसके बाद 8 और 9 तारीख को भोपाल में प्रदेश के किसानों की बैठक आयोजित होगी और आगे की रणनीति बनाई जाएगी। संयुक्त किसान मोर्चा के किसान नेता राहुल राज ने बताया कि बीते कई वर्षों से अतिवृष्टि के कारण किसान सोयाबीन में नुकसान उठाता आ रहा है। फिर भी देश को तिलहन में आत्मनिर्भर बनाने के लिए किसान ने सोयाबीन बोना नहीं छोड़ा। खाद्यान्न तेल में आयात और निर्यात की नीति किसान हितैषी ना होते हुए कॉर्पोरेट हितैषी है। इसलिए जब हमारी फसलें पककर बाजार में जाती हैं तब निर्यात रोक दिया जाता है और आयात खोल दिया जाता है। ऐसे में दाम गिर जाते हैं जो की सही प्रचलन नहीं है। सरकार को गंभीरतापूर्वक किसानों के हित में आयात और निर्यात नीति पर काम करना होगा। आज सोयाबीन का समर्थन मूल्य 4892 है। इस दाम में वर्तमान महंगाई जहां खाद, बीज, कीटनाशक, लोहा सहित तमाम कृषि संसाधन महंगा होने पर किसान की लागत पूरी तरह निकलना संभव नहीं। इसलिए सोयाबीन के समर्थन मूल्य पर 110 रुपए का अतिरिक्त बोनस देते हुए राज्य सरकार को सोयाबीन का भाव 6000 प्रति क्विंटल करना चाहिए। सोयाबीन के भाव को 6000 प्रति क्विटंल करने की इस मुहिम से पूरे प्रदेश का किसान जुड़ रहा है और तेजी के साथ यह मुद्दा गांव गांव तक पहुंच रहा है। ऐसे में हमारी मांग है कि सरकार किसानों की इस वाजिब मांग की गंभीरता को समझते हुए तत्काल निर्णय और किसानों के हित में सोयाबीन का भाव 6000 प्रति क्विटंल करे। आगामी दिनों में 1 से 7 सितंबर तक पंचायत स्तर पर सरपंच एवं सचिवों को मुख्यमंत्री के नाम इस मांग को लेकर के ज्ञापन दिए जाएंगे। मांग समय से पूरी ना होने पर आगे की रणनीति पर विचार कर इस मुहिम को प्रदेश व्यापी और तेज धार दी जाएगी।
घाटे में खेती कर रहा किसान
भारतीय किसान यूनियन के प्रदेशअध्यक्ष अनिल यादव ने कहा कि मध्यप्रदेश का सोयाबीन किसान लगातार घाटे में खेती कर रहा है वैसे भी खरीफ की फसल मौसम आधारित फसल होती है किसान मौसम की मार झेलता है वहीं ऊपर से फसल का सही काम न मिलने के कारण किसान बहुत बड़ी विपदा में है। मध्य प्रदेश सरकार को यदि किसानों को होने वाले घाटे से बचाना है तो सोयाबीन फसल को कम से कम 6000 पर खरीदी करनी पड़ेगी।
सोयाबीन के दाम लगातार गिर रहे
आम किसान यूनियन के राम इनानिया ने कहा कि सोयाबीन के दाम 10 साल पुराने रेट पर आ गए हैं। उन्होंने कहा कि 2013-14 में किसानों को जो दाम मिल रहा था, आज उसी दाम पर किसान सोयाबीन बेचने को मजबूर हैं। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सालों में सोयाबीन की कीमतों में लगातार गिरावट आई है। हर साल सीजन से पहले दाम कम हो जाते हैं लेकिन इस साल दाम 3500 रुपये प्रति क्विंटल तक गिर गए हैं, जिससे किसानों के लिए उत्पादन लागत निकालना भी मुश्किल हो गया है। उन्होंने सरकार से अपील की है कि किसानों को हो रहे इस नुकसान से बचाने के लिए जल्द से जल्द कोई ठोस कदम उठाए जाएं।